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‘कल्याण’ करने की बजाय कबाड़ हो रहे ‘बच्चियों के स्कूटर’, स्कूल के अहाते में रखे-रखे मिट्टी में मिल गए


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‘कल्याण’ करने की बजाय कबाड़ हो रहे ‘बच्चियों के स्कूटर’, स्कूल के अहाते में रखे-रखे मिट्टी में मिल गए

राजस्थान में गहलोत सरकार 2020 में शुरू की गई काली बाई भील स्कूल योजना में खरीदे गए स्कूटर धूल फांक रहे हैं। इसकी वजह है सरकारी उदासीनता और लापरवाही।

जयपुर : राजस्थान में सरकार और प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण है बांसवाड़ा के काॅलेज में खड़े 1500 स्कूटर। ये स्कूटर कल्याण योजना के तहत लड़कियों को मिलने थे, लेकिन सरकार और अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब धीरे-धीरे ये कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में काली बाई भील स्कूटी योजना के तहत बांसवाड़ा के दो काॅलेजों में वंचित वर्ग की लड़कियों को काॅलेज जाने के लिए ये स्कूटर दिए जाने थे। ये स्कूटर उन बच्चियों को मिलने थे जिनके माता-पिता की आय 2.5 लाख से कम और 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा में कम से कम 65 प्रतिशत अंक प्राप्त हो।

स्कूटरों की कीमत 12 करोड़ रुपये

जानकारी के अनुसार एक स्कूटर की कीमत 80 हजार रुपये है। ऐसे में सभी स्कूटरों की कीमत लगभग 12 करोड़ रुपये है। ये सभी स्कूटर पिछले एक साल से बासंवाड़ा के हरदेव जोशी काॅलेज और विद्यामंदिर काॅलेज परिसर में खड़े हैं। अधिकारियों की मानें तो स्कूटर में देरी का कारण पिछले साल दिसंबर में हुए चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए लगी आचार संहिता है।

एक सप्ताह में वितरित होंगे स्कूटर

पात्र विद्यार्थियों को स्कूटर तभी मिलता है जब वित्त विभाग उनके लिए एक क्यूआर कोड जारी करता है। मामले में राजस्थान के आदिवासी कल्याण मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर स्कूटर वितरित कर दिए जाएंगे। खराड़ी ने कहा कि कर्तव्य और सरकारी संपत्तियों के प्रति लापरवाही बरतने वाले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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