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कर्बला के शहीदों की याद में कत्ल की रात मनाई, झुंझुनूं में चांदी का ताजिया


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कर्बला के शहीदों की याद में कत्ल की रात मनाई, झुंझुनूं में चांदी का ताजिया

कर्बला के शहीदों की याद में कत्ल की रात मनाई, झुंझुनूं में चांदी का ताजिया

झुंझुनूं : दीने हक के के लिए कर्बला में शहीद हुए नवासा ऐ रसूल हजरत इमाम हुसैन की याद में कत्ल की रात मनाई। लोगों ने ढोल ताशे बजाकर मातम मनाया। मंगलवार शाम बाद नमाज असर या अली या हुसैन की सदाओं के बीच इमामबाड़ों से ताजिए बाहर निकाले गए। इमामबाड़ों के बाहर ताजियों की बैठक लगाई गई। उसके खीर, चूरमा, रोट, छबील बनाकर नियाज फातेहाखानी हुई। महिलाओं ने ताजियों के सामने मेहंदी की रस्म अदा की। शहर के मोहल्ला पीरजादगान में ताजिए के सामने अखाड़ा खेला गया। रात भर ढोल ताशे बजाकर मातम मनाया गया। ढोल ताशों की सदाएं फिजां में गूंजती रही।

चांदी का ताजिया आकर्षण का केंद्र : वैसे तो शहर में लगभग 11 ताजिए अलग-अलग मोहल्लों में निकाले गए। धोबियान बिरादरी का चांदी का ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। इस ताजिए के लाइसेंसधारी आमीन खोखर और उनके चाचा शाकिर खोखर ने बताया कि पूर्णरूप से चांदी से निर्मित लगभग 9 फुट का यह ताजिया मस्जिद चोपदारान के पास चौक में इसकी बैठक दो दिन तक एक जगह ही रहती है,जो दूसरे ताजियो के जुलुस के रूप मे नही चलता और दूसरे दिन यानि मोहर्रम की 10 तारिख को देर रात बाद इसको इमामबाड़ मे वापस रख दिया जाता है।

शाकिर खोखर ने बताया कि धोबियान बिरादरी का चादर और पन्नी का ताजिया निकाला जाता था। सन 1962 में किसी अकीदतमंद औरत ने चांदी से निर्मित एक हाथ जितना छोटा सा ताजिया चढावा मे चढाया तब से उनके दादा अब्दुल गनी खोखर जो उस समय के ताजिये के लाईसेन्सधारी थे। उन्होंने यह चांदी का ताजिया निकालना शुरू कर दिया। जो शहर और समीप गांवों के अकीदतमंदो के आकर्षण का केंद्र रहता है।

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