राजस्थान कांग्रेस से हो सकती है 400 नेताओं की छुट्टी:चुनाव में घर बैठे सीनियर लीडर्स पर भी कार्रवाई तय, प्रदेश से ब्लॉक तक बदलाव की तैयारी
राजस्थान कांग्रेस से हो सकती है 400 नेताओं की छुट्टी:चुनाव में घर बैठे सीनियर लीडर्स पर भी कार्रवाई तय, प्रदेश से ब्लॉक तक बदलाव की तैयारी

जयपुर : लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही कांग्रेस में बड़े बदलाव होंगे। कांग्रेस पदाधिकारियों की बड़ी फौज कार्यकारिणी से बाहर होगी और नई खेप की एंट्री होगी। चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ या काम नहीं करने वाले सभी पदाधिकारी हटाए जाएंगे। इनमें प्रदेश उपाध्यक्ष, महासचिव, जिला, मंडल और ब्लॉक पदाधिकारी शामिल हैं। सभी से पीसीसी ने स्पष्टीकरण मांगा है।
कांग्रेस में 40 प्रदेश महासचिव, 20 उपाध्यक्ष और 119 सचिवों सहित 400 ब्लॉक और 2200 मंडल अध्यक्ष-पदाधिकारी हैं। 15 से 20 महासचिव, 3 उपाध्यक्ष, 50 से 60 प्रदेश सचिव, इतने ही ब्लॉक अध्यक्ष और 300 मंडल अध्यक्ष और पदाधिकारी या तो निष्क्रिय रहे या अपने हिसाब से क्षेत्रों में चले गए।
पीसीसी ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष और महासचिवों को लोकसभा क्षेत्र या जिलों की जिम्मेदारी दी थी। प्रदेश सचिवों को उनके प्रभार वाले विधानसभा क्षेत्रों का चुनावी कामकाज की जिम्मेदारी थी। लेकिन 400 से अधिक पदाधिकारी वहां पहुंचे ही नहीं। इनमें प्रदेश स्तर के 50 से अधिक पदाधिकारी हैं। करौली-धौलपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा और पाली लोकसभा सीटों पर सबसे ज्यादा सचिवों ने काम नहीं किया।
अमीन, बालेंदु, शेखावत को बाहर कर चुकी
20 प्रदेश उपाध्यक्षों में से 10 पीसीसी हैडक्वार्टर में कार्य देख रहे हैं, लेकिन शेष 10 संभागों के प्रभारी थे, लेकिन उनमें से एक सुशील शर्मा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। वीरेंद्र सिंह और कैलाश मीणा ने विधानसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ा था। दोनों को बाहर कर दिया था। हालांकि वीरेंद्र सिंह की लोकसभा चुनाव से पहले वापसी हो गई थी। प्रत्याशी की नामांकन सभा में नहीं पहुंचने पर विधायक गणेश घोघरा को नोटिस दिया है। पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ जाने पर अमीन खान, तेजपाल मिर्धा व पीसीसी सदस्य बालेंदु शेखावत को पार्टी निष्कासित कर चुकी है।
अमीन ने कहा- मैं 85 साल का, 6 साल के लिए निकाला, कब तक रहूंगा
बाड़मेर में कांग्रेस के पूर्व विधायक अमीन खां का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा कांग्रेस ने 6 साल के लिए निष्कासित किया है। उम्र 85 हो गई है, 6 साल मैं जिंदा नहीं रहूंगा या नहीं। कोई भरोसा नहीं है। जाट मेरे खिलाफ थे, इसलिए निष्कासित किया गया। निर्दलीय के समर्थन पर बोले कि भाटी मेरा पड़ोसी है।
वोटिंग पर दिखा असर
असल में बूथ, मंडल, ब्लॉक और प्रदेश पदाधिकारियों के बेरुखी का असर वोटिंग प्रतिशत की कमी में भी देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के पदाधिकारियों के फील्ड में नहीं उतरने से वोटर बूथ पर नहीं पहुंचे। यह भी वोटिंग कम होने का बड़ा कारण माना जा रहा है।
पदाधिकारियों से पूछा…बताओ, चुनाव के दौरान कहां काम कर रहे थे
कांग्रेस ने पदाधिकारियों को स्पष्टीकरण के लिए जो पत्र भेजा है, उसमें लिखा है- बताओ, चुनाव के दौरान आप कहां काम कर रहे थे? अपने प्रभार क्षेत्र में कितनी बार गए, कितनी मीटिंग ली? किन-किन कार्यक्रमों में हिस्सा लिया? विधानसभा चुनावों और अब लोकसभा चुनाव के दौरान आपने कहां काम किया? प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की किस मीटिंग, किस कार्यक्रम में आप शामिल हुए? आपके नीचे के पदाधिकारियों के कामकाज की क्या स्थिति रही? यानी पार्टी के वॉर रूम ने जो रिपोर्ट बनाई है, उसके आधार पर स्पष्टीकरण से क्रॉस वेरिफिकेशन होगा, प्रदेशाध्यक्ष के स्तर पर उसकी जांच होगी और उसके बाद काम नहीं करने वाले पदाधिकारियों को कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।