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बिसाऊ नगर पालिका के खिलाफ प्रदर्शन:लोग बोले- सफाई-रोशनी की व्यवस्था चरमराई, महिलाएं बाहर निकलने में डर रहीं


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बिसाऊ नगर पालिका के खिलाफ प्रदर्शन:लोग बोले- सफाई-रोशनी की व्यवस्था चरमराई, महिलाएं बाहर निकलने में डर रहीं

बिसाऊ नगर पालिका के खिलाफ प्रदर्शन:लोग बोले- सफाई-रोशनी की व्यवस्था चरमराई, महिलाएं बाहर निकलने में डर रहीं

बिसाऊ : बिसाऊ कस्बे की हालत पिछले कई महीनों से बेहद खराब बनी हुई है। नगर पालिका मंडल के भंग होने के बाद से शहर की सफाई और रोशनी व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, जिससे परेशान होकर नागरिकों का गुस्सा अब सड़कों पर फूट पड़ा है। सोमवार को सैकड़ों लोगों ने गांधी चौक पर इकट्ठा होकर नगरपालिका के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी।

शहर के गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य बाजारों तक कचरे के ढेर लगे हुए हैं, नालियां गंदगी से भरी हुई हैं और स्ट्रीट लाइटें बंद होने से पूरा कस्बा अंधेरे में डूबा है। नागरिकों ने बताया कि इन बदहाल स्थितियों के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ गया है और रात में बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है।

प्रशासन पर अनदेखी का आरोप

शहरवासियों ने पहले ही 31 अगस्त तक पालिका प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को अल्टीमेटम दिया था कि यदि सफाई और रोशनी की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो वे आंदोलन करेंगे। हालांकि, तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिसके चलते लोग आंदोलन पर उतरने के लिए मजबूर हुए। सुबह से ही गांधी चौक पर व्यापारी, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग हाथों में तख्तियां लेकर पालिका मुर्दाबाद, गंदगी हटाओ, बिसाऊ बचाओ और रोशनी लगाओ, सुरक्षा दिलाओ जैसे नारे लगाते हुए जमा होने लगे।

युवा मोर्चा के अध्यक्ष मौके पर पहुंचे

धरने और भूख हड़ताल में पूर्व भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष मुकेश पारीक, पूर्व भाजपा नगरमंडल अध्यक्ष दीनदयाल ख्वास, समाजसेवी ऋषिराज सोनी और भाजपा के पूर्व जिला कार्यकारिणी सदस्य ओमप्रकाश दाधीच सहित कई लोग शामिल हुए। उन्होंने बिसाऊ की जमीनी हकीकत को बयां करते हुए अपनी बात रखी।

दीनदयाल ख्वास ने बताया कि नगरपालिका मंडल भंग होने के बाद से सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है। महीनों से नालियां साफ नहीं हुई हैं, जिससे बदबू और गंदगी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों के लिए बीमारियों के खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकारी इस समस्या पर आंखें मूंदे बैठे हैं।

अंधेरे के कारण घर से निकलना मुश्किल

मुकेश पारीक ने स्ट्रीट लाइट बंद होने के मुद्दे को उठाया और कहा कि सड़कों और गलियों में अंधेरा रहने से महिलाएं रात को बाहर निकलने से डरती हैं और दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने इसे सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि सुरक्षा का भी मुद्दा बताया।

बोले- लोगों का भूख हड़ताल करनी पड़ रही

ऋषिराज सोनी ने कहा कि स्थानीय लोगों ने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई और ज्ञापन सौंपे, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। उन्होंने बताया कि हालात इतने बिगड़ गए हैं कि लोगों को मजबूर होकर भूख हड़ताल जैसा कदम उठाना पड़ा। ओमप्रकाश ने कहा कि जब तक शहर की सफाई और रोशनी व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त नहीं होगी, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने इस लड़ाई को शहर के सम्मान और नागरिकों के अधिकार से जोड़ा।

आम नागरिकों का गुस्सा

धरने में शामिल आम लोगों ने भी अपनी व्यथा बताई। उन्होंने कहा कि जगह-जगह कचरे के ढेर लगे होने से मच्छर और मक्खियों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बना हुआ है। इस आंदोलन को किसी एक वर्ग या पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे शहर का आंदोलन बताया गया। धरने में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता, व्यापारी संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और सर्व समाज के लोग शामिल हुए।

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