पर्यावरण की सुरक्षा के साथ जल संचय और जल संरक्षण भी आज की महत्ती आवश्यकता है : के के गुप्ता
केंद्र सरकार व राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप डूंगरपुर जिला प्रशासन 100 तालाबो की सफाई एवं गहरीकरण कर बनाएगा जल संचय में नया कीर्तिमान : के के गुप्ता

नई दिल्ली/जयपुर/उदयपुर : स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण राजस्थान सरकार के प्रदेश समन्वयक और नगर परिषद डूंगरपुर के पूर्व सभापति के के गुप्ता ने अवगत कराया है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नवाचार किए जा रहे हैं। वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत मिशन के रूप में एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय आंदोलन तथा एक पेड़ मां के नाम आह्वान के रूप में प्रत्येक देशवासी से वृक्षारोपण करने की अपील इन सभी में सम्मिलित है।
गुप्ता ने बताया कि राजस्थान प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा साहब द्वारा मोदी सरकार के जनकल्याण तथा पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रमों का अनुसरण करते हुए और उनके पद चिन्ह पर चलते हुए राजस्थान राज्य में भी पर्यावरण संरक्षण तथा जल संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज 5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस एवं गंगादशमी के अवसर पर प्रदेशव्यापी ‘ वंदे गंगा’ जल संरक्षण- जन अभियान का शुभारंभ होगा।
डूंगरपुर में हुआ जल क्रांति का शंखनाद, मॉडल के रूप में सौ तालाबों का चयन, बढ़ेगी गहराई
गुप्ता ने बताया कि जल संकट वैश्विक चुनौती बनता जा रहा है, मौजूदा दौर और वर्तमान काल में तापमान ने भविष्य की भयावह तस्वीर से जनता के रोंगटे खड़े कर दिए है। सरकारें अपने स्तर पर पानी बचाओ का नारा देकर जनजागरूकता लाने का प्रयास कर रही है, जल संरक्षण को लेकर देश-प्रदेश में कई तरह के कार्य चल रहे है, लेकिन दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल डूंगरपुर जिले में जल संरक्षण को लेकर सरकार की जल संचय की मंशा को धरातल पर उतारने अपने अंदाज में अलग तरह से अनूठी मुहिम शुरू की गई है।
सौ तालाबों का चयन, जिला प्रशासन जल संरक्षण कार्यो के प्रति है गंभीर प्रदेश समन्वयक के के गुप्ता स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) कर रहे निंरतर मोनिटरिंग :
जिला प्रशासन ने डूंगरपुर जिले के दस ब्लॉक में दस-दस मॉडल तालाब का चयन किया है। जिला कलक्टर अंकित कुमार सिंह एवं जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हनुमान सिंह राठौड़ इन तालाबों का सौंदर्यकरण, साफ-सफाई एवं गहराई बढ़ाने के कामों को लेकर गंभीर है। शासन की अवधारणा को धरातल पर मूर्त बनाने प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहा है। दस ब्लॉक में चयनित तालाबों की तस्वीर बदलने और जल संचय की कल्पना को साकार करने के लिए ग्राम पंचायत में पडऩे वालों तालाबों पर प्रभारी नियुक्त किए गए है। जिले के दस ब्लाक में चयनित सौ तालाबों की जलभराव क्षमता बढ़ाने जलआवक मार्गो से अवरोध हटाएं जा रहे है, तालाब की डिसल्टिंग की जा रही है। झांडियो की कटाई, पालों की मरम्मत और सौंदर्यकरण के कार्य किए जा रहे है। दस ब्लाक में चयनित तालाबों की स्थिति और हालात में परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
डूंगरपुर जिले में पहली बार तालाबों पर फोकस
गुप्ता ने बताया कि उनके नगर परिषद सभापति कार्यकाल के दौरान डूंगरपुर शहर की प्राचीन बावडियों और परंपरागत पेयजल स्त्रोतों को एमजेएसए के तहत पुर्नजीवित किया था और लाखों लीटर पेयजल प्रतिदिन शहरवासियों के लिए उपलब्ध कराया गया था। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप एक बार फिर डूंगरपुर जिले में जल संचय का बीडा उठाया गया है। पहली बार तालाबों का चयन किया गया है।
वर्ष 2015 से 2020 के दौरान डूंगरपुर निकालना जल क्रांति में बनाए है कीर्तिमान
के के गुप्ता ने अपने नगर परिषद अध्यक्षीय कार्यकाल में वर्षा जल संचयन में नवाचार कर कम लागत वाला “रेन वाटर हार्वेस्टिंग” मॉडल तैयार करने में सफलता हासिल की। गुप्ता के नेतृत्व में डूंगरपुर में एक अभिनव वर्षा जल संचयन प्रणाली विकसित की गई, जिसमें छतों से एकत्रित वर्षा जल को सीधे घरों के मौजूदा बोरवेल में भेजा गया जिसकी गूंज लोकसभा में दिनांक 04 दिसम्बर 2023 को हुई। इस प्रणाली में पाइप के भीतर ही रेत फिल्टर और बैकवॉश की सुविधा शामिल की गई, जिससे जल शुद्धिकरण सुनिश्चित हुआ। इस प्रणाली की लागत मात्र ₹ 16,000 आई, जबकि पारंपरिक प्रणालियों की लागत ₹ 50,000 से ₹1,00,000 तक होती है। डूंगरपुर नगर परिषद् ने इस प्रणाली को अपनाने वाले घरों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की, जिससे इसकी प्रभावी लागत ₹8,000 प्रति घर ही आई । डूंगरपुर के इस मॉडल की सफलता को देखते हुए, अन्य राज्य सरकारों ने भी इसे अपने प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया। गुप्ता ने वर्षा जल संचयन, पुराने तालाबों और जल स्रोतों का पुनर्जीवन, और जल संरक्षण के लिए विभिन्न पहलें शुरू कीं।
इसी प्रकार उनके गंभीर प्रयासों से डूंगरपुर नगर के पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार कर तालाबों और बावड़ियों का जीर्णोद्धार कराया गया। गुप्ता ने डूंगरपुर में पुराने तालाबों, बावड़ियों और जल स्रोतों की सफाई और गहरीकरण का कार्य किया, जिससे वर्षा जल का संचयन और भूजल स्तर में वृद्धि संभव हुई। स्थानीय ग्राम सभाओं और समुदायों के साथ मिलकर, गुप्ता ने सामुदायिक तालाबों का निर्माण और रखरखाव सुनिश्चित किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को कम किया जा सका। उन्होंने ई-कचरा प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट नियंत्रण, और कचरा प्रबंधन के लिए जागरूकता अभियान चला कर पर्यावरण संरक्षण में अभूतपूर्व योगदान किया।
गुप्ता के इन सराहनीय प्रयासों से उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले है।गुप्ता को नीदरलैंड सरकार और फिनिश संस्था द्वारा 2019 में, ठोस कचरा प्रबंधन और स्वच्छता कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही डूंगरपुर को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा एशिया और अफ्रीका के 16 शहरों में से एक के रूप में चुना गया, जहाँ स्वच्छता और कचरा प्रबंधन तकनीकों का मूल्यांकन किया गया। उनके प्रयासों को भारत सरकार और राजस्थान सरकार द्वारा भी सराहा गया है। के के गुप्ता ने डूंगरपुर नगर को स्वच्छता में अग्रणी बनाया जिसके फलस्वरूप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मन्त्रियों के हाथों उन्हें पुरस्कार सम्मान मिले ।