सीकर जिले मे डीएपी की किल्लत, किसानों को निजी काउंटरों से खरीदनी पड़ रही डीएपी
सीकर जिले मे डीएपी की किल्लत, किसानों को निजी काउंटरों से खरीदनी पड़ रही डीएपी

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : श्रवण कुमार फगेडिया
सीकर : रबी की बुवाई के समय डीएपी-यूरिया की किल्लत के बीच सीकर जिले के सहकारिता विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अफसरों की लापरवाही के चलते खाद कंपनियों ने जिले की चार प्रमुख क्रय विक्रय सहकारी समितियों व 25 से ज्यादा जीएसएस काउंटरों पर डीएपी की सप्लाई रोक दी है। इस वजह से जिले के 100 से ज्यादा गांवों के 20 हजार से ज्यादा किसानों को निजी काउंटरों पर जाना पड़ रहा है। रबी की बुवाई से पहले सहकारिता विभाग को सहकारी बैंक, कृषि, इफ्को, कृभको व सहकारी समिति के उपरजिस्ट्रार कार्यालय के प्रतिनिधियों के साथ को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनानी थी। विभाग के अफसर ऐसा नहीं कर पाए और इसी कारण किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। खाद कंपनियों द्वारा आवंटित यूरिया-डीएपी को सहकारी काउंटरों के जरिये समान मात्रा में सप्लाई सुनिश्चित कराना को-ऑर्डिनेशन कमेटी का काम है। क्रय विक्रय व ग्राम सेवा सहकारी समितियों को खाद कंपनियों से अनुबंध कर एडवांस भुगतान करना था, लेकिन ये भी नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, सीकर व श्रीमाधोपुर क्रय विक्रय सहकारी समितियों के काउंटर पर इफ्को की ओर से डीएपी की सप्लाई नहीं की गई है। जिले में 25 से ज्यादा जीएसएस को भी डीएपी की सप्लाई बंद है।
सीकर में इफ्को, कृभको, सहकारी बैंक व कृषि विभाग के साथ सीजन से पहले उपरजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा डीएपी यूरिया की व्यवस्था को लेकर को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन नहीं किया गया है। संबंधित क्रय विक्रय व ग्राम सेवा सहकारी समितियों द्वारा भी भुगतान की व्यवस्था नहीं की गई है। इसे देखते हुए एजेंसी ने चार क्रय विक्रय समितियों सहित जिले की 25 से ज्यादा जीएसएस पर डीएपी की सप्लाई बंद की है। -शंकर लाल गठाला, क्षेत्रीय प्रभारी अधिकारी,
इफ्को लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, सीकर व श्रीमाधोपुर के 100 से ज्यादा गांवों के किसानों के सामने डीएपी का संकट है। जहां सहकारी काउंटर हैं, उस एरिया में निजी विक्रेता भी डीएपी-यूरिया नहीं बेचना चाहते हैं। इस वजह से किसानों को 10 से 20 किमी दूर निजी विक्रेताओं से डीएपी खरीदनी पड़ रही है।
पिपराली प स शिवसिंहपुरा के किसान सुल्तान सिंह ने बताया की शहर में डीएपी के लिए कई बार चक्कर लगा चुका हूँ, थक हार कर बिना डीएपी के ही बुआई करनी पड़ी। श्रीमाधोपुर के किसान सांवरमल का कहना है कि कस्बे के जीएसएस काउंटरों पर डीएपी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उसने रींगस से निजी विक्रेता से डीएपी की व्यवस्था की।
मैंने कुछ समय पहले ही जिम्मेदारी संभाली है। इस वजह से समन्वय समिति गठन को लेकर मुझे जानकारी नहीं है। जिन काउंटरों पर सप्लाई नहीं की जा रही है, वहां डीएपी यूरिया के भुगतान से जुड़ी समस्या नहीं है। इनमें ज्यादातर काउंटरों पर मशीन में स्टॉक अपडेट नहीं होने सहित अन्य समस्याएं है। जल्द ही सप्लाई व्यवस्था को सुचारू करा देंगे – राजीव थानवी, उपरजिस्ट्रार, सहकारी समिति सीकर
अब तक जिले में इफको ने 200 टन से ज्यादा डीएपी का आवंटन कर दिया है। इफको उन्हीं समितियों को डीएपी सप्लाई कर रहा है, जिन्होंने चेक एग्रीमेंट कर लिया है या एडवांस भुगतान किया है। समस्या का जल्द ही समाधान नहीं हुआ तो किसानों को डीएपी के साथ यूरिया किल्लत भी झेलनी पड़ सकती है।
सीकर जिले की ठिकरिया, लाडपुर, चैनपुरा, पिपराली, चक, चक मिटाई, रींगस व मलिकपुर ग्राम सेवा सहकारी समिति एरिया के 30 से ज्यादा गांवों के किसानों के सामने डीएपी की किल्लत बनी हुई है। इन समितियों से लगते हुए गांवों में बड़े स्तर पर रबी का बुवाई एरिया है। दांतारामगढ़ क्रय विक्रय काउंटर पर किसानों की मांग के अनुसार डीएपी की सप्लाई उपलब्ध हो रही है। रबी की बुवाई में डीएपी का उपयोग बिजाई के साथ किया जाता है। वहीं यूरिया पहली सिंचाई में काम आता है।