जम्मू-कश्मीर में शहीद राजस्थान के जवान को दी अंतिम विदाई:पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो रोते-रोते बेसुध हुईं पत्नी; फूट-फूटकर रोने लगे भाई, बेटी ने दी मुखाग्नि
जम्मू-कश्मीर में शहीद राजस्थान के जवान को दी अंतिम विदाई:पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो रोते-रोते बेसुध हुईं पत्नी; फूट-फूटकर रोने लगे भाई, बेटी ने दी मुखाग्नि

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रुस्तम अली खान
सरदारशहर : जम्मू-कश्मीर में शहीद राजस्थान के जवान भंवरलाल सारण (32) का पैतृक गांव में सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। सेना के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। छोटे भाई मुकेश ने जवान को मुखाग्नि दी। बुधवार दोपहर को जैसे ही जवान का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो पत्नी तारामणी रोते-रोते बेसुध हो गईं। परिजनों ने उन्हें संभालते हुए अंतिम दर्शन करवाए। छोटे भाई भी अपने आंसू रोक नहीं सके और फूट-फूटकर रो पड़े।
शहीद की पांच वर्षीय बेटी रितिका ने पिता की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित किया तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गई। इससे पहले सरदारशहर से पैतृक गांव लूणासर तक 45 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। दरअसल, चूरू के जवान भंवरलाल सारण 8 जून को देर रात डेढ़ बजे जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग सेक्टर में शहीद हो गए। सिर में गोली लगने के बाद उन्हें गंभीर अवस्था में इलाज के लिए ले जाया गया था, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी।

तिरंगा यात्रा में लगे जयकारे, घर पहुंचते ही मचा कोहराम
शहीद के पार्थिव शरीर को 9 जून की शाम श्रीनगर से दिल्ली लाया गया और 10 जून को दोपहर में सड़क मार्ग से सरदारशहर के लिए रवाना किया गया था। रास्ते में राजगढ़, तारानगर, भालेरी और राजस्थान बॉर्डर पर लोगों ने पुष्पवर्षा कर श्रद्धांजलि दी। रात करीब 10 बजे सरदारशहर के तिरंगा स्टेडियम में सैनिक सम्मान के साथ पार्थिव देह को रखा गया।
बुधवार सुबह बड़ी संख्या में लोग तिरंगा स्टेडियम पहुंचे। सुबह करीब 8.30 बजे ग्रामीणों और सेना के जवानों के साथ तिरंगा यात्रा 45 किलोमीटर दूर पैतृक गांव लूणासर के लिए रवाना हुई। दोपहर 11 बजे तिरंगा यात्रा शहीद के घर पहुंची। जहां पार्थिव देह को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया।
फोन पर बताया था गोली लगी है
पिता उमाराम ने बताया कि रेजिमेंट से सूचना मिली थी कि उनके बेटे के गोली लगी है। उस समय सेना ने गांव के सरपंच भंवरलाल पांडर से संपर्क कर उनका नंबर लिया था।
दो दिन पहले हुई थी बेटी से फोन पर बात
जवान भंवरलाल तीन महीने पहले घर पर छुटि्टयां बीताकर वापस घर लौटे थे। घटना से दो दिन पहले (6 जून) बेटी रितिका से फोन पर बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि बेटी, खूब पढ़ाई करना… तुझे आर्मी में बड़ा अफसर बनना है..।
2015 में सेना में भर्ती हुए थे
गांव के सरपंच भंवरलाल पांडर ने बताया कि भंवरलाल सारण 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वे हमेशा अनुशासनप्रिय, हंसमुख और सहयोगी स्वभाव के थे। सेना में रहते हुए भी वे गांव और परिवार से जुड़े रहे। वर्तमान में वे गुलमर्ग सेक्टर में तैनात थे।
छोटे भाई को भी सेना में जाने का सपना
भंवरलाल के छोटे भाई मुकेश सारण सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। अब भाई की शहादत ने उनके संकल्प को और भी दृढ़ कर दिया है। उन्होंने कहा-भाई ने जिस धरती के लिए प्राण दिए, मैं भी उसी राह पर चलूंगा। मां सुखी देवी का करीब 8 साल पहले बीमारी के कारण निधन हो गया था।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
सरपंच भंवरलाल पांडर ने बताया- परिवार को पहले केवल ये बताया गया था कि भंवरलाल ऑपरेशन में घायल हुआ है और इलाज जारी है। लेकिन आज जैसे ही पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो कोहराम मच गया। पत्नी तारामणी (30) बेसुध हो गईं। 5 साल की बेटी रितिका को पता ही नहीं है कि उसके पिता अब कभी लौटकर नहीं आने वाले हैं। शहीद भंवरलाल ने घटना से 2 दिन पहले फोन पर अपनी बेटी से कहा था कि बहुत पढ़ाई करना है, तुझे आर्मी अफसर बनना है।
शहीद की बेटी रितिका ने अग्नि दी
शहीद की बेटी रितिका ने शहीद के भाई की गोद में बैठकर अपने पिता को अग्नि दी, वहीं गांव के युवा मदन पांडर ने बताया गांव में यह खबर मिलते हि सन्नाटा सा पसर गया था।
ये रहे मौजूद
इस गौरवपूर्ण क्षण का साक्षी सरदारशहर एस डी एम दिव्या चौधरी, तहसीलदार रतनलाल मीणा, पूर्व विधायक कमला कसवां प्रधान, विधायक चूरू हरलाल सारण प्रतिनिधि, मधुसूदन राजपुरोहित, सभापति राजकरण चौधरी, उप प्रधान केसरी शर्मा, जिलाध्यक्ष इंद्राज खीचड़, राजेंद्र सिंह, छाजूसर, ताराचंद सारण, हरिराम सहू, बलदेव सारण, लालचंद मुंड, राजेश पारीक, जितेंद्र राजवी, हंसराज सिद्ध, हरलाल बेनीवाल, नरेंद्र सिंह, राजपुरोहित और हजारों की संख्या में ग्रामीण और क्षेत्र के लोग मौजूद रहे।
शहीद का अंतिम सफर …










