बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी जाना तय!:सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी खारिज की, दो सप्ताह में सरेंडर के निर्देश
बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी जाना तय!:सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी खारिज की, दो सप्ताह में सरेंडर के निर्देश

बारां : बारां के अंता विधायक (BJP) कंवरलाल मीणा की विधायकी जानी लगभग तय है। आज (बुधवार) सुप्रीम कोर्ट ने मीणा की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया। साथ ही उन्हें दो सप्ताह में ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की बेंच में आज सुनवाई हुई। विधायक के वकील नमित सक्सेना ने कहा कि इस मामले में रिवॉल्वर की कोई बरामदगी नहीं हुई है। ऐसे में क्रिमिनल फोर्स का कोई मामला नहीं बनता है।
वहीं जिस वीडियो कैसेट को तोड़ने और जलाने की बात कही गई है। उसे भी पुलिस ने बरामद नहीं किया है। ऐसे में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला भी यहां नहीं बन सकता है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए एसएलपी को खारिज कर दिया। वहीं विधायक को दो सप्ताह में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने के निर्देश दिए।
विधानसभा सचिवालय जारी कर चुका नोटिस
दरअसल, करीब 20 साल पुराने मामले में एक मई को हाईकोर्ट ने विधायक की अपील को खारिज करते हुए अपीलेंट कोर्ट (एडीजे, अकलेरा) के फैसले को बरकरार रखा था। अपीलेंट कोर्ट ने विधायक को राजकार्य में बाधा डालने, सरकारी अधिकारियों को डराने-धमकाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट से भी सजा बरकरार रहने के बाद कंवरलाल मीणा की विधायकी पर संकट खड़ा हो गया था। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत 2 साल से ज्यादा की सजा होने पर सांसद या विधानसभा सदस्य को अयोग्य करार दिए जाने का प्रावधान है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस ने विधानसभा सचिव से मिलकर विधायक पर कार्रवाई करने की मांग की थी। जिसके बाद विधानसभा सचिवालय ने विधायक को नोटिस जारी करके 7 मई दोपहर 12 बजे तक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अगर कोई सुप्रीम कोर्ट का स्टे आदेश है तो उसके बारे में जानकारी मांगी थी।
ऐसे में आज विधायक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मामले को मेंशन किया गया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को उनके सरेंडर पर रोक लगाते हुए अन्य पक्षकारों से चार सप्ताह में जवाब मांगा था। लेकिन हाईकोर्ट के पूरे आदेश पर रोक नहीं लगाई थी।

20 साल पहले SDM पर तान दी थी पिस्टल
करीब 20 साल पहले 3 फरवरी 2005 को झालावाड़ के मनोहर थाने से दो किमी दूर दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर गांव के लोगों ने खाताखेड़ी के उपसरपंच के चुनाव के संबंध में रिपोल करवाने के लिए रास्ता रोक रखा था।
सूचना पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार के साथ मौके पर पहुंचे। वे लोगों को समझा रहे थे। करीब आधे घंटे बाद कंवरलाल मीणा अपने कुछ साथियों के साथ मौके पर आया। उसने मेहता की कनपटी पर पिस्टल तानकर कहा कि दो मिनट में रिपोलिंग की घोषणा नहीं की तो जान से मार दूंगा।
मेहता ने उससे कहा- इस तरह से जान जा सकती है, लेकिन रिपोलिंग की घोषणा नहीं हो सकती है। गांव के लोगों ने कंवरलाल को समझाया। इसके बाद उसने विभाग के फोटोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर तोड़ दिया और फिर जला दिया। कंवरलाल ने डॉक्टर प्रीतम का डिजिटल कैमरा भी छीन लिया। जो करीब 20 मिनट बाद उन्हें लौटाया।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने कंवरलाल मीणा को 2 अप्रैल 2018 को दोषमुक्त किया था। लेकिन, अपील कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया था।
आपराधिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज नहीं कर सकते इसके खिलाफ कंवरलाल मीणा ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा- घटना के समय याचिकाकर्ता ने स्वयं को एक राजनीतिक व्यक्ति होना बताया। उस स्थिति में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह कानून व्यवस्था को चुनौती देने की बजाय उसे बनाए रखने में सहयोग करेंगे।
लेकिन, उन्होंने रिपोल की मांग करते हुए एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तान दी। उसे जान से मारने की धमकी दी। वीडियोग्राफर की कैसेट निकालकर उसे तोड़ दिया। इस घटना से पहले याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 आपराधिक केस दर्ज हो चुके थे। अधिकांश में उसका दोष मुक्त होना बताया गया है। लेकिन, फिर भी उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि को यहां पर नजरअंदाज किया जाना उचित नहीं है।