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खेजड़ी राजस्थान का ‘राज्य वृक्ष’, काटने पर जुर्माना सिर्फ 100-रुपए:सूखे ठूंठ अंधेरे में जलाए, गीली लकड़ियां दफनाईं; विधायक बोले- पेड़ से पहले सिर कटने चाहिए


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खेजड़ी राजस्थान का ‘राज्य वृक्ष’, काटने पर जुर्माना सिर्फ 100-रुपए:सूखे ठूंठ अंधेरे में जलाए, गीली लकड़ियां दफनाईं; विधायक बोले- पेड़ से पहले सिर कटने चाहिए

खेजड़ी राजस्थान का 'राज्य वृक्ष', काटने पर जुर्माना सिर्फ 100-रुपए:सूखे ठूंठ अंधेरे में जलाए, गीली लकड़ियां दफनाईं; विधायक बोले- पेड़ से पहले सिर कटने चाहिए

बाड़मेर : बाड़मेर के बरियाड़ा और खोड़ाल गांव में सोलर कंपनी ENGIE, JAKSON GREEN बनाम ग्रामीण विवाद अब खत्म हो चुका है। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी की मौजूदगी में मंगलवार को वृक्षारोपण, भूमि मुआवजा समेत कई बिंदुओं पर सहमति बन गई है। 4 महीने से ग्रामीण मुआवजे और खेजड़ी के पेड़ों की कटाई के विरोध में धरने पर थे। खेजड़ी के लिए विधायक को ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठना पड़ा।

हमारे मीडिया कर्मी ने मंत्री, विधायक, ग्रामीणों और प्रशासन से बात की। इस दौरान चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। राज्य वृक्ष ‘खेजड़ी’ को काटने पर जुर्माना महज 50 से 100 रुपए है।

ऐसे में, अगर कंपनी या कोई पेड़ काट रहा है तो वह सस्ते में छूट जाता है। इतिहासकार बताते हैं- 1730 में अमृता देवी सहित 363 लोगों ने अपनी जान दे दी थी। पेड़ों से चिपक गए और उनके साथ ही कटने को तैयार हो गए। आज भी विश्नोई समाज पीपल की तरफ खेजड़ी को पवित्र मानता है।

इधर एक्सपर्ट कहते हैं- ये खेजड़ी सिर्फ पेड़ नहीं बल्कि रेगिस्तान की आत्मा का प्रतीक है। धोरों के बीच जहां जीवन पनपने की कोई आशा नजर नहीं आती वहां ग्रामीणों और मवेशियों के लिए खेजड़ी जीवन है। ये वो पेड़ हैं, जिसके बीज की सब्जी सबसे महंगी बिकती है। इससे सांगरी होती है, जिसे सूखने के बाद बाजार में 1500 रुपए किलो के हिसाब से बेचा जाता है। इसी खेजड़ी को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रेंड चला था। विधायक ने DSP, SDM को पैदल अपने साथ ले जा कर उस पेड़ की राख को दिखाया जिसमें से अभी भी धुआं उठ रहा था।

सबसे पहले वो तस्वीर, जहां सूखे पेड़ों को जलाया गया

तस्वीर, 1 जुलाई की है जब शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी धरनास्थल पर पहुंचे थे।
तस्वीर, 1 जुलाई की है जब शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी धरनास्थल पर पहुंचे थे।

सबसे पहले जानिए- क्या है पूरा मामला

बरियाड़ा और खोड़ाल गांव में सोलर कंपनी ENGIE और JAKSON GREEN अपना प्लांट लगा रही हैं। पिछले 4 महीने से खोड़ाल गांव के लोग और किसान सोलर कंपनी के खिलाफ धरने पर बैठे थे। मांग थी कि उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए और ओरण भूमि को अलग से मवेशियों के लिए छोड़ा जाए। किसानों ने आरोप लगाया कि प्लांट के लिए कंपनियां अंधाधुंध पेड़ काट रही हैं। खेजड़ी के पेड़ भी काटे जा रहे हैं। कंपनी जिस जमीन पर काम कर रही है, वह पूरी जमीन खड़ीन एरिया (रेगिस्तान का ऐसा इलाका जहां बारिश में पानी भर जाता है) में दर्ज है। पेड़ काटे जाने को लेकर विरोध किया तो उपखंड अधिकारी शिव से शांतिभंग के दो नोटिस दिला दिए।

जुर्माना केवल इतिश्री, सीएम से बात करेंगे

उद्योग मंत्री केके विश्नोई ने कहा था- मामला संज्ञान में है। केवल 50-100 रुपए जुर्माना के साथ इतिश्री की जाती थी। पूर्ववर्ती सरकारों का ध्यान इस महत्वपूर्ण विषय पर नहीं गया। एक डेलिगेशन सीएम से कानून को लेकर मिलने वाला है। आने वाले समय में खेजड़ी के जुर्माने का भी बड़ा सम्मानजनक आंकड़ा तय करने वाले हैं।

