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अब अर्जुन के इंजेक्शन के लिए चाहिए 1.80 करोड़ रुपए:10 दिन का समय बाकी, 6.50 करोड़ रुपए जुटाए क्राउड फंडिंग से


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अब अर्जुन के इंजेक्शन के लिए चाहिए 1.80 करोड़ रुपए:10 दिन का समय बाकी, 6.50 करोड़ रुपए जुटाए क्राउड फंडिंग से

अब अर्जुन के इंजेक्शन के लिए चाहिए 1.80 करोड़ रुपए:10 दिन का समय बाकी, 6.50 करोड़ रुपए जुटाए क्राउड फंडिंग से

नीमकाथाना : नीमकाथाना इलाके के स्यालोदडा के रहने 23 माह के मासूम अर्जुन स्पाइनल मस्क्यूलर एस्ट्रोफी (SMA TYPE-1) बीमारी से पीड़ित हैं। अर्जुन की जिंदगी बचाने के लिए अब 10 दिन के अंदर 1 करोड़ 80 लाख रुपए की जरुरत है। मासूम को Zolgensma इंजेक्शन लगाकर जान बचाई जा सकती है।

अब तक क्राउड फंडिंग से 6 करोड़ 50 लाख रुपए से अधिक जुटाए जा चुके हैं। गुरुवार कोनीमकाथाना शहर के श्री विश्वकर्मा मंदिर में एक दिवसीय फंडिंग कार्यक्रम का रखा गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने सहयोग किया। कार्यक्रम में जिला कलेक्टर शरद मेहरा भी पहुंचे। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक सहयोग करने की अपील की।

2 साल की उम्र से पहले लगाना जरूरी

बता दें कि अर्जुन को लगने वाले इस इंजेक्शन की कीमत 17.50 करोड़ है। इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी ने 8.50 करोड़ रुपए में इंजेक्शन देने और बाकी रकम किश्तों में लेने के लिए मान गई है। 6 करोड़ 50 लाख रुपए जुट गए हैं, बाकी के 1 करोड़ 80 लाख रुपए जुटाने के लिए 10 दिन ही हाथ में है, क्योंकि यह इंजेक्शन अर्जुन के 2 साल की उम्र का होने से पहले लगाना जरूरी है। इसके बाद इंजेक्शन भी काम नहीं करेगा। इस दौरान सहयोग करने वाले लोगों का भी सम्मान किया गया।

तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है ये बीमारी

अर्जुन दुर्लभ बीमारी एसएमए टाइप-1 से पीड़ित है, जो इस बीमारी का सबसे गंभीर रूप है। ये बीमारी मुंह और गले की मांसपेशियों का नियंत्रण करने वाली तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है। इसमें चबाने और निगलने से संबंधित समस्याएं अधिक होती हैं। रोग के सभी प्रकारों में श्वसन पेशियां अलग-अलग स्तर तक शामिल रहती हैं। एसएमए टाइप-1 में रोग का आरंभ बच्चे के जीवन के आरंभिक छह महीनों के अंदर दिखने लगता है। इससे पीड़ित बच्चे सहारे के बिना बैठ नहीं पाते और आमतौर पर दो वर्ष का होने से पहले ही उसकी मौत हो जाती है। इसका इलाज सिर्फ ZOLGENSMA इंजेक्शन ही है। अर्जुन अभी 23 महीने का है। अर्जुन के पिता पंकज जांगिड़ सिटी स्कैन मशीन ठीक करने वाली प्राइवेट कंपनी में टेक्निशियन हैं। अर्जुन के दादा रामजीलाल जांगिड़ और पिता पंकज ने लोगों से अपील की है कि ने वे खुद भी मदद करें व परिजनों, दोस्तों से भी सहयोग करवाएं।

जेके लॉन अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर प्रियांशु माथुर बताते हैं कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया भर में पैदा होने वाले 10 हजार बच्चों में एक बच्चा एसएमए रोग से प्रभावित होता है। अक्सर परिजन बच्चों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) के लक्षण को नजरअंदाज कर देते हैं। जिससे ख़तरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि इस बीमारी में एसएमए वाले बच्चों की अक्सर शारीरिक क्षमताएं प्रभावित होती हैं, लेकिन बौद्धिक रूप से यह सक्षम होते हैं। लेकिन निश्चित समय बाद इसका इलाज नहीं हो पाता है।

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