मरीज़ों को मिलेगी लंबी लाइनों से मुक्ति:पुरानी पर्चियों का झंझट खत्म, डिजिटल रिकॉर्ड से डॉक्टर तुरंत कर पाएंगे इलाज, झुंझुनूं के सरकारी अस्पतालों में अब ‘आभा कार्ड’ से होगा इलाज
मरीज़ों को मिलेगी लंबी लाइनों से मुक्ति:पुरानी पर्चियों का झंझट खत्म, डिजिटल रिकॉर्ड से डॉक्टर तुरंत कर पाएंगे इलाज, झुंझुनूं के सरकारी अस्पतालों में अब 'आभा कार्ड' से होगा इलाज

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में अब सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज कराना और भी आसान होने वाला है। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में एक नई पहल की शुरुआत हो गई है, जिसके तहत अब ओपीडी पर्ची बनवाने के लिए मरीजों को अपना आभा आईडी (Ayushman Bharat Health Account ID) दिखाना या बनवाना होगा। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत लागू की गई इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य इलाज को और भी तेज, पारदर्शी और एकीकृत बनाना है।
जिले में 22 लाख से ज्यादा आभा कार्ड बने
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. भंवरलाल सर्वा ने बताया कि झुंझुनूं जिले में अब तक 22 लाख से ज्यादा आभा कार्ड बन चुके हैं, जो राजस्थान के अन्य जिलों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। इसी वजह से झुंझुनूं डिजिटल हेल्थ मिशन में राज्य में अग्रणी बन गया है। इस नई व्यवस्था को धीरे-धीरे जिले के सभी चिकित्सा संस्थानों में लागू किया जा रहा है।
डॉ. सर्वा ने बताया कि लोग अपने मोबाइल या कंप्यूटर से abha.abdm.gov.in पोर्टल पर जाकर भी खुद अपना आभा कार्ड बना सकते हैं। इसके अलावा यह सुविधा ई-मित्र केंद्रों और हेल्थ वेलनेस सेंटरों पर भी उपलब्ध है। यह पूरी प्रक्रिया निःशुल्क है।
झुंझुनूं में यह डिजिटल व्यवस्था सफल रही तो यह पूरे राजस्थान के लिए एक मॉडल बन सकता है। विभाग की योजना है कि भविष्य में ओपीडी के साथ-साथ भर्ती, जांच और दवा वितरण जैसी प्रक्रियाओं को भी आभा प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाए।
आभा कार्ड नहीं है तो अस्पताल में ही बनेगा
जिन मरीजों के पास अभी तक आभा कार्ड नहीं है, उनके लिए भी अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। यहां प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी कुछ ही मिनटों में मुफ्त आभा कार्ड बनाने में मरीजों की मदद करेंगे। कार्ड बनने के तुरंत बाद ही उनकी ओपीडी पर्ची भी जारी कर दी जाएगी।
आभा कार्ड से ऐसे बनेगी पर्ची
* मरीज को अस्पताल में अपनी आभा आईडी बतानी होगी या QR कोड स्कैन करना होगा।
* इसके बाद उसके मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा, जिससे पहचान वेरिफाई होगी।
* पहचान सत्यापित होते ही मरीज की डिजिटल हेल्थ प्रोफाइल अस्पताल के सिस्टम से जुड़ जाएगी।
* डॉक्टर और विभाग चुनने के बाद तुरंत ओपीडी पर्ची जनरेट हो जाएगी।
* इस डिजिटल पर्ची में मरीज का नाम, उम्र, लिंग, विभाग और अपॉइंटमेंट का समय दर्ज होगा।
मरीजों को होंगे ये बड़े फायदे
* डिजिटल मेडिकल हिस्ट्री: आभा आईडी के जरिए मरीजों की पुरानी पर्चियां, दवाएं, जांच रिपोर्ट और रेफरल एक ही जगह पर सुरक्षित रहेंगे। इससे पुरानी रिपोर्ट या पर्ची साथ ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
* तेज और सटीक इलाज: अगर मरीज दूसरे अस्पताल में इलाज करवाता है, तो डॉक्टर उसकी सहमति से उसका पुराना रिकॉर्ड देखकर सही इलाज कर पाएंगे।
* समय की बचत: नई प्रणाली से अस्पतालों में लंबी कतारें कम होंगी और ओपीडी पर्ची बनवाने की प्रक्रिया भी तेज होगी, जिसका फायदा खासकर बुजुर्गों, गंभीर रोगियों और गर्भवती महिलाओं को मिलेगा।
* डेटा पर पूरा नियंत्रण: मरीज की अनुमति के बिना कोई भी डॉक्टर या अस्पताल उसकी हेल्थ हिस्ट्री नहीं देख पाएगा। मरीज खुद तय कर सकेगा कि वह अपना रिकॉर्ड किसके साथ साझा करना चाहता है।
घर बैठे या ई-मित्र केंद्र पर भी बन सकता है आभा कार्ड