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राजस्थान थप्पड़कांड- महिलाएं बोलीं, पुलिस ने हमें लाठियों से पीटा:एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले नरेश जिस घर में घुसे, वहां सबसे ज्यादा तोड़फोड़


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राजस्थान थप्पड़कांड- महिलाएं बोलीं, पुलिस ने हमें लाठियों से पीटा:एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले नरेश जिस घर में घुसे, वहां सबसे ज्यादा तोड़फोड़

राजस्थान थप्पड़कांड- महिलाएं बोलीं, पुलिस ने हमें लाठियों से पीटा:एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले नरेश जिस घर में घुसे, वहां सबसे ज्यादा तोड़फोड़

पुलिस ने महिलाओं को पीटा। छोटी-छोटी बच्चियों को भी नहीं बख्शा। गेट बंद किया तो तोड़ दिया।

ये निशान देखिए, पुलिस ने बेरहमी से मुझपर डंडे बरसाए। हमारा क्या कसूर था कि इतनी बुरी तरह पीटा।

पुलिस पर ये आरोप लगाए हैं समरावता गांव की महिलाओं ने।

थप्पड़कांड की आग में राजस्थान के देवली-उनियारा (टोंक) का समरावता गांव झुलस गया है। लपटें भले ही बुझ गईं, लेकिन कालिख लगभग हर घर पर है।

सबसे बुरी हालत में है कई कच्चे-पक्के घरों के बीच बना एक तीन मंजिला मकान। गेट से लेकर पार्किंग में खड़ी कार और चौक, बरामदे किचन और कमरे, हर तरफ तोड़फोड़ के निशान। फर्श से लेकर दीवारों तक जगह-जगह खून के निशान।

तीन मंजिला मकान में घुसते ही पार्क गाड़ी में की गई तोड़फोड़।
तीन मंजिला मकान में घुसते ही पार्क गाड़ी में की गई तोड़फोड़।

पुलिस से बचने के लिए घर में घुसे थे

हमारी की पड़ताल में सामने आया कि नरेश मीणा और उनके कई समर्थक पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए भीड़ के बीच में से बचते-बचाते इसी घर में घुसे थे।

उनका पीछा कर रही पुलिस का यहीं पर उनके समर्थकों से आमना-सामना हुआ था। हालांकि नरेश मीणा पुलिस के ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर पहुंचने से पहले ही छत से पास के ही कच्चे मकान के चद्दरों पर कूदकर पीछे के गेट से निकलकर खेतों में भाग गए थे।

पड़ताल में सामने आया है कि देर रात समर्थकों के पथराव के दौरान नरेश मीणा पुलिस हिरासत से छूट गए थे। छूटने के बाद नरेश मीणा वापस समर्थकों के बीच पहुंच गए और पुलिस को ललकार रहे थे।

इसी दौरान भारी तादाद में मौजूद पुलिस फोर्स ने दोनों साइड से घेर कर वहां लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद पुलिस व नरेश मीणा समर्थक आमने-सामने हो गए।

इसी दौरान नरेश मीणा को कुछ समर्थक गिरफ्तारी और पुलिस लाठीचार्ज से बचाने के लिए थोड़ी दूर आगे मौजूद एक पक्के घर में ऊपर की तरफ ले गए। इस घर के बाहर मीणा समर्थकों की भारी भीड़ भी जमा हो गई थी।

भीड़ मीणा को कवर दे रही थी।पुलिस फोर्स उग्र प्रदर्शनकारियों को काबू करने और मीणा को गिरफ्तार करने के लिए बल प्रयोग करते हुए इसी घर में घुस गई।

यहां भी नरेश मीणा के समर्थकों और पुलिस में जमकर संघर्ष हुआ। पुलिस नरेश मीणा को पकड़ पाती उससे पहले ही वो पास वाले मकान की तरफ कूदकर पीछे के गेट से खेतों की तरफ भाग गए।

मां-बेटी बोलीं- बच्चियों पर भी लाठियां बरसाईं

हमारे मीडिया रिपोर्टर ने उस घर में रहने वाली मां-बेटी से बात की। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने बेरहमी से पीटा। छोटी-छोटी बच्चियों और बच्चों पर भी लाठी बरसाई। गेट बंद किया तो तोड़ दिया। गांव के कई लोगों को पुलिस उठा ले गई। इस बवाल में कई लोग चोटिल और घायल हुए हैं। जिनका अभी तक कोई अता-पता नहीं है।

