सांसद अमराराम बोले- सरकार को ब्याज समेत हिसाब देना होगा:नीमकाथाना के रामलीला मैदान में 2 हजार लोग जुटे; बाजार बंद, जयपुर कूच का लिया फैसला
सांसद अमराराम बोले- सरकार को ब्याज समेत हिसाब देना होगा:नीमकाथाना के रामलीला मैदान में 2 हजार लोग जुटे; बाजार बंद, जयपुर कूच का लिया फैसला

नीमकाथाना : एक साल पहले नीमकाथाना को कांग्रेस सरकार की ओर से जिला बनाया गया था, लेकिन शनिवार को भजनलाल सरकार ने जिले का दर्जा का वापस ले लिया। सरकार की इस घोषणा के बाद लोगों की नाराजगी अब सड़कों पर आ गई है। नीमकाथाना शहर में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं। जिलों को बहाल नहीं करने पर कांग्रेस समेत अन्य संगठनों और लोगों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
हमारी मीडिया की टीम जिला रद्द होने की घोषणा के बाद से ही ग्राउंड पर मौजूद है। शहर में अलग-अलग संगठन धरना प्रदर्शन और पुतले फूंक कर विरोध जता रही है। जिला संघर्ष समिति विरोध को बड़े स्तर पर ले जाने के लिए रणनीति बना रही है। शहर के खेतड़ी मोड़ पर सीएम का पुतला फूंका गया।

नीमकाथाना जिला बचाओ संघर्ष समिति ने रविवार सुबह 11 बजे रामलीला मैदान में जन आक्रोश सभा किया। इस सभा में धायक सुरेश मोदी, पूर्व आईएएस केएल मीणा, नगर परिषद के उपसभापति महेश मेगोतिया, पूर्व प्रधान कांता प्रसाद शर्मा सहित करीब 2 हजार से ज्यादा लोग लोग मौजूद रहे। सभा में सोमवार से अनिश्चित कालीन बाजार बंद करने का फैसला लिया गया। इसके साथ ही सर्व समाज से उग्र आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए अपील की गई। सभा के बाद रामलीला मैदान सर्किल पर टायर जलाकर और नारेबाजी की।

