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झालरापाटन…क्योंकि यह सीट पूर्व सीएम वसुंधरा का गढ़ रही:कांग्रेस का हर बार नया प्रयोग, राजे को चुनौती देने पांचवीं बार नया चेहरा उतारा


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झालरापाटन…क्योंकि यह सीट पूर्व सीएम वसुंधरा का गढ़ रही:कांग्रेस का हर बार नया प्रयोग, राजे को चुनौती देने पांचवीं बार नया चेहरा उतारा

झालरापाटन...क्योंकि यह सीट पूर्व सीएम वसुंधरा का गढ़ रही:कांग्रेस का हर बार नया प्रयोग, राजे को चुनौती देने पांचवीं बार नया चेहरा उतारा

झालरापाटन : झालरापाटन सीट पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का गढ़ रही है। कांग्रेस यहां पिछले 20 साल से नहीं जीत पाई है। 1998 में जीती, उसके बाद 2003 से भाजपा काबिज है। प्रदेश की पहली महिला सीएम देने वाली इसी सीट से वसुंधरा राजे पांचवीं बार मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस ने हर चुनाव में नए प्रयाेग किए, फिर भी वह वसुंधरा का गढ़ नहीं जीत पाई। हालांकि हार-जीत का अंतर कम-ज्यादा हाेता रहा है।

खास बात यह भी है कि पांचाें चुनावाें में कांग्रेस ने राजे के सामने नया चेहरा ही उतारा है। इस बार राजे काे चुनाैती देने कांग्रेस ने सौंधिया राजपूत चेहरे पूर्व प्रधान रामलाल चौहान पर दांव खेला है ताकि स्थानीय हाेने का फायदा मिल सके। यह सीट जीतने के लिए राजे के पास स्थानीय विकास के कई बड़े मुद्दे हैं, ताे कांग्रेस अपनी सरकार की योजनाओं के नाम पर वोट मांग रही है।

मतदाताओं का मिजाज : 1977 से 2018 तक 10 चुनावों में केवल 2 बार कांग्रेस जीती, 8 बार भाजपा ने कब्जा जमाया।

कांग्रेस के प्रयोग विफल

  • 2003 : सचिन पायलट की माता रमा पायलट को उतारा, वह वसंुधरा राजे से 27375 वोटों से हारीं।
  • 2008 : पूर्व विधायक मोहन लाल राठौर को उतारा। वह राजे से 32581 वोटों से हारे।
  • 2013 : खानपुर की पूर्व विधायक मीनाक्षी चंद्रावत को उतारा। राजे को 114384 और चंद्रावत को 53488 वोट मिले। कांग्रेस 60896 वोटों से हारी। हार का अंतर 11.7% बढ़ गया।
  • 2018 : मानवेंद्र सिंह को उतारा, वह राजे से 34980 वोटों से हारे। हार का अंतर 17.8% कम हुआ।

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