इसी घर में मौजूद दूसरी बेटी रूमाली से भी हमारे मीडिया कर्मी ने बात की। उसने बताया कि पुलिस ने उसे भी बेरहमी से पीटा। पास में ही बैठी उसकी मां बोली- हमारा क्या कसूर था ? हमने तो दिन भर पुलिसवालों की सेवा की थी। नरेश की भी गलती नहीं थी। वो तो ये सब हमारे लिए ही तो कर रहा था।

मां-बेटी ने बताया- उस दिन सब कुछ सही से चल रहा था। पूरे गांव ने अपनी मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि एसडीएम ने एक महिला सहित 3 लोगों पर प्रेशर बना वोट डलवा दिए थे। इसी के चलते नरेश मीणा ने गांव के समर्थन में उस एसडीएम के थप्पड़ जड़ दिया था।

महिला ने बताया कि पुलिस ने उसे बेरहमी से लाठियों से पीटा।
महिला ने बताया कि पुलिस ने उसे बेरहमी से लाठियों से पीटा।

पुलिस पर लगाए कई आरोप

दोपहर बाद सब ने अपने वोट भी डाल दिए थे। शाम में धरना चल रहा था और नरेश मीणा वहां लोगों के साथ बैठ कर खाना खाने की तैयारी में थे। तभी किसी ने उन्हें बताया कि पुलिस ने खाने के पैकेट लेकर आ रही गाड़ी को रोक लिया है।

इस पर नरेश धरने में से अकेले ही पैदल वहां पुलिस से बात करने के लिए चले गए थे। तभी वहां पर पुलिस वालों ने नरेश का हाथ पकड़कर उन्हें जीप में बैठा लिया।

इस बात का पता धरने में मौजूद भीड़ उग्र हो गई। लोगों ने पुलिस जीप को घेर लिया। भीड़ का गुस्सा देख पुलिस भी पीछे हट गई। मीणा पुलिस जीप से बाहर आ गए और सीधे धरने में पहुंच गए थे।

इसके थोड़ी देर बाद ही बड़ी तादाद में आई पुलिस ने धरने को दोनों साइड के रास्तों से घेर लिया। नरेश मीणा कुछ बोल रहे थे कि तभी पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। यहां अफरा-तफरी मच गई थी। हर कोई इधर-उधर भाग रहा था।

कुछ लोग नरेश को बचाने के लिए पड़ोस वाले घर में लेकर पहुंचे और यहां अंदर से गेट बंद कर लिए। इधर इसके बाद उग्र हुई भीड़ ने कई पुलिस वाहनों में आग लगा दी और पत्थरबाजी स्टार्ट कर दी। धीरे-धीरे यहां गांव में भारी पुलिस फोर्स पहुंच गई थी। पुलिस एक-एक घर में घुसकर लोगों को पकड़ रही थी और पीट रही थी।

घरों में पड़े मवेशियों के चारे में आग लगा दी। धरने में आए हुए लोगों के निजी वाहनों और बाइकों में तोड़फोड़ कर उन्हें भी आग के हवाले कर दिया। अचानक हमारे पड़ोस में बने इस दो मंजिला मकान में चीख-पुकार मच गई थी। अब इस घर में कोई भी नहीं है, सभी को पुलिस पकड़कर ले गई है।

13 नवंबर की रात समरावता गांव में वाहनों में आगजनी की गई। सुबह गाड़ियां कबाड़ बनी नजर आई।
13 नवंबर की रात समरावता गांव में वाहनों में आगजनी की गई। सुबह गाड़ियां कबाड़ बनी नजर आई।

एसपी बोले- पुलिस पर लगाए आरोप बेबुनियाद

एसपी ने बताया- ग्रामीणों और महिलाओं के साथ मारपीट और जबरदस्ती के कोई फैक्ट नहीं है। हमने ही तो वहां लाइट्स लगवाई हैं। ये सब तो ग्रामीणों के ही कंट्रोल में था। गेट तोड़कर घर में घुसने वाली बात सही नहीं है। पुलिस वहां लोगों को मारने या गाड़ियां जलाने नहीं गई थी।

हमारी गाड़ियां जलाई गई हैं और पत्थरबाजी भी हम पर हुई है। हमारी गाड़ियों में पथराव हुआ था। सबसे आगे एडीएम साहब की गाड़ी चल रही थी। सबसे पहले उसी में आग लगाई गई थी। इसी समय नरेश हमारी हिरासत से भाग गया था।

वहां बाहरी लोग जमा थे। बाहरी लोगों की ही गाड़ियां जली हुई हैं। जो गिरफ्तार हुए वो भी 80 से 90 प्रतिशत लोग बाहर के हैं। ये वहां क्या कर रहे थे? -विकास सांगवान, एसपी, टोंक

 

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