टोंक : देवली-उनियारा में 13 नवंबर को एसडीएम थप्पड़ कांड और फिर देर रात हुई आगजनी-पथराव के बाद समरावता गांव खाली हो गया है। गांव के लोग पुलिस से बचने के लिए खेतों और ढाणियों में छुपे हैं।
पुलिस और मीडिया की गाड़ियां देखते ही उन पर हमला कर रहे हैं। हमारी मीडिया टीम हालात जानने के लिए मौके पर पहुंची तो लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। मुश्किल से कुछ लोग बात करने को राजी हुए।
उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया- इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब ग्रामीण मतदान बहिष्कार कर धरने पर बैठे थे, तभी एक अधिकारी ने एक बुजुर्ग से जबरन वोट डलवाया। इसके बाद थप्पड़ कांड हुआ और फिर देर रात गांव में असामाजिक तत्वों ने तांडव मचाया। समरावता से पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…
पूरा गांव खाली, घरों में केवल महिलाएं 13 नवंबर की रात हुई आगजनी के बाद अगली सुबह हम समरावता गांव में दाखिल हुए। गांव में फोर्स और आग के हवाले हुए वाहनों के अलावा कोई भी पुरुष नजर नहीं आया। घरों में केवल महिलाएं थीं। पुलिस ड्रोन उड़ाकर हालातों पर नजर बनाए हुए थी।
गुरुवार की सुबह नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद उग्र भीड़ ने कुछ मीडिया कर्मियों पर भी हमला कर दिया था। कैमरा देखते ही भीड़ हमले कर रही थी। ऐसे में हमारी मीडिया टीम ने कुछ लोगों से ऑफ रिकॉर्ड बात कर पूरे घटनाक्रम की टाइमलाइन को समझा।
16 दिन पहले लिखी जा चुकी थी मतदान बहिष्कार की स्क्रिप्ट
हमारी बात समरावता गांव के उप सरपंच दिलखुश मीणा से हुई। दिलखुश ने कहा कि वे कैमरे पर कुछ भी नहीं बताएंगे। अभी प्रशासन मीडिया में आई वीडियोग्राफी में जिसे भी देख रहा है, गिरफ्तार कर रहा है।
उन्होंने बताया- नई तहसीलों के बाद समरावता गांव की एसडीओ कोर्ट चेंज हो गई और तहसील नगरफोर्ट हो गई थी। इसका गांव वालों को कोई ऐतराज नहीं था। करीब साल भर पहले एसडीओ कोर्ट दोबारा बदलकर देवली कर दिया गया, जिसका गांव वालों ने विरोध करते हुए कई बार ज्ञापन दिया। 29 अक्टूबर को गांव वाले एसडीएम को ज्ञापन देकर आए थे। इसके बावजूद जब मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो गांव वालों ने 10 नवंबर को धरना देने और उप चुनाव में मतदान न करने का निर्णय किया था।
13 नवंबर को गांव की सीमा पर ही 500 से 700 लोग धरने पर बैठ गए। सुबह 8 से 9 के बीच में नरेश मीणा मांगों का समर्थन देने धरना स्थल पर पहुंचे। लोगों ने उनको बताया कि एसडीओ कोर्ट बदलने से समरावता समेत कुल 8 गांव प्रभावित हो रहे हैं। 12 बजे तक लगभग पूरा गांव और आस-पास के गांवों के करीब ढाई हजार लोग भी मतदान बहिष्कार कर धरने वाली जगह पर एकत्र हो गए थे।
50 साल के बुजुर्ग के वोट डालने से भड़के लोग
एक युवक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया- धरना चल रहा था। इस बीच जानकारी मिली कि एक लकवाग्रस्त बुजुर्ग छोटूलाल मीणा वोट डालने पहुंच गए। युवक ने आरोप लगाया कि BLO हरीश वर्मा ने छोटूलाल से जबरन वोट डलवा दिया। इससे ग्रामीण भड़क गए।
मामला बढ़ता देख एडिशनल एसपी और तहसीलदार ने 5 लोगों को बातचीत के लिए बुलाया। गांव वालों की सिर्फ इतनी मांग थी कि कलेक्टर आकर उन्हें इस बात का लिखित में आश्वासन दें कि उनकी मांग पर जल्द सुनवाई की जाएगी। इस वक्त तक माहौल शांत था। लेकिन लिखित में आश्वासन नहीं मिला तो मामला बिगड़ गया। नरेश मीणा और उनके समर्थकों ने पहले ही तय कर लिया था कि जबरन मतदान करवाने वाले बीएलओ हरनाथ वर्मा को ही पीटकर भगाएंगे।
