[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

रोज़ा (उपवास )शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर ओर ‌ मोटापे (वजह) को नियंत्रित रखता है – डॉ अख्तर अली खान ‌ फिजियोथैरेपिस्ट


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
चूरूटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

रोज़ा (उपवास )शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर ओर ‌ मोटापे (वजह) को नियंत्रित रखता है – डॉ अख्तर अली खान ‌ फिजियोथैरेपिस्ट

रोज़ा (उपवास )शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर ओर ‌ मोटापे (वजह) को नियंत्रित रखता है - डॉ अख्तर अली खान ‌ फिजियोथैरेपिस्ट

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थित‌ डॉ अख्तर अली खान स्टे रिलेक्सेटेड फिजियोथैरेपी हॉस्पिटल ‌ नई सड़क भरतीया कुए के सामने ने कहा रोज़ा का शारीरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण असर पड़ता है। जब कोई व्यक्ति एक निर्धारित समय तक भोजन और पानी का सेवन नहीं करता, तो उसका शरीर अपनी प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया को सक्रिय कर देता है। यह शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, रोज़ा रखने से हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है।वजन नियंत्रणः रोज़ा शरीर के अतिरिक्त वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है। रोजा उपवास रहने से शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरी और वसा जलने लगती है।पाचन तंत्र की सफाई उपवासी होने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर विषाक्त पदार्थों से मुक्त होता है. जिससे पाचन क्रिया सुधरती है। हृदय और रक्तचापः नियमित रूप से रोज़ा रखने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और हृदय संबंधित समस्याओं का खतरा कम होता है। इम्यून सिस्टम रोज़ा शरीर की प्राकृतिक डिटॉक्स प्रक्रिया को सक्रिय करता है, जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है।रोज़ा के दौरान शरीर में पानी की कमी और ऊर्जा के स्तर में बदलाव हो सकता है, लेकिन यदि सही तरीके से सहरी और इफ्तार किया जाए, तो यह समस्या भी नियंत्रण में रहती है। सही आहार और हाइड्रेशन शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।

रोज़ा और आध्यात्मिक महत्ता
रोज़ा का आध्यात्मिक पहलू सबसे महत्वपूर्ण है। रोज़े के दौरान, मुसलमान अपने दिल और आत्मा को शुद्ध करने के लिए न केवल भौतिक भोजन से परहेज़ करते हैं, बल्कि वे मानसिक और आत्मिक दृष्टि से भी आत्मसंयम का पालन करते हैं। जब मुसलमान अधिक से अधिक नफ्ल, नमाज़, तिलावत और दुआ करते हैं। रमजान का महीना विशेष रूप से अल्लाह के करीब जाने का मौका प्रदान करता है। रोजे से आत्मिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति का विश्वास अल्लाह में मजबूत होता है। रमजान का माहौल और उपवासी की स्थिति एक व्यक्ति को आत्म-निर्वासन और पवित्रता की ओर प्रेरित करती है। रोज़ा रखने से इंसान अपने गुनाहों की माफी मांगने का मौका पाता है और इसे धार्मिक दृष्टि से एक प्रकार की तौबा माना जाता है। यह एक अवसर है जब वह अपने आत्मा की सफाई करता है और अपने जीवन के मकसद को फिर से पहचानता है।आध्यात्मिक शांतिः रोज़ा आत्म-निरीक्षण और आत्म-समर्पण की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है। ईश्वर के करीब जाने का अवसरः रमजान के महीने में रोज़ा रखने से व्यक्ति को अल्लाह के करीब जाने का अवसर मिलता है। यह व्यक्ति की आस्थाओं को मजबूत करता है और आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।तौबा और माफीः रोज़ा रखने का एक उद्देश्य आत्मिक शुद्धि और गुनाहों की माफी प्राप्त करना होता है। व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकार करता है और आत्म-सुधार की दिशा में कदम बढ़ाता है।दीन-धर्म का पालनः रोज़ा रखने से व्यक्ति का चरित्र सुधरता है और वह नैतिकता, सत्यता और ईमानदारी की राह पर चलता है।रोज़ा हमें आत्म-निराशा और तात्कालिक सुख-संसार से बचने की प्रेरणा देता है। यह हमें याद दिलाता है कि असली सुख और शांति केवल अल्लाह की रजा में है, न कि भौतिक चीजों में। उपवासी होने के दौरान, हम दुनिया के नश्वर आकर्षणों से दूर होकर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं।रोज़ा और पर्यावरणीय महत्ता रोज़ा न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है. बल्कि इसका पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव होता है। रोज़ा रखने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

Related Articles