पशुपालक होंगे हाईटेक, एक प्लेटफार्म पर मिलेंगे अनेक फायदे:पशुओं के टैग नंबर को ही अब माना जाएगा आधार नंबर
पशुपालक होंगे हाईटेक, एक प्लेटफार्म पर मिलेंगे अनेक फायदे:पशुओं के टैग नंबर को ही अब माना जाएगा आधार नंबर

झुंझुनूं : पशु पालन विभाग जल्द ही प्रदेश भर के पशुपालकों को हाईटेक बनाने का प्रयास करेगा। इसके लिए विभाग की ओर से पशुपालकों को एप से जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही विभाग की विभिन्न योजनाओं या गतिविधियों को भी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने का प्रयास किया जाएगा।
विभाग की अधिक से अधिक सेवाओं का लाभ पशुपालकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर देने के प्रयास मिल सके। विभाग पशुओं के चिन्हीकरण, टीकाकरण, प्रजनन, पोषण एवं बीमारियों के उपचार और मोबाइल वेटनरी यूनिट सेवा को एकीकृत प्लेटफॉर्म पर संपादित कराने पर प्रयास करने पर जोर दे रहा है।
विभाग की ओर से इन प्रयासों को लेकर पशु पालन विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेश कुमार ने बताया कि भारत पशुधन एप के एनिमल हेल्थ मॉड्यूल को जल्द से जल्द लागू करने के लिए योजनाबद्ध रूप से तैयारी करने के निर्देश दिए हैं।
1962 एप अधिक से अधिक पशुपालकों से डाउनलोड करवाने को कहा गया है। ताकि वे योजनाओं का लाभ आसानी से और पशुओं के बारे में भी जानकारियां ले सके। किसानों के वॉट्सऐप ग्रुप पर 1962 एप डाउनलोड करने की भी बात कही गई है।
पशुपालक एप के माध्यम से पशुओं के उपचार के लिए सीधे ही कॉल सेंटर पर कॉल कर सकेंगे। पशुओं के टैग नंबर को उनका आधार नंबर माना जाएगा और उसी नंबर से उनका पंजीयन 1962 एप पर किया जाएगा।
इन पर भी किया जाएगा काम
विभाग की ओर से भारत पशुधन एप के एनिमल हेल्थ मॉड्यूल को जल्द से जल्द लागू करने के लिए योजनाबद्ध रूप से आवश्यक तैयारी करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा पशुओं के उपचार के लिए ई- दवा पर्ची का अधिक से अधिक उपयोग करने के निर्देश दिए हैं।
भारत पशुधन एप के नॉलेज सेंटर पर उपलब्ध जानकारियों को साझा करने के लिए आई गॉट कर्मयोगी प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की भी बात कही गई। बताया जा रहा है कि भारत सरकार की ओर से पशुओं के चिन्हीकरण, टीकाकरण, प्रजनन, पोषण तथा उपचार के लिए नेशनल डिजिटल लाइव स्टॉक मिशन संचालित किया जा रहा है।
इसकी तर्ज पर प्रदेश में भी पशुपालकों की सहूलियत के लिए कवायद शुरू की जा रही है।
इन सेवाओं को डिजिटलाइज करने के प्रयास
- पशुओं का चिह्नीकरण
- मवेशियों का टीकाकरण
- प्रजनन व पोषण एवं अन्य