प्रसव में लापरवाही मामले में कलेक्टर ने मांगी रिपोर्ट, जांच के लिए टीम गठित
तीन सदस्यीय डॉक्टरों की कमेटी करेगी प्रसव बीच में छोड़ देने के मामले की जांच

झुंझुनूं : शहर के बीडीके अस्पताल में प्रसव में लापरवाही के मामले में कलेक्टर ने पीएमओ से रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद पीएमओ ने इस मामले की जांच के लिए तीन डॉक्टरों की कमेटी गठित की है।
बता दें कि परिजनों ने अस्पताल की एमसीएच विंग में डॉ. आकांक्षा सैनी पर जुड़वां बच्चों की डिलीवरी के दौरान प्रसव बीच में छोड़ने का आरोप लगाया था। महिला के पेट में जुड़वा बच्चे थे। डॉक्टर ने एक का जन्म कराया और दूसरे की नाल काटकर प्रसव कराने से इनकार कर दिया था। बाद में निजी अस्पताल में दूसरे बच्चे का प्रसव कराया, लेकिन तब तक उसकी सांसें थम चुकी थी। कलेक्टर रामावतार मीणा के रिपोर्ट मांगने पर पीएमओ डॉ. राजवीर राव ने डॉ. रामस्वरूप पायल, डॉ. मनीषा चौधरी व डॉ. संजय ऐचरा की कमेटी बनाई है।
परिजनों का आरोपः डॉक्टर व स्टाफ ने अस्पताल से निकाला
शहर के मोतीसिंह की ढाणी निवासी सहदेव सैनी ने बताया कि छोटे भाई गोविंद की पत्नी अनिता देवी को 13 दिसंबर की रात 8:30 बजे बीडीके अस्पताल में भर्ती कराया था। रात करीब एक बजे डॉ. आकांक्षा सैनी ने प्रसव कराया। नॉर्मल प्रसव से एक बच्चे का जन्म हो गया। दूसरे बच्चे का जन्म नहीं होने पर डॉक्टर ने प्रसव कराने से मना कर दिया और कहा कि जल्दी से अनिता को दूसरे अस्पताल ले जाओ, वरना जान नहीं बचेगी। अनिता को ब्लीडिंग हो रही थी। इसके बावजूद डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया। हमने उनसे मिन्नतें की, लेकिन स्टाफ और डॉक्टर ने निकाल दिया। हमें किसी भी तरह के कागजात नहीं दिए। इसके बाद हम प्रसूता को निजी अस्पताल ले गए। वहां निजी अस्पताल की डॉक्टर ने बताया कि बच्चेदानी में रुई ठूंस रखी थी। बाद में मृत बच्चा पैदा हुआ। परिजनों ने पुलिस में भी इसकी शिकायत की है।
डॉक्टर का तर्कः परिजन अपनी मर्जी से अस्पताल से ले गए
डॉक्टर महिला का प्रसव कराने वाली डॉ. आकांक्षा सैनी का कहना है कि परिजन अपनी मर्जी से मरीज को इलाज के बीच में दूसरे अस्पताल लेकर गए थे। इस बार में लिखित में देकर गए हैं। दो जगह साइन भी किए हैं। वहीं पीएमओ डॉ. राजवीर राव का कहना है कि संबंधित चिकित्सक ने मुझे बताया है कि एक बच्चे में धड़कन नहीं थी। जो बच्चा जीवित था, वह पहले पैदा हो गया था। जिस बच्चे में धड़कन नहीं थी, वह नीचे नहीं आया था। इसलिए ड्यूटी डॉक्टर ने कहा कि थोड़ा इंतजार करते हैं। परिजनों ने इंतजार नहीं किया। परिजन दूसरी जगह ले जाना चाहते थे। उन्होंने खुद लिखकर दिया है। इसके बाद रेफर किया गया है। फिर भी जांच करा रहे हैं।