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‘अर्द्धनग्न शब्द का प्रयोग नहीं किया’; चूड़ियां भेंट करने पहुंचे टीचर्स, बैकफुट पर आए राजस्थान के शिक्षा मंत्री


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‘अर्द्धनग्न शब्द का प्रयोग नहीं किया’; चूड़ियां भेंट करने पहुंचे टीचर्स, बैकफुट पर आए राजस्थान के शिक्षा मंत्री

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान पर बवाल छिड़ा तो वे बैकफुट पर आ गए। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया और अपने बयान पर स्पष्टीकरण भी दिया।

जोधपुर : राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने फीमेल टीचर्स के ड्रेसअप को लेकर बयान दिया था, जिस पर विवाद गहरा गया था। विरोध करते हुए प्रदेश की महिला टीचर्स बीती रात उन्हें चूड़ियां भेंट करने पहुंचीं। विवाद बढ़ने पर मंत्री दिलावर बैकफुट पर आ गए और उन्होंने महिला शिक्षकों के कपड़ों वाले बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मैंने अर्द्धनग्न शब्द का प्रयोग नहीं किया। बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। मेरे कहने का मतलब वो नहीं था, जो दिखाया गया है और समझा गया है।

प्रदर्शनकारी टीचर्स को पुलिस ने रोका

जोधपुर के दौरे गुरुवार पर आए मंत्री दिलावर ने सर्किट हाउस में जनसुनवाई के बाद पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि मेरा भाव सिर्फ इतना है कि बच्चों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े, यह सोचकर उन्हें कपड़े पहनने चाहिए। मंत्री दिलावर ने कहा कि विद्यालय शिक्षा का मंदिर है और इसमें शिक्षकों को वेशभूषा का ध्यान रखना चाहिए। शिक्षा मंत्री के बयान के बाद शिक्षकों में आक्रोश बढ़ गया और वे बीती रात सर्किट हाउस में राजस्थान पंचायतीराज एवं माध्यमिक संघ की प्रदेश महिला संयोजिका बेबी नंदा के नेतृत्व में शिक्षा मंत्री दिलावर को चूड़ियां भेंट करने पहुंचे। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोका।

एक स्कूल के कार्यक्रम में दिया था बयान

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर बुधवार को प्रदेश के नीमकाथाना जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत स्कूल नृसिंहपुरी के लोकार्पण कार्यक्रम में आए थे। यहां उन्होंने बयान दिया कि महिला शिक्षकों को में स्कूल में अच्छे कपड़े पहनकर आना चाहिए। अकसर वे ऐसी ड्रेस पहनती हैं, जिससे शरीर दिखता है। बच्चे 7 से 8 घंटे स्कूल में रहते हैं और पढ़ते-सीखते हैं। आधा दिन वे टीचर्स के साथ बिताते हैं, इसलिए टीचर्स का उनके जीवन पर खास असर पड़ता है। कई टीचर्स गुटखा मुंह में दबाकर स्कूल पहुंच जाते हैं। समय पर नहीं आते और कुछ कहने पर दुर्व्यवहार करते हैं। बच्चे जो देखते हैं, सुनते हैं, वहीं सीखते हैं। इसलिए टीचर्स को बेहद सतर्क रहना चाहिए।

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