नई दिल्ली : अलोकतांत्रिकः चीफ जस्टिस को चुनाव आयोग चयन समिति से हटाने की तैयारी


मोदी सरकार के इस कदम ने सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच नए सिरे से टकराव की स्थिति तैयार कर दी है। राज्यसभा में अभी जो स्थिति है, उसके हिसाब से सरकार यह विधेयक भी पास करा लेगी। लेकिन यह अलोकतांत्रिक होगा, क्योंकि आखिर सीजेआई को इस पैनल से हटाने पर सरकार क्या कुछ हासिल कर लेगी। सरकार अब जो नया पैनल बनाने का इरादा रखती है, उसके जरिए उसे अपने मन माफिक मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव अधिकारियों की नियुक्तियों का अधिकार मिल जाएगा। उस पर टोकाटाकी करने वाले सीजेआई नहीं होंगे।
टीएमसी का आरोपः तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने कहा है कि बीजेपी खुलेआम 2024 के चुनाव में धांधली कर रही है। मोदी सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेशर्मी से कुचल दिया है और चुनाव आयोग को अपना चमचा बना रही है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को राज्यसभा में पेश किए जा रहे एक विधेयक में, मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 ईसी की नियुक्ति के लिए चयन समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि समिति में (ए) भारत के मुख्य न्यायाधीश, (बी) पीएम (सी) विपक्ष के नेता शामिल हों। विधेयक में, मोदी सरकार ने CJI की जगह “एक केंद्रीय मंत्री” को शामिल कर दिया है। इस तरह अब, मोदी और 1 मंत्री पूरे चुनाव आयोग की नियुक्ति करेंगे। इंडिया गठबंधन द्वारा भाजपा के दिल में डर पैदा करने के बाद यह 2024 के चुनावों में धांधली की दिशा में एक स्पष्ट कदम है।