पेड़ से पहले सिर कटने चाहिए:

धरने पर बैठे शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा- डेढ़ किलोमीटर के एरिया में पेड़ जलाए हैं और दफनाए गए हैं। जहां खेजड़ी के लिए लोगों ने कुर्बानी दी, उसी राज्य में खेजड़ी का काटना दुर्भाग्यपूर्ण है। विधायक भाटी ने कहा- मंत्री (केके विश्नोई) मेरे अच्छे दोस्त हैं और साथी भी हैं। आप उसी कम्युनिटी से आते हैं जहां से मां अमृता देवी हैं। आपको तो ये कहना चाहिए कि जो खेजड़ी के पेड़ काटेगा उसको पहले हमारा सिर काटना होगा। वो कहते हैं ना- पहले रूह जाएगी, फिर पेड़ कटेंगे।

जुर्माना नहीं के बराबर

वन विभाग के मामले देखने वाले वकील भजनलाल विश्नोई ने बताया- 31 अक्टूबर 1983 में खेजड़ी को राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया था। आज के समय में प्राइवेट कंपनियां बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में सबसे ज्यादा आई हुई हैं। यह पेड़ आदिकाल से है। अंधाधुंध पेड़ों की कटाई चल रही है। कंपनियां लोगों की नहीं सुन रही हैं।

वकील विश्नोई का कहना है- इसका कोई विशेष कानून या प्रावधान नहीं है। वन विभाग की जमीन पर अगर खेजड़ी काटी गई है तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं। अगर खातेदार की जमीन है तो पता नहीं चल पाता। सामान्य आदमी की सुनवाई नहीं होती। आम आदमी को कानूनी प्रक्रिया में उलझा देते हैं। जुर्माना नहीं के बराबर है। खेजड़ी का पेड़ काटने पर 100 रुपए जुर्माना रखा है। यह आज के समय में नहीं के बराबर है।

यही पेड़ जिससे मिलती है कैर सांगरी

वकील ने बताया- खेजड़ी के पेड़ से सांगरी होती है। जो फाइव स्टार होटलों तक पहुंचती है। महंगी शादियों में इसका उपयोग में लिया जाता है। बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं, सोलर प्लांट के लिए खेजड़ी को काट रही हैं। सरकारें भी कंपनियों के आगे नतमस्तक है।

खेजड़ी वनस्पति नहीं, रेगिस्तान की आत्मा

बाड़मेर गर्ल्स कॉलेज की सहायक आचार्य डॉक्टर विमला (वनस्पति शास्त्र) ने बताया- थार का रेगिस्तान जो दूर से केवल रेत का समंदर लगता है, असल में उसके बीचोंबीच जीवन की एक मजबूत कड़ी सदियों से खड़ी है। वह है प्रोसोपिस सिनेरेरिया। जिसे हम खेजड़ी के नाम से जानते हैं, यह पेड़ सिर्फ एक वनस्पति नहीं, बल्कि रेगिस्तान की आत्मा है।

इतिहास: खेजड़ी बचाने के लिए कट गए थे 363 लोग

सिर सांठे रूंख रहे तो भी सस्तों जांण… राजस्थान में इस कहावत का मतलब है- सिर कटने से पेड़ बचता है तो सौदा सस्ता है। खेजड़ी का पेड़ बचाने के लिए 363 लोगों ने अपनी जान दे दी थी। ये बलिदान इतिहास के पन्नों में दर्ज है। सितंबर 1730… मंगलवार का दिन था। मारवाड़-जोधपुर के तत्कालीन महाराजा अभय सिंह नया महल बनवा रहे थे। महल निर्माण के लिए लकड़ियों की जरूरत थी। महल से 24 किलोमीटर दूर गांव खेजड़ली से पेड़ काटकर लाने का आदेश दिया गया था। सैनिक खेजड़ली गांव पहुंचे और रामू खोड़ के घर के बाहर लगा खेजड़ी का पेड़ काटने लगे। इसका रामू की पत्नी अमृता देवी ने विरोध किया था।

वह विरोध करते हुए पेड़ से चिपक गई थीं। तब सैनिकों ने उन्हें कुल्हाड़ी से काट दिया था। इसके बाद 362 लोग खेजड़ी के पेड़ से चिपक गए। उन सभी को खेजड़ी के साथ ही काट दिया गया था। जब महाराजा अभय सिंह तक यह बात पहुंची तो उन्होंने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। महाराजा ने बिश्नोई समाज को लिखित में वचन दिया कि ‘मारवाड़ में कभी खेजड़ी का पेड़ नहीं काटा जाएगा’। इस दिन की याद में खेजड़ली में हर साल शहीदी मेला लगता है।

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