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झुंझुनूं के वीर सपूत सितेंद्र सिंह का सैनिक सम्मान के साथ किया गया अन्तिम संस्कार


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झुंझुनूं के वीर सपूत सितेंद्र सिंह का सैनिक सम्मान के साथ किया गया अन्तिम संस्कार

जिला कलक्टर चिन्मयी गोपाल व एसपी राजर्षि राज वर्मा ने अर्पित किया पुष्पचक्र

सूरजगढ़ (झुंझुनूं) : INS ब्रह्मपुत्र में हुए हादसे में शहीद हुए सितेंद्र सिंह सांखला (23) का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। जैसे ही सितेंद्र तिरंगे में लिपटकर घर के आंगन में पहुंचे तो परिजनों की रुलाई फूट पड़ी।

शहीद सितेंद्र झुंझुनूं की सूरजगढ़ तहसील के डांगर गांव के रहने वाले थे। उनकी पार्थिव देह घर पहुंची तो मां प्रेम देवी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं। वे फूट-फूटकर रोने लगीं। बार-बार बेटे को पुकारने लगीं। रोते हुए उन्होंने कहा- मुझे मेरा लाल चाहिए। लोगों ने उन्हें दूर से ही पार्थिव देह के दर्शन कराए। बेटे के चेहरे को देख कर वह बेसुध हो गईं।

शहीद के घर से करीब 150 मीटर की दूरी पर स्थित कृषि भूमि पर अंतिम संस्कार किया गया। पिता पूर्ण सिंह ने बेटे को आखिरी बार नमन किया तो उनके आंसू निकल गए। नेवी के जवानों ने उनको तिरंगा और नेवल कैप सौंपी। बड़े भाई मनेंद्र ने उनको मुखाग्नि दी। इससे पहले मनेंद्र ने छोटे भाई को आखिरी सैल्यूट किया तो उनकी रुलाई फूट पड़ी।

शहीद सितेंद्र की तिरंगा यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। युवाओं ने सेना के ट्रक पर फूल बरसाए। रास्ते में पड़ने वाले गांवों से बड़ी संख्या में महिलाएं तिरंगा यात्रा देखने उमड़ी।
शहीद सितेंद्र की तिरंगा यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। युवाओं ने सेना के ट्रक पर फूल बरसाए। रास्ते में पड़ने वाले गांवों से बड़ी संख्या में महिलाएं तिरंगा यात्रा देखने उमड़ी।

9 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली
अंतिम संस्कार से पहले शहीद के सम्मान में झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ रोड बाइपास से उनके पैतृक गांव तक तिरंगा यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव के लोग भी सड़क पर निकल आए। इस दौरान शहीद सितेंद्र अमर रहे के नारे गूंजे। यात्रा में शामिल गाड़ियों के काफिले में देशभक्ति गाने बज रहे थे। शहीद के गांव के बाहर युवाओं ने तिरंगा यात्रा पर फूल बरसाए। गांव के चौक में बड़ी संख्या में महिलाएं शहीद की तिरंगा यात्रा देखने के लिए उमड़ी।

नौसेना के जहाज में हादसे में हुए थे शहीद
मुंबई स्थित नेवल डॉकयार्ड में मरम्मत के दौरान भारतीय नौ सेना के शिप INS ब्रह्मपुत्र में 21 जुलाई को आग लग गई थी। आग लगने के बाद युद्धपोत एक तरफ झुक गया था। जहाज पर लगी आग को 16 घंटे बाद बुझाया जा सका था।

जिस वक्त हादसा हुआ, तब आईएनएस ब्रह्मपुत्र पर लगभग 300 अधिकारी और अन्य कर्मचारी मौजूद थे। बाकी सभी जवानों को सुरक्षित निकाल लिया गया था, लेकिन सितेंद्र लापता थे। 24 जुलाई (बुधवार) को तड़के 3 बजे सितेंद्र का शव नेवी के गोताखोरों ने निकाला

झुंझनूं की धरती, बलिदानियों की धरती, वीरों को मेरा नमन

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी (चिड़ावा) कर्नल सुरेश जांगिड़ ने कहा- झुंझनूं की धरती, बलिदानियों की धरती है। आप देखते होंगे कि हर ऑपरेशन में झुंझुनूं का लाल जरूर देश का नाम रोशन करता है। यह सबसे बड़ा बलिदान है, इससे बड़ा बलिदान कोई नहीं होता। इन वीरों को मेरा नमन और सैल्यूट है।

शहीद भाई को अंतिम सैल्यूट, शहीद सितेंद्र पंचतत्व को बड़े भाई मनेंद्र ने मुखाग्नि दी।

शहीद की मां बोलीं- मुझे मेरा लाल चाहिए

बेटे सितेंद्र का पार्थिव शरीर जैसे ही घर के आंगन में आया मां प्रेम देवी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं। वे फूट-फूटकर रोने लगीं। बार-बार बेटे को पुकार रही हैं। रोते हुए उन्होंने कहा- मुझे मेरा लाल चाहिए।

दोहिते की पार्थिव देह घर पहुंचने पर रोने लगीं नानी

शहीद सितेंद्र के घर पर नानी का रो-रोकर बुरा हाल है। पूर्व सांसद संतोष अहलावत ने उन्हें संभाला और सांत्वना दी। दोहिते सितेंद्र का पार्थिव शरीर गांव पहुंच चुका है। घर के आस-पास हलचल होते ही नानी की रुलाई फूट पड़ी।

