नगर परिषद के वार्डों के जन भावनाओं के विपरित नियम विरुद्ध सत्ता के प्रभाव में किये गए परिसीमन पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश जारी कर लगाई रोक
नगर परिषद के वार्डों के जन भावनाओं के विपरित नियम विरुद्ध सत्ता के प्रभाव में किये गए परिसीमन पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश जारी कर लगाई रोक
जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष रफीक मण्डेलिया के निर्देशानुसार कांग्रेस कार्यकर्ता चूरू निवासी याचिकाकर्ता धनश्याम अलवरिया एवं सीताराम खटीक के द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय में सिविल रीट पीटीशन संख्या 7936/2025 दायर की गई जिस पर सुनवाई करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने स्वायत्त शासन विभाग (राजस्थान सरकार) के विशेष सचिव एवं निदेशक, जिला कलक्टर चूरू, नगर परिषद चूरू प्रशासक को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है तथा 20 मई 2025 तक परिसीमन पर रोक लगा दी गई है, याचिका में याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि चूरू में प्रस्तावित वार्ड विभाजन 13 फरवरी, 2025 की राज्य सरकार की अधिसूचना का उल्लंघन करता है, जिसमें कहा गया है कि वार्ड की आबादी औसत आबादी से 15% से अधिक भिन्न नहीं होनी चाहिए। उनका दावा है कि 2011 की जनगणना और अनुलग्नक-4 से जनसंख्या के आंकड़े इस सीमा से अधिक विसंगतियां दिखाते हैं। अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है और चूरू नगर परिषद में वार्ड निर्माण को अंतिम रूप देने पर 20 मई, 2025 तक रोक लगाने का आदेश दिया है।शहर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष असलम खोखर, सीताराम खटीक, धनश्याम अलवरिया, कांग्रेस प्रवक्ता एडवोकेट सद्दाम हुसैन, निवर्तमान पार्षद विनोद खटीक, बजरंग बजाड़ इत्यादि ने बताया की जिला प्रशासन चूरू एवं नगर परिषद प्रशासन ने नगर निकाय का जो जन भावनाओं के विपरित एवं नियम विरुद्ध तथा सत्ता के प्रभाव में गलत तरीके से किये गए परिसीमन पर राजस्थान उच्च न्यायालय के द्वारा 20 मई 2025 तक रोके लगाने तथा स्वायत्त शासन विभाग, जिला कलेक्टर, नगर परिषद प्रशासक से जवाब तलब करने से चूरू की आमजन में न्याय एवं आशा कि किरण जगी है तथा जन भावनाओं के अनुरूप एवं नियमानुसार परिसीमन का रास्ता साफ होगा।