करीब डेढ़ बजे नरेश मीणा और गांव के 150 लोग स्कूल पहुंच गए। बातचीत और बहस के दौरान छोटू लाल मीणा के जबरन वोट डलवाने की बात से लोग भड़क गए। इसका विरोध करने गए नरेश मीणा और उनके समर्थकों की अधिकारियों से बहस के दौरान BLO वर्मा पर हाथ उठा दिया, लेकिन SDM बीच में आ गए। इसके बाद मामला तूल पकड़ गया।
हालांकि FIR में दर्ज घटनाक्रम में कहानी अलग है…
टोंक के नगरफोर्ट पुलिस थाना में नरेश मीणा के खिलाफ एसडीएम अमित कुमार चौधरी ने रिपोर्ट दर्ज करवाई है। इस एफआईआर में 13 नवंबर का पूरा घटनाक्रम दर्ज है। एफआईआर में दी जानकारी के अनुसार समरावता के ग्रामीणों को नरेश मीणा ने मतदान नहीं करने के लिए उकसाया। बूथ नंबर 183 के अंदर जाकर फेसबुक लाइव के माध्यम से बूथ के अंदर का वीडियो बनाया, साथ ही ईवीएम की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की।
जानकारी मिलने पर मैं 10.17 बजे समरावता गांव के पोलिंग बूथ पर पहुंचा। यहां ग्रामीणों ने रास्ता भी बाधित कर रखा था। मैंने मतदाताओं और ग्रामीणों को समझाया, इसके बाद एक मतदाता ने वोट भी डाला। इसके बाद पुन: समझाइश के लिए नरेश मीणा से बात की, लेकिन वे केवल जिला कलेक्टर से ही बात करने की मांग पर अड़े रहे। करीब 12 बजे एक अन्य मतदाता ने भी वोट डाला।
वोट डालने की सूचना मिलने पर नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ अचानक मतदान केंद्र के मुख्य द्वार पर जबरन धक्का मारकर गाली-गलौज करता हुआ अंदर आया और बूथ की ओर जाने लगा। ईवीएम मशीन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मैंने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह जबरन पोलिंग बूथ के अंदर घुस गया। कई प्रशासनिक अधिकारियों पर मीणा और उनके समर्थकों ने अचानक जानलेवा हमला कर दिया।
धक्का-मुक्की करते हुए मुझे थप्पड़ मार दिया और बाजू पकड़कर धक्का मारते हुए जान से मारने की धमकी दी और गला दबाया। इसके बाद गाली-गलौज करते हुए अपने साथियों के साथ मतदान केंद्र से बाहर निकल गया। घटना के बाद भी मेरे ऊपर हमला कर जान से मारने का प्रयास किया।
3 बजे वोटिंग शुरू हुई, रात 8.30 बजे तक चली
एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद नरेश मीणा वापस गांव समरावता पहुंच गए। थप्पड़ कांड के बाद गांव के स्कूल में दोपहर करीब 3 बजे वोटिंग शुरू हुई, जो रात 8.30 बजे तक चली। करीब 2500 लोगों की आबादी वाले इस गांव में बहुत कम लोग अपना वोट दे सके।
आरोप- पुलिस ने खाना रोका, बात करने गई भीड़ भड़की तो शुरू हुआ पथराव
गांव के कुछ लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ऑफ कैमरा बताया- नरेश मीणा और एसडीएम के बीच हुए थप्पड़ विवाद के बाद पुलिस ने गांव की घेराबंदी कर ली थी। इधर, पूरा दिन धरने पर भूखे प्यासे बैठे लोगों के लिए शाम को पलाई गांव से खाना मंगाया गया था। खाना गाड़ियों में आ रहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसे टोल पर ही रुकवा दिया। बातचीत के बाद खाना जब समरावता गांव पहुंचा तो उसे फिर से गांव के बाहर स्कूल के पास ही रोक दिया गया।