प्रदर्शन में शामिल सरपंच राजकुमार जाखड़ ने कहा- यदि नीमकाथाना को जिला बनाए रखना है, तो पूरे जिले के लोगों को एकजुट होना होगा। उन्होंने व्यापारियों से अपील की कि वे एकजुट होकर अनिश्चितकालीन धरने के लिए बाजार बंद करें। जरूरत पड़ी तो ट्रेनों को भी रोकने की कार्रवाई की जाएगी।
सांसद बोले- सरकार को ब्याज समेत हिसाब चुकाना होगा
सरकार के इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी दल कांग्रेस इसे जनता विरोधी करार देते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने क्षेत्रीय विकास की जरूरतों और जनता की भावनाओं को पूरी तरह से नजर अंदाज किया है। इसके साथ ही वे इस फैसले को सरकार की विफलता मानते हैं।
सीकर सांसद अमराराम ने कहा- नीमकाथाना जिले के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सीकर संभाग को भी हटा दिया गया है, यह जनता बर्दाश्त नहीं करेगी सरकार को यह खामियाजा ब्याज सहित भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक द्वेष के चलते संभाग और जिले को खत्म किया है इसका हिसाब भारतीय जनता पार्टी को चुकाना पड़ेगा। सीकर लोकसभा और नीमकाथाना विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिली। इसका बदला उन्होंने लिया है, अब सड़कों पर आकर आंदोलन किया जाएगा।
नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी ने कहा
नीमकाथाना जिले को गलत तरीके से हटाया गया है। नीमकाथाना पूरे मापदंडों को पूरा करता था। गहलोत राज में बने जिलों पहले बारीकी से जांच की गई थी उसके बाद जिले बना इनका हटना गलत है। नीमकाथाना को हटाने का फैसला सरकार को वापस लेना पड़ेगा और आंदोलन शुरू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सीकर, चुरू और झुंझुनूं में लोकसभा सीट भाजपा को नहीं मिली, इसलिए सीकर संभाग को हटा दिया गया। वहीं, नीमकाथाना में भाजपा का विधायक नहीं बना, तो जिले का दर्जा भी वापस ले लिया गया। उन्होंने कहा कि यदि नीमकाथाना को जिला नहीं बनाया गया तो जनता में उभर रहा आक्रोश जल्द ही आंदोलन का रूप ले लेगा और आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
विधायक ने यह भी सवाल उठाया कि यदि जिलों को हटाना ही था, तो इसके लिए एक साल तक इंतजार क्यों करवाया गया। उन्होंने इस फैसले को जनता के साथ अन्याय करार देते हुए सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की।
नीमकाथाना जिला घोषित होने के बाद से यहां 27 विभाग खोल दिए गए थे। नीमकाथाना जिले की सबसे पहली कलेक्टर श्रुति भारद्वाज थी, उन्होंने एडीएम कार्यालय में पदभार ग्रहण किया था। उसके बाद कलेक्टर की देखरेख में संस्कृत कॉलेज में कलेक्ट्रेट बनकर तैयार हो गया था।
नीमकाथाना कलेक्टर श्रुति भारद्वाज का यहां से डीग स्थानांतरण किया और शरद मेहरा को नीमकाथाना कलेक्टर लगाया। पहले एसपी अनिल बेनीवाल थे, उन्होंने डीएसपी ऑफिस में पदभार ग्रहण किया। उसके करीब 3 महीने बाद एसएनकेपी कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल में एसपी भवन तैयार किया गया अनिल बेनीवाल ने वहां पदभार ग्रहण किया। एसपी बेनीवाल का यहां से ट्रांसफर हुआ और प्रवीण नायक नुनावत को नीमकाथाना लगाया। 10 अक्टूबर को एसपी प्रवीण नायक नुनावत को राज्यपाल परिसहाय जयपुर लगाया गया। उसके बाद नीमकाथाना एसपी का चार्ज सीकर एसपी को दिया गया।
सीकर से नीमकाथाना की दूरी 110 किलोमीटर की थी। लोगों को सीकर जाना पड़ता था। नीमकाथाना जिला बनने के बाद सब काम नीमकाथाना होने लग गए थे। लोग ज्ञापन देने के लिए भी नीमकाथाना कलेक्ट्रेट पहुंचते थे।
4 विभागों अधिकारी लगना बाकी थे
नीमकाथाना जिला बनने के बाद परिवहन विभाग के डीटीओ, रोडवेज अधिकारी, रसद विभाग के डीएसओ सहित 4 विभागों के जिला अधिकारी नही बैठते थे। यहां अधिकारी भी बैठ गए थे।
नए जिले के बनने से प्रशासनिक कामकाज सुगम हुआ था, लेकिन इसके रद्द होने से क्षेत्रीय लोगों को अपने कार्यों के लिए दूर-दराज के जिलों में जाना पड़ेगा। इससे समय और संसाधनों की बर्बादी होगी, साथ ही प्रशासनिक बोझ भी बढ़ेगा। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
इस बदलाव से क्षेत्रीय असंतुलन की संभावना
पूर्व आईएएस केएल मीणा ने कहा- नवगठित जिले के रद्द होने से क्षेत्रीय असंतुलन बढने की संभावना बढ़ गई है। जिन क्षेत्रों को इस जिले में शामिल किया गया था वे अब विकास की गति में रुकावट का सामना कर सकते हैं। जब एक नया जिला बनाया जाता है, तो उस क्षेत्र के विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाती हैं। जिले का दर्जा रद्द होने से योजनाओं को लागू करना मुश्किल हो जाएगा।
अब तक जो निवेश और विकास कार्य चल रहे थे, वे ठप हो सकते हैं। इसके अलावा, सामाजिक मुद्दे भी गहरे हो सकते हैं, क्योंकि स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे थे कि यह कदम उनके जीवन स्तर में सुधार लाएगा। अब, इस असमंजसपूर्ण स्थिति से न केवल इन क्षेत्रों का विकास प्रभावित होगा, बल्कि अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
सरकार ने कहा- समाप्त किए गए जिलों की उपयोगिता नहीं थी
सरकार ने ये फैसला पूर्व आईएएस ललित के. पंवार की अध्यक्षता में गठित रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट और इसके बाद बनी मंत्री समूह की रिपोर्ट के आधार पर लिया है। शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक के के बाद इस फैसले की घोषणा की गई। इसमें कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि चुनाव से पहले नए जिले और संभाग बनाए गए थे। इनकी उपयोगिता नहीं थी।