आग से बचने के लिए पानी में कूदा, बाहर नहीं आया : शहीद सितेंद्र के पिता पूर्ण सिंह सांखला ने बताया- युद्धपोत पर तैनात 100 से ज्यादा जवान जलने से बचने के लिए पानी में कूद गए। सितेंद्र भी पानी में कूद गया। सभी बच गए, लेकिन सितेंद्र पानी से बाहर नहीं आया। दो दिन बाद वो पानी में मिला।

तीन महीने पहले हुई थी चचेरे भाई की मौत

  • डांगर गांव के मधुप सिंह ने बताया- सितेंद्र सिंह सांखला 2018 में नेवी में नाविक के पद पर भर्ती हुए थे।
  • अभी 3 महीने पहले मार्च में ही चचेरे भाई की हादसे में मौत के बाद सितेंद्र गांव आकर गए थे। उनके परिवार में पिता पूर्ण सिंह और माता प्रेम देवी हैं। ये लोग गांव में ही रहते हैं।
  • आजीविका खेती-बाड़ी पर निर्भर है। सितेंद्र का एक बड़ा भाई मनेन्द्र सिंह (25) है, जो जोधपुर में निजी शिक्षण संस्था में शिक्षक हैं। साथ ही वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं।

अंत्येष्टि स्थल पर 5 जाट रेजिमेंट और राजस्थान पुलिस के जवानों ने शहीद को सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर दिया। बाद में मुम्बई से शहीद का शव लेकर पहुंची नेवी की टुकड़ी के अधिकारियों ने शहीद सितेंद्र सिंह के पिता पूर्णसिंह को तिरंगा और शहीद की कैप भेंट की। इससे पहले अंत्येष्टि स्थल पर पिता और बड़े भाई सहित जिले के प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और कई गणमान्य लोगों ने शहीद के शव पर पुष्प चक्र अर्पित किए।

शहीद के अंतिम संस्कार से जुड़ी मार्मिक तस्वीरें….

बेटा तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा तो मां प्रेम देवी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं। वे बेटे को पास से देखना चाहती थीं, लेकिन उन्हें दूर से ही बेटे के अंतिम दर्शन कराए गए।
बेटा तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा तो मां प्रेम देवी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं। वे बेटे को पास से देखना चाहती थीं, लेकिन उन्हें दूर से ही बेटे के अंतिम दर्शन कराए गए।
पिता पूर्ण सिंह ने शहीद बेटे को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनकी आंखें भर आईं।
पिता पूर्ण सिंह ने शहीद बेटे को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनकी आंखें भर आईं।
नेवी के जवानों ने शहीद सितेंद्र के पिता पूर्ण सिंह सांखला को तिरंगा और नेवल कैप सौंपी।
नेवी के जवानों ने शहीद सितेंद्र के पिता पूर्ण सिंह सांखला को तिरंगा और नेवल कैप सौंपी।
बड़े भाई मनेंद्र ने पुष्प चक्र अर्पित कर छोटे भाई सितेंद्र को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शहीद भाई को आखिरी सैल्यूट किया और रो पड़े। लोगों ने उनको संभाला।
बड़े भाई मनेंद्र ने पुष्प चक्र अर्पित कर छोटे भाई सितेंद्र को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शहीद भाई को आखिरी सैल्यूट किया और रो पड़े। लोगों ने उनको संभाला।
झुंझुनूं जिले की सूरजगढ़ तहसील के डांगर गांव में शहीद सितेंद्र सिंह सांखला का घर। शहादत की खबर मिलने के बाद से ही सन्नाटा पसरा है।
झुंझुनूं जिले की सूरजगढ़ तहसील के डांगर गांव में शहीद सितेंद्र सिंह सांखला का घर। शहादत की खबर मिलने के बाद से ही सन्नाटा पसरा है।
सितेंद्र की मां को जैसे ही बेटे की शहादत की सूचना मिली, वह जोर-जोर से रोने लगी। परिवार की महिलाओं ने उन्हें संभाला।
सितेंद्र की मां को जैसे ही बेटे की शहादत की सूचना मिली, वह जोर-जोर से रोने लगी। परिवार की महिलाओं ने उन्हें संभाला।
शहीद सितेंद्र सिंह सांखला की पार्थिव देह के आने से पहले चिड़ावा (झुंझुनूं) के डांगर गांव के तिराहे पर लोग तैयारियों में जुटे हैं। तिरंगा यात्रा का बैनर भी लगाया गया है।
शहीद सितेंद्र सिंह सांखला की पार्थिव देह के आने से पहले चिड़ावा (झुंझुनूं) के डांगर गांव के तिराहे पर लोग तैयारियों में जुटे हैं। तिरंगा यात्रा का बैनर भी लगाया गया है।
दादी और नानी का रो-रो कर बुरा हाल है। दोनों अपने सिंटू को पुकार रही हैं।
दादी और नानी का रो-रो कर बुरा हाल है। दोनों अपने सिंटू को पुकार रही हैं।
शहीद सितेंद्र के बारे में बताते हुए बड़े भाई मनेंद्र रो पड़े।
शहीद सितेंद्र के बारे में बताते हुए बड़े भाई मनेंद्र रो पड़े।

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