सैन्य सम्मान के साथ झुंझुनूं के शहीद का अंतिम संस्कार:रोते हुए बेटी बोली- मुझे पापा पर गर्व है, उन्हें मैं हंसते-हंसते विदा करना चाहती हूं
सैन्य सम्मान के साथ झुंझुनूं के शहीद का अंतिम संस्कार:रोते हुए बेटी बोली- मुझे पापा पर गर्व है, उन्हें मैं हंसते-हंसते विदा करना चाहती हूं

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
सूरजगढ़ : मणिपुर में शहीद हुए झुंझुनूं के जवान विनाेद सिंह शेखावत का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया। मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे शहीद के बेटे राज्यवर्धन ने मुखाग्नि दी। अंत्येष्टि स्थल पर रोते हुए बेटी बोली- मुझे अपने पापा पर गर्व है। मैं उन्हें हंसते-हंसते विदा करना चाहती हूं।

मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव (सूरजगढ़ के काजड़ा) पहुंची थी। शहीद की पत्नी (वीरांगना) सुमन कंवर, बड़ी बेटी नैंसी, छोटी बेटी खुशी सहित पूरा परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
इससे पहले शहीद के घर पहुंचे जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल सुरेश कुमार जांगिड़ से लिपटकर नैंसी और खुशी फफक पड़ीं। खुशी एक ही रट लगाए हुए है- मुझे पापा दो, मुझे पापा दो..। उसे संभालना मुश्किल हो गया था।

वीरांगना सुमन कंवर ने अंतिम दर्शन के दौरान शहीद की पार्थिव देह को पकड़ लिया। बड़ी मुश्किल से छुड़ाया गया।

हॉस्पिटल में ली थी अंतिम सांस
शहीद के छोटे भाई रूपसिंह शेखावत ने बताया कि भैया अक्सर कहा करते थे कि देखना एक दिन तिरंगे मैं लिपटकर आऊंगा। विनोद सिंह शेखावत को 23 नवंबर को रात 11:40 बजे सर्विलांस ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ी थी। उन्हें इम्फाल (मणिपुर) स्थित शिजा हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ले जाया गया था। वहां रात करीब 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
उनकी पार्थिव देह मंगलवार को काजड़ा पहुंची थी, जहां राज्य सरकार की तरफ से जिला कलक्टर रामावतार मीणा व पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने उन्हे पुष्पचक्र अर्पित किए। शहीद विनोद सिंह शेखावत के बेटे राज्यवर्धन ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान जिला सैनिक कल्याण अधिकारी सुरेश कुमार जांगिड़, पूर्व सांसद संतोष अहलावत समेत अनेक गणमान्यजन मौजूद रहे।
2004 में सेना में भर्ती हुए थे
- काजड़ा (झुंझुनूं) के विनोद सिंह पुत्र जगमाल सिंह 2004 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे।
- वे सेना की इन्फैंट्री बटालियन 2 महार रेजिमेंट में हवलदार के पद पर तैनात थे।
- उनकी शहादत की खबर सुनते ही गांव में शोक की लहर छा गई।
- जवान विनोद सिंह के चार भाई हैं। उनके एक बेटा और दो बेटी हैं।
- पत्नी सुमन कंवर बच्चों की पढ़ाई के कारण जयपुर में रहती हैं।
तीन महीने पहले ही गए थे छुट्टी से
- विनोद सिंह (शहीद) के छोटे भाई रूपसिंह शेखावत ने बताया कि वे छह महीने पहले जयपुर शिफ्ट हो गए थे।
- करीब तीन महीने पहले परिवार से मिलकर वापस ड्यूटी पर गए थे।
- वो (विनोद) अक्सर कहा करते थे कि देखना एक दिन तिरंगे मैं लिपटकर आऊंगा।
- रूपसिंह ने भावुक होकर कहा कि देश के लिए कुर्बान होना बहुत बड़ी बात है। हमारा दुख इतना गहरा है कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
- दुख के साथ थोड़ी सी खुशी भी है कि उन्हें देश के लिए शहीद होने का सौभाग्य मिला। यह सम्मान हर किसी को नहीं मिलता।
फोटो में देखिए शहीद की अंतिम विदाई…














