जीणमाता मंदिर कल से अनिश्चितकाल के लिए बंद:मारपीट के बाद लिया फैसला; पुजारी धरना भी देंगे, गर्भ गृह में होती रहेगी पूजा
जीणमाता मंदिर कल से अनिश्चितकाल के लिए बंद:मारपीट के बाद लिया फैसला; पुजारी धरना भी देंगे, गर्भ गृह में होती रहेगी पूजा

सीकर : शक्तिपीठ जीणमाता मंदिर कल से अनिश्चितकालीन बंद रहेगा। श्री जीणमाता मंदिर ट्रस्ट की ओर से गुरुवार को इसकी घोषणा की गई। इस दौरान जीण भवानी के गर्भ गृह में रोजाना होने वाली पूजा का जारी रहेगी। हालांकि भक्तों को दर्शन नहीं हो पाएंगे। पुजारी मंदिर में धरना भी देंगे।
ट्रस्ट के सदस्य राकेश कुमार ने बताया- ट्रस्ट के लोगों में मंदिर के वार्षिक मेले के दौरान पुजारियों के साथ मारपीट के बाद से नाराजगी है। मंदिर कमेटी ने पुलिस और पुजारियों के साथ मारपीट करने वालों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है। मंदिर में सर्वसमाज पुजारियों की बैठक हुई थी। जिसके बाद मंदिर को अनिश्चितकालीन बंद करने का फैसला लिया गया।
उन्होंने बताया- जीणमाता के वार्षिक लक्खी मेले के दौरान 3 अप्रैल की रात को मंदिर के पुजारियों के साथ मारपीट की गई थी। जनेऊ तोड़कर और अभद्र भाषा का प्रयोग कर पुजारियों को अपमानित किया गया था। इसके बाद से संत समाज और पुजारियों में आक्रोश है।

तीन पॉइंट में पढ़िए क्या है पूरा घटनाक्रम…
1. बत्तीसी संघ के दर्शन करने के दौरान हुआ था विवाद
बत्तीस गांव से मिलकर एक संघ चैत्र नवरात्रि में षष्ठी तिथि को अपना निशान अर्पित कर जीणमाता के मंदिर में धोक लगता है। बत्तीसी संघ की ओर से जीणमाता पहुंचकर एक मीटिंग का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी भी मौजूद रहते हैं। इस बार भी संघ की ओर से जो मीटिंग हुई, उसमें दांतारामगढ़ एसडीएम मोनिका सामोर और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी मौजूद थे।
2. बैठक में सहमति के बाद भी ट्रस्ट के ज्यादा लोग मौजूद थे
मीटिंग में सहमति बन गई थी कि बत्तीसी संघ जब दर्शन करेगा, तब मंदिर ट्रस्ट के 3 पुजारी मौजूद रहेंगे। जब बत्तीसी संघ दर्शन करने आया, तब वहां पर तय की गई संख्या 3 से अधिक मंदिर ट्रस्ट के लोग मौजूद थे। इस बात पर दोनों पक्षों में विवाद के बाद मारपीट हो गई।
3. आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी
ट्रस्ट के सदस्य राकेश कुमार ने बताया- विवाद के बाद आरोपियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था। इसके बाद भी प्रशासन ने अब तक कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते सर्व समाज, संत और मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों की उपस्थिति में 11 अप्रैल सुबह 10 बजे से जीणमाता मंदिर अनिश्चितकालीन बंद करने की घोषणा की गई है।

अब जानिए- क्या है बत्तीसी का संघ
बत्तीसी संघ बाघोली, पचलंगी, पापड़ा, नीमकाथाना, नयाबास, राणासर जोधपुरा, जीणमाता समेत 32 गांवों के लोगों से मिलकर बना है। ये लोग खुद को मां जीण भवानी का वंशज मानते हैं। बत्तीसी संघ के लोग मानते हैं कि जीणमाता मंदिर पर उनका पहला हक है। बत्तीसी संघ ने जीणमाता मंदिर की देखभाल और पूजा की जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट को दे रखी है। बत्तीसी संघ जीणमाता मेले में सक्रिय रूप से भाग लेता है और माता को चुनरी ओढ़ाने की रस्म अदा करता है।
चैत्र नवरात्रि पर लेकर जाते हैं निशान पदयात्रा
संघ के लोग चैत्र नवरात्रि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को जीणमाता धाम के लिए निशान पदयात्रा, सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर, ऊंट गाड़ी, ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठकर रवाना होते हैं। ये झड़ाया बालाजी मंदिर में एकत्र होते हैं। इसको बत्तीसी का संघ कहा जाता है। जैसे-जैसे संघ आगे बढ़ता है कारवां जुड़ता जाता है।
सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलते हैं
यह संघ तीन दिन बाद चैत्र नवरात्रि में छठ तिथि को जीणमाता धाम में मेले में पहुंचता है। वहां अपने निशान अर्पित करता है। कई श्रद्धालु मन्नत मांगने के लिए और कई लोग मन्नत पूरी होने पर सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलते हैं। यह परंपरा कई साल पुरानी है।