आन्तरिक परिवाद समिति का सभी विभागों, संस्थाओ में गठन अनिवार्य रामेश्वर प्रजापति
आन्तरिक परिवाद समिति का सभी विभागों, संस्थाओ में गठन अनिवार्य रामेश्वर प्रजापति

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर महिला एवं बाल विकास विभाग चुरु के सभागार में आयोजित साथिन, सुपरवाइजर को एक दिवसीय पोस एक्ट का प्रक्षिक्षण शिविर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से जिला एवं सत्र न्यायाधीश रविन्द्र कुमार के निर्देशानुसार डॉ शरद कुमार ब्यास की देखरेख में जिला संरक्षण अधिकारी जयप्रकाश की अध्यक्षता में शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति जिला अध्यक्ष सिवील राईट सोसायटी एवं सदस्य जिला विधिक चेतना समिति चुरु ने सेक्सुअल हरेसमेंट आफ वुमन अट वर्क पेलेस एक्ट की प्रतिभागीओं को ट्रेनिंग दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन होने पर जरूरत पड़ने पर तीन माह का जांच के दौरान अवकाश लेने का अधिकार है जांच के दौरान अन्य जगह स्थानांतरण भी किया जाने का प्रावधान है । कार्य स्थल विभाग, संगठन, उपक्रम, उद्यम, संस्था, स्थापन, कार्यालय, शाखा, युनिट, सरकार या स्थानीय प्राधिकरण, सहकारी कम्पनी, निगम, सहकारी समिति, द्वारा स्थापित या उसके निर्णयाधिन स्थान, प्राईवेट सेक्टर, अस्पताल या नर्सिंग होम, प्रक्षिक्षण, खेल कुद स्टेडियम,कि्रड़ास्थल, नोकरी सरकारी गैर-सरकारी कोई अन्य स्थान जिसमें नियोजक द्वारा उपलब्ध करवाई गई परिवहन सेवा, कोई निवास स्थान,गृह ऐसे उद्यम या व्यवसाय जिसमें कार्मिक की संख्या बीस से अधिक है वहां आन्तरिक परिवाद समिति का गठन माननिय उच्चतम न्यायालय के विशाखा बनाम राजस्थान राज्य निर्णय निर्देशानुसार एक्ट के प्रावधान अनुसार अनिवार्य है यदि गठन नहीं किया गया है तो ज़रुरत पड़ने पर संस्था के पिठासिन अधिकारी पर पचास हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाने का एक्ट में प्रावधान है। दस से कम स्दस्यों के संस्थानों की सुनवाई के लिए जिला मजिस्ट्रेट के स्थाई परिवाद समिति गठित की गई है जो समस्त असंगठित महिला कर्मियों की भी सुनवाई करेगी। प्रजापति ने सहभागी गण को प्रक्षिक्षण के पश्चात आदर्श परिवार निर्माण में मां के दुध ओर बच्चों के खान-पान ,ऐनिमीया रोग निवारण के लिए हिमोग्लोबिन बढ़ाने व अंकुरित अनाज को भोजन का हिस्सा बनाने का संदेश सहभागी गण को घर घर पंहुचाने का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम का संचालन प्यारेलाल न्योल ने किया।