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मणिपुर : मणिपुर घटना के बाद डर की वजह से मिजोरम छोड़ रहा मैतई समुदाय, सरकार ने की विमान भेजने की पेशकश


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मणिपुर : मणिपुर घटना के बाद डर की वजह से मिजोरम छोड़ रहा मैतई समुदाय, सरकार ने की विमान भेजने की पेशकश

मिजोरम में रहने वाले मिजो लोगों के, मणिपुर के कुकी और जोमी जनजाति के लोगों के साथ गहरे जातीय संबंध हैं। मणिपुर में जिन महिलाओं के साथ ज्यादती की गई, वह कुकी और जोमी जनजाति की ही थीं।

मणिपुर : बीते दिनों मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने की घटना का असर पड़ोसी राज्य मिजोरम पर भी पड़ा है। बता दें कि डर की वजह से मिजोरम में रह रहे मैतई समुदाय ने पलायन शुरू कर दिया है। हालात को देखते हुए मणिपुर की सरकार ने भी लोगों को विमान से लाने की पेशकश की है।

एक बयान से फैला डर
बता दें कि मिजोरम में रहने वाले मिजो लोगों के, मणिपुर के कुकी और जोमी जनजाति के लोगों के साथ गहरे जातीय संबंध हैं। मणिपुर में जिन महिलाओं के साथ ज्यादती की गई, वह कुकी और जोमी जनजाति की ही थीं। ऐसे में पूर्व उग्रवादी संगठन मिजो नेशनल फ्रंट के सहयोगी संगठन पीस अकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज एसोसिएशन (PAMRA) ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि ‘मिजोरम में रह रहे मैतई समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा के लिए राज्य छोड़ दें। बयान में कहा गया कि मणिपुर की घटना से मिजो लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं, ऐसे में मिजोरम, अब मैतई लोगों के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है।’

मिजोरम में रहते हैं दो हजार मैतई लोग
मिजोरम में करीब दो हजार मैतई समुदाय के लोग रहते हैं। ये अधिकतर राजधानी आइजवाल और इसके आसपास के इलाकों में रहते हैं। PAMRA के बयान के बाद मिजोरम में रहने वाले मैतई समुदाय में डर फैल गया और लोगों ने पलायन शुरू कर दिया। हालांकि मिजोरम की सरकार ने लोगों को विश्वास दिलाया है कि उन्हें मिजोरम में कोई खतरा नहीं है और मैतई बहुल कई जगहों पर पुलिस की तैनाती भी की गई है। हालांकि इसके बावजूद लोग मिजोरम से पलायन कर रहे हैं।

हिंसा के बाद से मणिपुर से हो रहा पलायन
मणिपुर सरकार ने भी एक बयान जारी कहा है कि हम मिजोरम में रह रहे मैतई समुदाय के लोगों के संपर्क में हैं और अगर उन्हें जरूरत है तो राज्य सरकार लोगों को लाने के लिए चार्टर्ड विमान भेज सकती है। बता दें कि मणिपुर में जारी हिंसा के बाद से अभी तक 12 हजार से ज्यादा कुकी और जोमी जनजाति के लोग मिजोरम में शरण ले चुके हैं।

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