वीर भूमि, जहां शौर्य और बलिदान की गूंज हर घर से आती है – INDEPENDENCE DAY 2025
झुंझुनूं वीर भूमि और सैनिकों का जिला कहलाता है. यहां हजारों सैनिकों ने देश की सीमाओं पर सेवा दी और सैकड़ों सपूतों ने बलिदान दिया.

झुंझुनूं : राजस्थान के उत्तर-पूर्व में स्थित झुंझुनूं जिला सिर्फ मानचित्र पर दर्ज एक नाम नहीं, बल्कि पूरे भारत में वीरता और बलिदान की भूमि के रूप में जाना जाता है. यहां की मिट्टी का हर कण देशभक्ति और शौर्य की कहानियों से भरा है. झुंझुनूं का इतिहास यह बताता है कि यहां का हर युवा मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहता है. इस जिले को “सैनिकों का जिला” और “वीर भूमि” कहा जाता है, क्योंकि यहां से निकलने वाले वीरों ने आजादी के बाद से लेकर अब तक हर युद्ध में अपना सर्वोच्च योगदान दिया है. परमवीर चक्र विजेता पीरू सिंह शेखावत इस भूमि की वीरता का जीवंत उदाहरण हैं, जिनकी बहादुरी आज भी युवाओं को प्रेरित करती है.
झुंझुनूं के सैनिकों का गौरवशाली योगदान:
सैनिक कल्याण अधिकारी रिटायर्ड कर्नल सुरेश जांगिड़ के अनुसार झुंझुनूं में वर्तमान में 44,404 सैनिक और पूर्व सैनिक मौजूद हैं. इनमें से लगभग 30,000 सैनिक इस समय देश की सीमाओं और रक्षा सेवाओं में तैनात हैं. अब तक इस जिले के 500 सैनिक मातृभूमि की रक्षा में शहीद हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि 1965 भारत-पाक युद्ध में झुंझुनूं ने देश के लिए सबसे बड़ा बलिदान दिया. जिले के 285 सैनिक इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए. 1971 युद्ध में इस भूमि के कई वीर सपूतों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. कारगिल युद्ध 1999 में झुंझुनूं के 15 सैनिकों ने अपनी जान देकर भारत की अस्मिता की रक्षा की. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि झुंझुनूं ने हर युद्ध में अग्रिम पंक्ति में रहकर देश की रक्षा की और भारत के गौरव को बढ़ाया।
जीवनशैली में रचा-बसा शौर्य:
झुंझुनूं की वीरता केवल इतिहास तक सीमित नहीं है. यहां के लोगों की दिनचर्या में भी यह जज्बा साफ झलकता है. सुबह 4 बजे गांवों और कस्बों के युवा फौजी बनने की तैयारी में दौड़ते दिखाई देते हैं. यह परंपरा बताती है कि यहां की नसों में वीरता और देशभक्ति पीढ़ी-दर-पीढ़ी बहती आई है. यहां शहीदों को केवल याद नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें देवता के समान सम्मान दिया जाता है. रक्षाबंधन पर बहनें अपने शहीद भाइयों की प्रतिमाओं पर जाकर राखी बांधती हैं. यह परंपरा इस बात का प्रमाण है कि यहां शहीदों के प्रति श्रद्धा केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा है.
गांव-गांव में वीरता की गूंज:
झुंझुनूं के हर गांव में सैनिकों और शहीदों की स्मृति में बनाए गए स्मारक मिलते हैं. ये स्मारक न केवल शहीदों की याद दिलाते हैं, बल्कि युवाओं को सेना में भर्ती होकर देश सेवा के लिए प्रेरित करते हैं. यहां का हर परिवार अपने बच्चों को बचपन से ही त्याग और शौर्य की गाथाएं सुनाता है. यही वजह है कि झुंझुनूं का हर बच्चा सेना में जाने का सपना लेकर बड़ा होता है.

शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण