[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

तुलसी गबार्ड के ईवीएम हैकिंग बयान ने क्यों मचाया सियासी तूफ़ान?


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
आर्टिकल

तुलसी गबार्ड के ईवीएम हैकिंग बयान ने क्यों मचाया सियासी तूफ़ान?

अमेरिकी नेता तुलसी गबार्ड के ईवीएम हैकिंग को लेकर दिए गए बयान से भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्ष और सत्तापक्ष आमने-सामने हैं, जानिए क्यों इस बयान ने सियासी तूफ़ान खड़ा कर दिया।

ईवीएम हैकिंग : अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के ईवीएम को हैक करने योग्य बताने वाले बयान ने भारत में राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस बयान ने न केवल भारत में ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक नया सियासी युद्ध भी छेड़ दिया है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गबार्ड के बयान को आधार बनाकर बीजेपी और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने ईवीएम की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सुरजेवाला ने कहा, ‘उन्होंने बताया कि ईवीएम और पूरी प्रक्रिया को हैक किया जा सकता है। पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर संदेह का गहरा बादल मंडरा रहा है। अमेरिका का मानना है कि बिना किसी अन्य प्रमाणीकरण के ईवीएम के माध्यम से किसी व्यक्ति के पक्ष में डाला गया वोट हेरफेर का कारण बन सकता है। 24 घंटे बीत चुके हैं और न तो भारत के चुनाव आयोग और न ही मुख्य चुनाव आयुक्त की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया आई है। पीएम मोदी, बीजेपी और एनडीए ने भी चुप्पी साध रखी है।’

सूत्रों के हवाले से चुनाव आयोग के जवाब आने को लेकर सुरजेवाला ने सवाल उठाया, ‘चुनाव आयोग स्रोत-आधारित ख़बरें क्यों फैला रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि हमारी ईवीएम ठीक हैं? चुनाव आयोग अमेरिकियों द्वारा खोजी गई ईवीएम की कमजोरियों, हेरफेर या खामियों को देखने को तैयार नहीं है। सबूत मांगने और संज्ञान लेने के बजाय, वे प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं कि हमारी ईवीएम पूरी तरह सही हैं। इतनी जल्दबाजी क्यों?’

तुलसी गबार्ड ने एक बयान में कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम लंबे समय से हैकर्स के लिए आसान निशाना रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि उनके पास ऐसे सबूत हैं, जो दिखाते हैं कि ईवीएम में हेरफेर कर वोटों के परिणाम बदले जा सकते हैं। गबार्ड ने इस आधार पर अमेरिका में पेपर बैलेट की वकालत की, ताकि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो। कहा जा रहा है कि उनका बयान अमेरिकी ईवीएम के संदर्भ में था, जो इंटरनेट और अन्य नेटवर्क से जुड़े होते हैं, न कि भारतीय ईवीएम के लिए जो पूरी तरह ऑफलाइन और स्टैंडअलोन हैं।

गबार्ड का यह बयान तकनीकी कमजोरियों और पिछले कुछ मामलों पर आधारित लगता है, जहाँ अमेरिका में ईवीएम सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल उठे थे। लेकिन, उन्होंने भारतीय ईवीएम का कोई ख़ास ज़िक्र नहीं किया। फिर भी, भारत में विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इसे अपने पुराने नैरेटिव को मज़बूत करने के लिए एक अवसर के रूप में लिया।

गबार्ड का बयान वैश्विक स्तर पर ईवीएम की विश्वसनीयता पर एक बहस को हवा देता है। अमेरिका जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देश में अगर ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं तो यह स्वाभाविक रूप से भारत जैसे देशों में भी चर्चा का विषय बन जाता है। हालांकि, भारत के संदर्भ में यह बयान कुछ हद तक गलतफहमी पैदा करता है, क्योंकि भारतीय ईवीएम की तकनीक और सुरक्षा व्यवस्था अमेरिकी सिस्टम से पूरी तरह अलग है। भारत की ईवीएम इंटरनेट से नहीं जुड़तीं और इन्हें हैक करने के दावों को चुनाव आयोग ने बार-बार खारिज किया है।

गबार्ड के बयान ने भारत में राजनीतिक दलों को अपनी-अपनी रणनीति के लिए एक हथियार दे दिया है। विपक्ष इसे लोकतंत्र की पारदर्शिता पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी इसे बेबुनियाद और भ्रामक क़रार दे रही है।

कांग्रेस ने तुलसी गबार्ड के बयान को आधार बनाकर बीजेपी पर हमला बोला, क्योंकि ईवीएम का मुद्दा लंबे समय से उसका प्रमुख नैरेटिव रहा है। पार्टी, विशेष रूप से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहले भी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते रहे हैं। गबार्ड का बयान उनके इस दावे को कथित रूप से वैश्विक समर्थन देता है। कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी की लगातार जीत में ईवीएम की भूमिका संदिग्ध है, और गबार्ड का बयान इस नैरेटिव को जनता तक ले जाने का एक मौक़ा देता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी की 48 सीटों की जीत और कांग्रेस के शून्य पर सिमटने के बाद यह मुद्दा और गर्म हो गया।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गबार्ड के बयान को हथियार बनाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने सार्वजनिक रूप से ईवीएम हैकिंग का मुद्दा उठाया है। ईवीएम वोटिंग परिणामों में हेरफेर के लिए असुरक्षित हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग इस मामले पर चुप क्यों हैं?’ सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि केंद्र की बीजेपी सरकार इस मुद्दे पर जवाब क्यों नहीं दे रही।

सुरजेवाला ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि गबार्ड का बयान इस बात का सबूत है कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर वैश्विक स्तर पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की और दावा किया कि यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा है।

मीडिया रिपोर्टों में चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारतीय ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित हैं। आयोग ने साफ़ किया है कि भारतीय ईवीएम इंटरनेट या किसी नेटवर्क से नहीं जुड़तीं और इन्हें हैक करना असंभव है। 5 करोड़ से अधिक वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन राजनीतिक दलों की मौजूदगी में किया जाता है और सुप्रीम कोर्ट भी इसकी विश्वसनीयता की पुष्टि कर चुका है।

गबार्ड का बयान और उस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया ने सोशल मीडिया पर व्यापक बहस छेड़ दी है। एक्स पर कई यूजरों ने गबार्ड के बयान को भारत से जोड़कर बीजेपी पर सवाल उठाए, जबकि अन्य ने इसे ग़लत संदर्भ में पेश करने की आलोचना की। यह मुद्दा मतदाताओं के बीच अविश्वास पैदा करने की क्षमता रखता है जो लंबे समय में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को नुक़सान पहुँचा सकता है।

गबार्ड का बयान भले ही अमेरिकी संदर्भ में था, लेकिन भारत में इसने एक राजनीतिक हथियार का रूप ले लिया है। कांग्रेस इस मुद्दे को 2026 के विधानसभा चुनावों तक जीवित रखना चाहेगी, जबकि बीजेपी और चुनाव आयोग इसे खारिज करने की कोशिश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट अगर इस मामले में दखल देता है तो यह और बड़ा मुद्दा बन सकता है। फ़िलहाल, यह सियासी ड्रामा भारत में ईवीएम की विश्वसनीयता और लोकतंत्र की पारदर्शिता पर बहस को और तेज करने वाला है।

Related Articles