नरेगा में ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध:सांसद राजकुमार ने कहा कि महिलाएं अपने सास ससुर के सामने कैसे घूंघट उठाएंगी, बांसवाड़ा में रेल की मांग को भी दोहराया
नरेगा में ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध:सांसद राजकुमार ने कहा कि महिलाएं अपने सास ससुर के सामने कैसे घूंघट उठाएंगी, बांसवाड़ा में रेल की मांग को भी दोहराया

बांसवाड़ा : बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने सदन में एक बार फिर क्षेत्रीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि रोजगार गारंटी योजना में महिलाओं के आंखों की स्क्रीनिंग के तहत हाजिरी सिस्टम हमारी संस्कृति के खिलाफ है। सांसद रोत ने लोकसभा की कार्यवाही के दौरान शून्यकाल में मनरेगा योजना में मेट-कारीगरों का समय पर भुगतान करने की मांग उठाई। सांसद रोत ने कहा कि सरकार ने ऑनलाइन हाजिरी सिस्टम लागू किया है, जिसमें मेट द्वारा महिलाओं के चेहरे व आंखों की स्क्रीनिंग से ऑनलाइन हाजिरी ली जा रही है। यह सिस्टम आदिवासी एवं देश के अन्य कई समाज की सामाजिक व्यवस्था के साथ-साथ हमारी संस्कृति को खत्म कर रहा है। हमारी संस्कृति में ससुर या जेठ के सामने बहू घूंघट नहीं उठाती है। पर, मनरेगा में ऑनलाइन उपस्थिति चालू हुई है। कई जगह कार्यरत महिला श्रमिकों के ससुर ही वहां मेट हैं। वे ही उपस्थिति लेंगे। कार्यस्थल पर उनकी ही बेटा-बहु और भाई की पत्नी भी काम कर रही हैं। ऐसे में घूंघट उठाकर ऑनलाइन फोटो अपडेट करने में खासी दिक्कत हो रही है।
सांसद राजकुमार रोत ने बांसवाड़ा को रेल सुविधा से जोड़ने का मुद्दा संसद में फिर उठाया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में ऐसे गिने-चुने ही जिले होंगे, जहां रेल सुविधा नहीं होगी। उनमें जनजाति क्षेत्र का बांसवाड़ा जिला भी शामिल है। सांसद ने कहा कि डूंगरपुर से रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना वर्ष 2012 में यूपीए सरकार ने स्वीकृत किया था। पर, 13 वर्ष बाद भी यह परियोजना अधूरी है। इसकी चाल देखकर लगता है आगामी 10 साल बाद भी पूरी नहीं होगी। रोत ने परियोजना को आगामी पांच वर्ष में पूरा करने की मांग की। साथ ही डूंगरपुर रेलवे स्टेशन का नाम भील राजा डूंगर बरण्डा के नाम से करने की मांग की। रोत ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों को रेल सुविधा से जोड़ा जाता है, तो जिले के लोगों को सामाजिक व आर्थिक लाभमिलेगा। उन्होंने अहमदाबाद और उदयपुर में रुकने वाली कई ट्रेनों को डूंगरपुर तक विस्तार देने की मांग की।