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देश में बने चिकित्सा उपकरण खरीदें तो जांच व इलाज भी होगा सस्ता: डॉ. शर्मा


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देश में बने चिकित्सा उपकरण खरीदें तो जांच व इलाज भी होगा सस्ता: डॉ. शर्मा

जो MRI हम 6 करोड़ में बाहर से खरीद रहे हैं वह अपने देश में 3 करोड़ में ही बना लेंगे

पिलानी : हमारे चिकित्सा संस्थान विदेशों से महंगे उपकरण आयात करने की बजाय भारत में ही बने अच्छे और सस्ते मेडिकल प्रोडक्ट्स खरीदेंगे तो निश्चित तौर पर इसका फायदा आमजन को सस्ते इलाज के रूप में मिलेगा। जो मेडिकल टेस्ट आज 20 से 25 हजार रुपए में हो रहे हैं उनकी कीमत आधी भी नहीं रह जाएगी। यह बात भारत के मेडटेक मैन के रूप में पहचान बनाने वाले डॉ. जितेंद्र शर्मा ने कही। वे आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (AMTZ) के प्रबंध निदेशक और संस्थापक सीईओ हैं। डॉ. शर्मा शनिवार को पिलानी स्थित पिलानी पब्लिक स्कूल के वार्षिक समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे।

इस अवसर पर हमारे रिपोर्टर से विशेष बातचीत में डॉ. जितेंद्र शर्मा ने बताया कि देश में मेडिकल टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स बनाने पर काम शुरू हो चुका है। देश में ज्यादा से ज्यादा मेडटेक पार्क्स और क्लस्टर्स विकसित करने की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने भारत में ही मेडिकल टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स बनाने के साथ ही सरकार को अब वर्तमान में भारत में आयात हो रहे प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ानी होगी जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और भारत में ही बने प्रोडक्ट्स को बढ़ावा मिलेगा।

इससे हमारे मैन्युफेक्चरर्स को फायदा होगा और इस क्षेत्र में हमारा मार्केट भी विकसित हो सकेगा। डॉ. शर्मा ने बताया कि जो एमआरआई हम फिलहाल 6 करोड़ में बाहर से खरीद रहे हैं वही अपने ही देश में मात्र 3 करोड़ में ही बना लेंगे तो इसका फायदा सीधे-सीधे आमजन को मिलेगा। देश में ही बनी सस्ती मशीन मिलेगी तो विभिन्न टेस्ट जिनकी कीमत आज अगर मार्केट में 20 से 25 हजार है वही टेस्ट 10 से 12 हजार में होने लगेगा। इसके लिए उन्होंने चिकित्सा संस्थानों को इंडियन मेडिकल प्रोडक्ट्स को चुनने का आह्वान किया है ताकि अच्छे और सस्ते प्रोडक्ट्स का फायदा आम आदमी तक पहुंचे। डॉ. जितेंद्र शर्मा भारतीय बायोमेडिकल स्किल काउंसिल (IBSC) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने बताया कि देश में रोबोटिक सर्जरी से तो इलाज शुरू हो चुका है जिसमें रोबोट के जरिए कई जटिल सर्जरी की जा रही है। अब जल्दी ही रिमोट रोबोटिक सर्जरी तकनीकी का फायदा भी देश को मिलने लगेगा। इस पर तेजी से काम चल रहा है। इस तकनीक के जरिए एक अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर मीलों दूर बैठे दूसरे विशेषज्ञ डॉक्टर के सुपरविजन में रोबोट के जरिए सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दे सकेंगे। मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में खास तौर से हार्ट और दिमाग की सर्जरी में यह तकनीक एक मील का पत्थर साबित होगी।

जोधपुर के निकट मेडटेक पार्क विकसित करने पर चल रहा काम : देश में मेडिकल टेक्नोलॉजी जोन विकसित करने के लिए भारत सरकार की ओर से चार से पांच मेडटेक पार्क स्थापित करने की योजना बनाई। इसके लिए सरकार ने एक बड़ी चुनौती सभी राज्यों के सामने रखी। इसमें हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और उत्तरप्रदेश इन चार राज्यों का चयन हुआ। लेकिन इनमें से तीन राज्यों में पोर्ट नहीं है। राजस्थान में जोधपुर के निकट एक मेडटेक पार्क विकसित करने पर काम चल रहा है। इसके लिए डीपीआर भी हमने बनाकर राजस्थान सरकार को दी है। दो दिन पहले राइजिंग राजस्थान के तहत मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री की बैठक में भी पार्क को बढ़ावा देने पर बात हुई। लेकिन पार्क तक इंडस्ट्री लाने में कम से कम 5 से 6 साल तक का समय लग जाता है। कैंसर के इलाज के लिए राजस्थान में भी जल्द लगेगा साइक्लोट्रोन उपकरण : दवा और मेडिकल टेक्नोलॉजी का जुड़ाव भी जरूरी है। मेडिकल टेक्नोलॉजी में एक उपकरण है जिसे साइक्लोट्रोन कहते हैं। इससे एक रेडिया आइसोटोप बनता है जो पेट सिटी सेंटर में जाता है। यह सेंटर उस प्रोडक्ट का उपयोग कर पेट सिटी स्कैन करते हैं जिसके बिना कैंसर का इलाज संभव नहीं है।

आंध्रप्रदेश का पहला साइक्लोट्रोन विशाखापट्टनम में लगाया गया है। इसके बाद हाल ही छठ पूजा के दिन गृहमंत्री की मौजूदगी में हाजीपुर में बिहार में भी लगाया है। राजस्थान मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की बैठक में हमने कहा कि राजस्थान में भी साइक्लोट्रोन लगना चाहिए। अगर यहां लगेगा जो इसका फायदा भी राजस्थान की जनता को मिलेगा। प्रदेश में इस पर जल्द काम शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही।

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