नीमकाथाना : जिले के नजदीकी तहसील पाटन के इतिहास मे यह पहली बार हुआ है कि राजस्व अधिकारी कर्मचारियों पर पद का दुरुपयोग, धोखाधड़ी षड्यंत्र, कुटरचना कर गलत तथ्य, जांच रिपोर्ट तैयार कर किसान को परेशान करने के खिलाफ ज्यूडिशल कोर्ट नीमकाथाना ने राजस्व कर्मचारियों के विरुद्ध पाटन थाने को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। राजपुरा निवासी दीपेंद्र पुत्र उमराव यादव के शिकायतवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है, कि इस के पूर्व दीपेंद्र यादव ने राजस्व कर्मचारियों की रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर उपखंड अधिकारी नीमकाथाना को आपत्ति दर्ज करवाई व अन्य अधिकारी से प्रकरण की पुनः जांच करवाई तो पूर्व जाच रिपोर्ट गलत पाई गई। इसको लेकर पाटन थाने को आवेदन देकर उक्त आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर करने से संबंधित प्रार्थना पत्र दिया था परंतु पाटन थाना ने कोई कार्रवाई नहीं कि उसके बाद प्रार्थना पत्र यादव ने पुलिस अधीक्षक नीम का थाना को लिखित पत्र देकर पाटन थाना को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने का निवेदन किया गया लेकिन पुलिस अधीक्षक के स्तर से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके बाद यादव ने न्याय पाने के लिए अदालत की शरण में शिकायत दर्ज करवाई इस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए पाटन थाना अधिकारी को आरोपित व्यक्तियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। * क्या है मामला।* काश्तकार दीपेंद्र पुत्र उमराव यादव की जमीन खसरा नंबर 6 व 7 ग्राम मोहनपुरा उर्फ खरकड़ा जो पाटन ग्राम की सीव से मिलता हुआ खेत है। उक्त भूमि के सामने से दक्षिण दिशा में पाटन से दलपतपुर की सड़क बनी हुई है जो यादव की जमीन के सहारे से जाती है। यादव ने अपने हिस्से की जमीन में से लक्ष्मी नारायण, नीलम, सज्जन कुमार निवासी कोटपूतली को विक्रय कर कर दी थी। यादव से खरीदी हुई जमीन में से आवासीय खसरा नंबर 872 / 870 रकबा 0. 4000 है. गैर मुमकिन आवासीय. खसरा नंबर 874 / 868 रकबा 0.37, है, आवासीय रिकॉर्ड में डाले गए तथा यादव की शेष जमीन रिकॉर्ड से आरोपी तहसीलदार पाटन हर पटवारी ने मिलकर गायब करने का आरोप लगाया है। और मौके के विपरित मुस्तगीस की जमीन का जो नक्शा बनाया गया वह सीमा ज्ञान के विपरीत आरोपी पटवारी ने जमीन का दूसरा नक्शा तैयार कर दिया। यादव ने इस पर उच्च अधिकारी के समक्ष आपत्ति दर्ज करवा कर प्रकरण के संबंध में उच्च अधिकारी ने नायब तहसीलदार पाटन को जांच अधिकारी नियुक्त कर दोबारा जांच करवा ने पर खुलासा हुआ कि पूर्व की रिपोर्ट गलत की गई है। अब पुलिस अनुसंधान मे सामने आएगा कि दोनो रिपोर्ट मे से कौन सी सही है और कौन सी गलत है।
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