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अपणायत राजस्थान री:वे बाहरी नेता, जो राजस्थान की सियासी पहचान बन गए; मतदाताओं ने लोकसभा जिताकर राजस्थान का नेता बना दिया


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अपणायत राजस्थान री:वे बाहरी नेता, जो राजस्थान की सियासी पहचान बन गए; मतदाताओं ने लोकसभा जिताकर राजस्थान का नेता बना दिया

अपणायत राजस्थान री:वे बाहरी नेता, जो राजस्थान की सियासी पहचान बन गए; मतदाताओं ने लोकसभा जिताकर राजस्थान का नेता बना दिया

जयपुर : ‘पधारो म्हारे देश’ राजस्थान की मेहमान नवाजी में ही नहीं, सियासी मिजाज में भी है। 1952 के पहले आम चुनाव से अब तक प्रदेश के मतदाताओं ने 10 से ज्यादा गैर राजस्थानी नेताओं को लोकसभा भेजा है। इनमें से 5 को केन्द्र में बड़ी जिम्मेदारी मिली और वे प्रदेश की राजनीति की पहचान बन गए।

ये पांच चेहरे हैं- राजेश पायलट, चौधरी देवीलाल, बलराम जाखड़, बूटासिंह और सुरेन्द्र कुमार डे। इनके अलावा महंत चांदनाथ, धर्मेंद्र, सुरेंद्र कुमार डे और सुशीला बंगारू को भी राजस्थान में सीट व सम्मान मिला। सुमेधानंद सरस्वती और सुखबीर सिंह जौनपुरिया इस बार भी प्रत्याशी हैं।

बूटा सिंह

पंजाब से ताल्लुक रखने वाले बूटा सिंह आठवीं, दसवीं, बारहवीं और तेरहवीं लोकसभा के लिए जालोर सीट से सांसद चुने गए। 1998 का चुनाव निर्दलीय और अन्य तीन कांग्रेस के टिकट पर लड़े। जालोर से चुनाव जीतने के बाद उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पीवी नरसिंहा राव और अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकारों में कैबिनेट मंत्री का पद दिया।

बलराम जाखड़

बलराम जाखड़ मूलरूप से पंजाब के थे। वे ऐसे बिरले नेता थे, जिन्होंने दूसरे राज्य में जाकर एक नहीं बल्कि दो सीटों से जीत दर्ज की। कांग्रेस के टिकट पर जाखड़ आठवीं और दसवीं लोकसभा के लिए सीकर और बारहवीं लोकसभा के लिए बीकानेर से सांसद चुने गए। जाखड़ 1985 से 1989 के बीच लोकसभा अध्यक्ष और 1991 से 1996 के बीच कैबिनेट मंत्री रहे।

चौधरी देवीलाल

हरियाणा के रहने वाले चौधरी देवीलाल ने 1989 में सीकर से जनता दल के निशान पर लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने बलराम जाखड़ को हराया। पूरे चुनाव के प्रचार में देवीलाल अपने विजयरथ पर ही सवार रहे। इसलिए कहा जाता है कि उन्होंने सीकर की धरती पर पैर रखे बिना चुनाव जीता। वे वीपी सिंह सरकार में 1989-1991 तक उपप्रधानमंत्री रहे। पुरखे राजस्थान के बीकानेर से ताल्लुक रखते थे।

राजेश पायलट

यूपी के राजेश्वर प्रसाद विधूड़ी ने वायुसेना से इस्तीफा देकर पहला चुनाव 1980 में भरतपुर से लड़ा। पत्नी रमा पायलट ने लिखा है- तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जगन्नाथ पहाड़िया भरतपुर के थे और पत्नी को चुनाव लड़वाना चाहते थे। कांग्रेस के सदस्यों ने राजेश्वर को पहचानने से इंकार कर दिया। तब संजय गांधी के कहने पर विधूड़ी ने कचहरी जाकर नाम राजेश पायलट रखा और चुनाव लड़ा।

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