नगर परिषद सभापति नगमा बानो को हाईकोर्ट से मिली राहत:DLB ने दिया था नोटिस, फिलहाल कार्रवाई पर लगाई रोक
नगर परिषद सभापति नगमा बानो को हाईकोर्ट से मिली राहत:DLB ने दिया था नोटिस, फिलहाल कार्रवाई पर लगाई रोक

झुंझुनूं : झुंझुनूं नगर परिषद सभापति नगमा बानो को हाईकोर्ट से आंशिक राहत मिली है। हाईकोर्ट ने डीएलबी की ओर से नगमा को जारी कारण बताओ नोटिस पर किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक दिन पहले ही मुनेश और नगमा के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए थे। इसे देखते हुए नगमा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट ने कहा है कि 10 सितंबर को नगर परिषद सभापति को जो कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उस पर कार्रवाई नहीं की जाए। उल्लेखनीय है कि नगर परिषद सभापति नगमा बानो पर लगे आरोपों को लेकर डीएलबी ने दस सितंबर को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
सभापति को डर था कि जयपुर हैरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर की तरह उसे भी निलंबित किया जा सकता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद माननगर में कांग्रेस कार्यालय में सभापति नगमा बानो, तैयब अली, खलील बुडाना, मनफूल बिजारणिया, प्रेम कस्वा, राकेश कुमार, उमर कुरैशी व अन्य ने मिठाई बांटी। कांग्रेस के पार्षदों ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया।
नगमा को दिया गया था कारण बताओ नोटिस
सभापति नगमा बानो को कारण बताओ नोटिस 10 सिंतबर को जारी किया गया था। नोटिस में एक आरोप नगर परिषद के कार्यों में उनके ससुर तैयब अली का हस्तक्षेप व राजकीय वाहन का उपयोग है। वहीं सभापति के ससुर तैयब अली द्वारा चूरू रोड पर बिना नगर परिषद की स्वीकृति के अवैध कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स का निर्माण करना बताया गया है। 10 सितंबर को डीएलबी डायरेक्टर ने स्पष्टीकरण नोटिस नगर परिषद सभापति को दिया था। जिसमें तीन दिन में जवाब मांगा गया था। इस नोटिस के खिलाफ सभापति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
भाजपा पार्षदों ने दिया था कांग्रेस का साथ
नगर परिषद झुंझुनूं में साढ़े चार साल से ज्यादा समय पहले हुए सभापति के चुनाव में भाजपा के पार्षदों ने भी कांग्रेस की नगमा बानो को वोट देकर सभापति बनाया था। तब भाजपा में गुटबाजी हावी रही थी। भाजपा की प्रत्याशी बतुला बानो को भाजपा के ही पार्षदों ने वोट नहीं दिया था। भाजपा के दस पार्षद जीतकर आए थे, निर्दलीय पार्षद बतूला बानो खुद भाजपा की प्रत्याशी थी। ऐसे में उनके पास कुल 11 वोट थे, लेकिन भाजपा को केवल छह वोट मिले थे। ऐसे में भाजपा के पांच पार्षदों ने भाजपा को वोट नहीं दिया था। इन्होंने कांग्रेस को वोट दिया था।