नरेश मीणा 20 साल पुराने मामले में बरी हुए:जज ने कहा- पुलिस ने कोई भी स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया, कॉन्स्टेबल भी नहीं हुआ पेश
नरेश मीणा 20 साल पुराने मामले में बरी हुए:जज ने कहा- पुलिस ने कोई भी स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया, कॉन्स्टेबल भी नहीं हुआ पेश

टोंक : देवली-उनियारा विधानसभा से उप चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे नरेश मीणा को गुरुवार को जयपुर महानगर प्रथम की एमएम-20 अदालत ने करीब 20 साल पुराने राजकार्य में बाधा डालने के मामले में बरी कर दिया। जज खुशबू परिहार ने अपने आदेश में कहा- इस मामले में पुलिस ने कोई भी स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया। जिस परिवादी (पुलिस कॉन्स्टेबल) को चोट लगी थी, वो भी ट्रायल के दौरान कोर्ट में पेश नहीं हुआ। ऐसे में साक्ष्यों के अभाव में नरेश मीणा को बरी किया जाता हैं।
आज नरेश मीणा को बूंदी सेन्ट्रल जेल से जयपुर लाकर अदालत में पेश किया गया। नरेश मीणा उप चुनाव में एसडीएम को थप्पड़ मारने सहित अन्य मामलों में जेल में बंद हैं।
यूनिवर्सिटी के घूमर कार्यक्रम में हुआ था हंगामा
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार 5 अगस्त 2004 को यूनिवर्सिटी कैम्पस में दोपहर 1 बजे घूमर कार्यक्रम चल रहा था। इसी दौरान पांडाल के महिला गेट पर कॉन्स्टेबल मानसिंह व अन्य पुलिस जाब्ता ड्यूटी पर था। इसी समय नरेश मीणा, मान सिंह मीणा अपने अन्य साथियों के साथ आए और जबरन स्टेज की ओर बढ़ने लगे।
पुलिस ने उन्हें रोका और समझाइश की कोशिश की। वे नहीं माने और जबरन स्टेज की ओर बढ़ने लगे। इस पर पुलिस ने उन्हें खदेड़कर बाहर निकाल दिया। इस दौरान नरेश मीणा और मानसिंह मीणा ने भीड़ को उकसाया और कहा कि इन पुलिस वालों को मारो। इस पर भीड़ में से किसी ने पुलिस पर पत्थर फेंका। यह पत्थर ड्यूटी तैनात कॉन्स्टेबल की आंख के ऊपर जाकर लगा। जिससे उसका खून बहने लगा। चोटिल पुलिस कॉन्स्टेबल की रिपोर्ट पर पुलिस ने गांधी नगर थाने में मामला दर्ज कराया था।
परिवादी कॉन्स्टेबल बयान देने ही नहीं आया
नरेश मीणा के वकील अब्दुल वाहिद नकवी ने मामले में बहस करते हुए कहा कि इस मामले में अभियोजन के सभी गवाह पुलिसकर्मी हैं। इसमें पुलिस ने एक भी स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया। जहां घटना घटी, वहां बड़ी संख्या में अन्य छात्र और टीचर मौजूद थे। गवाह के रूप पुलिसकर्मी संदेह से परे नहीं हो सकते हैं।
वहीं, परिवादी कॉन्स्टेबल ट्रायल के दौरान बयान दर्ज कराने ही नहीं पहुंचा। इसके साथ ही उन्होंने कहा- मामले में जांच अधिकारी ने घूमर पांडाल में मौका-नक्शा बनाने और घायल का मेडिकल कराने की सूचना रोजनामचे में दर्ज ही नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट की साफ-साफ फाइंडिंग है कि जब भी पुलिसकर्मी सरकारी काम से थाने से बाहर जाएगा और वापस आएगा, वह रोजनामचे में इसका इंद्राज करेगा। जरूरत पड़ने पर कोर्ट में इसे सबूत के तौर पर पेश किया जाएगा।

थप्पड़कांड में जमानत खारिज हो चुकी
देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान हुए थप्पड़ कांड में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। 19 मार्च को हुई सुनवाई में जस्टिस अनिल उपमन की कोर्ट ने नरेश मीणा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में हुई हिंसा के मामले में भी नरेश मीणा की जमानत याचिका 12 फरवरी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।
आपको बता दे कि नरेश मीणा 15 नवंबर 2024 से ही विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुए उपद्रव, आगजनी और SDM के थप्पड़ मारने के आरोप में जेल में बंद है। पहले टोंक और करीब एक माह से बूंदी जेल में बंद है। गुरुवार को पुलिस उसे जयपुर कोर्ट में लेकर गई थी।