इस बीच नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे। उस समय करीब 9.30 बजे थे। पुलिस ने खाना लेकर आई गाड़ियों को रुकवा रखा था। बातचीत में समर्थकों को खाना खिलाने की बात पर सहमति बन गई। जैसे ही नरेश मीणा मुड़कर जाने लगे, तभी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने जैसे ही लाठियां भांजना शुरू की तो पांच मिनट में ही पूरा माहौल बदल गया। कुछ ने पास बने मकानों में छुपकर बचने की कोशिश की। लाठीचार्ज से समर्थक भड़क गए और पुलिस की गिरफ्त से नरेश मीणा को जबरदस्ती छुड़ाकर ले गए। उन्हें दूसरी जगह ले जाया गया।
10-15 वाहन फूंके, मवेशी जिंदा जले
गांव के ही कुछ युवकों ने बताया- रात 9.30 बजे नरेश मीना को पुलिस गिरफ्त से छुड़ाने के बाद पुलिस ने गांव में तलाशी अभियान शुरू किया था। मौका पाकर कुछ उपद्रवियों ने धरना प्रदर्शन वाली जगह के सामने बने उप सरपंच दिलखुश मीणा, उसके चाचा और एक अन्य रिश्तेदार के घर के बाहर खड़ी एक दर्जन बाइक और चौपहिया वाहनों मे आग लगा दी। उपद्रवियों ने करीब 10 से 15 वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
एक युवक ने बताया कि उसने दीवाली पर नई बाइक खरीदी थी, उसकी आरसी भी अभी तक नहीं आई थी। इस उपद्रव में जलकर राख हो गई। इस आगजनी में घरों के बाहर रखा पशुओं का चारा जल गया। एक किसान की बकरी भी जिंदा जल गई।
औरतों के बाजू टूटे, युवक लापता
पुलिस ने उपद्रव कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। सामने आने वाले हर व्यक्ति पर डंडे बरसाए। पुलिस की मार से बचने के लिए 70-80 लोग सामने बने मकानों में जा छुपे। उन्हें तलाश करती पुलिस ने घर में घुस कर लोगों को खदेड़ा। गांव की कई महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने महिलाओं को पीटा। कई औरतों और युवाओं को सिर, हाथ-पैर और पसलियों मे चोट आई है। खून के धब्बे फर्श और दीवार पर हादसे के 24 घंटे बाद भी हादसे की गवाही दे रहे हैं।
पुलिस की मार से बचने के लिए लोग 2 मंजिला मकान की छत से कूद पड़े। इनमें कई लोगों के पांव टूट गए। कुछ लोगों के सिर और हाथ में चोट आई। गाड़ियां जल जाने से लोग अपनों को अस्पताल भी नहीं ले जा सके। इस बीच लोगों ने गांव खाली कर दिया और गांव के अंदरूनी इलाकों में छुप गए। जब-जब पुलिस की कंपनी गांव से गुजरती या ड्रोन आसमान में नजर आता सभी लोग खेतों में छुप जाते और उनके जाने के बाद अपने घर को संभालने में लग जाते।
पुलिस बोली- हालात काबू में, नरेश मीणा गिरफ्तार
एसपी विकास सांगवान ने बताया- नरेश मीणा को बुधवार रात को ही डिटेन कर लिया गया था, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों और बाहर से आए उपद्रवियों ने पथराव कर दिया। जिस गाड़ी में नरेश को ले जाया जा रहा था, उस गाड़ी और पुलिस की टीम पर पथराव किया गया। इसके बाद समर्थक नरेश को पुलिस से छुड़ाकर ले गए।
एसपी ने बताया- एडीएम और पुलिस की गाड़ी को आग लगा दी गई थी। इसके बाद पुलिस लगातार आरोपी नरेश मीणा की तलाश कर रही थी। पुलिस ने 50 से 60 लोगों को उपद्रव करने के आरोप में वीडियो फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया है। उपद्रव में शामिल और लोगों की वीडियो के आधार पर खोजबीन की जा रही है।
उपद्रव के अगले दिन सुबह पुलिस पूरी तैयारी के साथ गांव पहुंची। आरोपी को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन जब वो नहीं माना तो हल्का बल प्रयोग कर उसे गिरफ्तार किया गया। – विकास सांगवान एसपी