दौलतपुरा श्मशान घाट विवाद, जमीन के अलॉटमेंट आदेश रद्द:विरोध में ग्रामीणों ने जमकर किया प्रदर्शन; बोले- यहां 130 साल पहले से हो रहे अंतिम संस्कार
दौलतपुरा श्मशान घाट विवाद, जमीन के अलॉटमेंट आदेश रद्द:विरोध में ग्रामीणों ने जमकर किया प्रदर्शन; बोले- यहां 130 साल पहले से हो रहे अंतिम संस्कार

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले की ग्राम पंचायत चुड़ैला के राजस्व ग्राम दौलतपुरा में श्मशान घाट की जमीन को यथावत बनाए रखने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने जमकर प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन ने पहले आवंटित की गई श्मशान भूमि के आदेश को निरस्त कर दिया, जिससे ग्रामवासियों में भारी आक्रोश फैल गया है।
श्मशान को सुरक्षित रखने की अपली
ग्राम पंचायत चुड़ैला की ओर से आयोजित ग्राम सभा में संवेदनशील मुद्दे पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था, जिसमें सभी जातियों के लोगों ने भाग लिया। ग्रामवासियों ने प्रशासन से श्मशान स्थल को सुरक्षित रखने की अपील की।
दौलतपुरा की कुल आबादी लगभग 300 घरों की है, जिसमें जाट समाज का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत, मेघवाल 35 प्रतिशत, राजपूत 10 प्रतिशत और स्वामी 5 प्रतिशत हैं। यह श्मशान घाट पिछले 130 सालों से ग्राम के मेघवाल और जाट समाज द्वारा अपने बुजुर्गों की अंतिम क्रिया के लिए उपयोग में लिया जा रहा है। इस स्थल पर लगभग 250 से 300 पेड़, दो पानी की टंकी, एक टीन शेड और चारदीवारी बनी हुई है।
श्मशान की जमीन का आवंटन आदेश किया रद्द
तहसीलदार, गिरदावर और पटवारी द्वारा इस श्मशान भूमि का प्रस्ताव तैयार कर उपखंड अधिकारी मलसीसर को भेजा गया था। इसके बाद, जिला कलेक्टर को ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के साथ-साथ तहसीलदार बिसाऊ द्वारा की गई अनुशंसा भेजी गई। सभी आवश्यक प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद इस भूमि को श्मशान घाट के रूप में विधिवत आवंटित भी कर दिया गया था। बाद में कुल आबादी के मात्र 5 प्रतिशत एक विशेष समाज द्वारा इस निर्णय का विरोध किया गया। इसके चलते जिला प्रशासन द्वारा पुनः जांच करवाई गई और जांच के बाद कलेक्टर की ओर से पूर्व में किए गए श्मशान भूमि आवंटन के आदेश को निरस्त कर दिया गया।
130 साल पहले से हो रहे अंतिम संस्कार
प्रदर्शन के दौरान ग्राम पंचायत चुड़ैला के सरपंच राजीव चौधरी ने जिला प्रशासन के इस निर्णय को “ग्राम पंचायत व समस्त ग्रामवासियों के लिए किसी कुठाराघात से कम नहीं” बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह श्मशान घाट न केवल ऐतिहासिक महत्व का है, बल्कि इससे गांव की सामाजिक समरसता भी जुड़ी हुई है। “130 सालों से जो परंपरा चली आ रही है, उसे कुछ लोगों के दबाव में तोड़ा नहीं जा सकता,” उन्होंने दृढ़ता से कहा।
प्रशासन और ग्रामीणों के बीच टकराव की स्थिति
सरपंच राजीव चौधरी ने यह भी मांग की कि प्रशासन को पुनः जनहित को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय की समीक्षा करनी चाहिए और श्मशान भूमि को पूर्व की स्थिति में बहाल किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाई और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर अपने निर्णय पर पुनः विचार करने की मांग की। इस घटनाक्रम ने ग्राम पंचायत चुड़ैला और जिला प्रशासन के बीच एक सीधे टकराव की स्थिति पैदा कर दी है।