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झुंझुनूं में मनसा माता वन क्षेत्र में बनेगा वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर, लेपर्ड सफारी व लवकुश वाटिका से इको-टूरिज्म को बढ़ावा


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झुंझुनूं में मनसा माता वन क्षेत्र में बनेगा वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर, लेपर्ड सफारी व लवकुश वाटिका से इको-टूरिज्म को बढ़ावा

झुंझुनूं में मनसा माता वन क्षेत्र में बनेगा वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर, लेपर्ड सफारी व लवकुश वाटिका से इको-टूरिज्म को बढ़ावा

झुंझुनूं : जिले के वन्यजीव संरक्षण को अब नया आयाम मिलने जा रहा है। लंबे इंतजार के बाद झुंझुनूं जिले के मनसा माता वन क्षेत्र में वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने की स्वीकृति मिल गई है। यह कदम जिले में वन्यजीवों की सुरक्षा, उपचार और पुनर्वास के लिए ऐतिहासिक साबित होगा। रेस्क्यू सेंटर की स्थापना के साथ ही लेपर्ड सफारी और लवकुश वाटिका के उद्घाटन का रास्ता भी साफ हो गया है। इससे जिले में इको-टूरिज्म को नई उड़ान मिलेगी और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

अब नहीं बुलानी पड़ेगी जयपुर से टीम

अब तक किसी लेपर्ड या अन्य जंगली जानवर के आबादी क्षेत्र में भटकने पर विभाग को जयपुर से रेस्क्यू टीम बुलानी पड़ती थी। करीब 200 से 250 किलोमीटर की दूरी के कारण रेस्क्यू टीम के देर से पहुंचने पर कई बार हादसों और वन्यजीवों की मौत का खतरा बढ़ जाता था। रेस्क्यू सेंटर बनने के बाद यह समस्या खत्म हो जाएगी और स्थानीय स्तर पर ही प्रशिक्षित दल व पशु चिकित्सक 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे।

डीएफओ बोले – राहत की पहल

डीएफओ उदाराम सोयल ने बताया कि “रेस्क्यू सेंटर से विभाग को आपात स्थितियों में तुरंत कार्रवाई करने में राहत मिलेगी। घायल या बीमार वन्यजीवों को अब यहीं उपचार व पुनर्वास मिल सकेगा।”

लेपर्ड सफारी को मिलेगी नई पहचान

मनसा माता क्षेत्र में विकसित की जा रही लेपर्ड सफारी अब रेस्क्यू सेंटर के साथ और मजबूत होगी। वन विभाग के अनुसार, वर्तमान में 23 से 24 लेपर्ड इस क्षेत्र में हैं, जिनमें से कई को अन्य जगहों से रेस्क्यू कर लाया गया था। रेस्क्यू सेंटर बनने के बाद घायल या बीमार लेपर्ड को जयपुर भेजने की जरूरत नहीं रहेगी।

लवकुश वाटिका बनेगी आकर्षण का केंद्र

सफारी के साथ विकसित की जा रही लवकुश वाटिका में स्थानीय वनस्पतियों और औषधीय पौधों को प्रदर्शित किया जाएगा। यह वाटिका पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता का केंद्र बनेगी, जिससे स्कूली बच्चों और पर्यटकों को जैव विविधता की जानकारी मिलेगी।

एक करोड़ की स्वीकृति, स्थानीय रोजगार को बल

पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी के प्रयासों से वन क्षेत्र के विकास के लिए करीब एक करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इससे न केवल वन्यजीवों के आवास को सुदृढ़ किया जाएगा, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।

जिले के वन क्षेत्र की झलक

झुंझुनूं जिले में लगभग 405 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वन विभाग के अधीन है। मुख्य वन्यजीवों में लेपर्ड, नीलगाय, लोमड़ी, खरगोश, जंगली बिल्ली और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियां शामिल हैं। रेस्क्यू सेंटर की स्थापना से इन सभी वन्यजीवों की सुरक्षा और उपचार अब स्थानीय स्तर पर ही संभव हो सकेगा।

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