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झुंझुनूं में शहीद का गाल पकड़ कर बोली पत्नी- उठो:बेटी ने कहा- पापा का बदला लूंगी, उधमपुर एयरबेस पर पाकिस्तानी अटैक में गई थी जान


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झुंझुनूं में शहीद का गाल पकड़ कर बोली पत्नी- उठो:बेटी ने कहा- पापा का बदला लूंगी, उधमपुर एयरबेस पर पाकिस्तानी अटैक में गई थी जान

झुंझुनूं में शहीद का गाल पकड़ कर बोली पत्नी- उठो:बेटी ने कहा- पापा का बदला लूंगी, उधमपुर एयरबेस पर पाकिस्तानी अटैक में गई थी जान

मंडावा : पाकिस्तानी हमले में शहीद झुंझुनूं के एयरफोर्स जवान सुरेंद्र कुमार का अंतिम संस्कार किया गया। 8 साल के बेटे दक्ष ने मुखाग्नि दी। शहीद की बेटी वृतिका (11) का एक वीडियो सामने आया है। इसमें वह कह रही हैं- मेरे पापा बहुत अच्छे थे। दुश्मनों का खात्मा कर खुद शहीद हो गए। पापा ने कहा था कि यहां कुछ नहीं हो रहा, मैं सेफ हूं। पूरा पाकिस्तान खत्म करना चाहिए। मैं बदला लूंगी। चुन-चुनकर बदला लूंगी। पापा की तरह फौजी बनना चाहती हूं।

इससे पहले करीब दो घंटे की तिरंगा यात्रा के बाद जवान की पार्थिव देह मेहरादासी (मंडावा) गांव में उनके घर पहुंची। इकलौते बेटे की पार्थिव देह को देखकर मां बेसुध हो गई। वहीं, पत्नी सीमा बार-बार पति का गाल थपथपाती रही। चेहरे को पकड़ने के लिए प्लास्टिक को भी फाड़ने की कोशिश की। बच्चे भी पिता की देह से लिपटकर रोने लगे।

मातृत्व दिवस पर बेटे को तिरंगा में लिपटा देख बिलखती मां।

मातृ दिवस पर मां का दर्द…मुझे छोड़कर कहां चला गया मेरे लाल

एक दिन पहले तक किसी ने शहीद सुरेन्द्र मोगा की मां नानू देवी को नहीं बताया था कि उसका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। लेकिन शायद मां व बेटे के बीच दिल के तार जुड़े हुए थे। वह रात भर सो नहीं सकी थी। सुबह पांच बजे से वह पडोसियों से पूछ रही थी आज मन में घबराहट व बेचैनी सी क्यों हो रही है? मातृ दिवस पर रविवार को एक बजे जैसे ही बेटे की देह तिरंगे में लिपटकर आई वह दहाड़े मारकर चीख उठी और यही कहती रही कि मुझे छोड़कर कहां चला गया मेरे लाल… जो मकान बनाया है, उसमें अब कौन रहेगा। सुरेन्द्र ने गांव में नया मकान बनाया है। गृह प्रवेश के बाद पंद्रह अप्रेल को ही वह छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर लौटा था। उसने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद वह दूसरों की तरह शहर में नहीं बल्कि खुद के गांव में रहेगा। सुरेन्द्र के पिता का पहले निधन हो चुका। वे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात थे।

परिवार की ऐसी हालत देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। दरअसल, एयरफोर्स में असिस्टेंट मेडिकल सार्जेंट सुरेंद्र कुमार शनिवार सुबह उधमपुर एयरपोर्ट पर शहीद हुए थे।

सैल्यूट करती वीरांगना।

शहीद पति को विदा करते वक्त बिलख पड़ीं पत्नी सीमा, कहा- एक बार इनका चेहरा तो दिखा दो

शहीद सुरेंद्रकुमार मोगा की पार्थिवदेह रविवार को उनके घर पहुंची। दो दिन से अपने जज्बातों को कंट्रोल किए बैठी सीमा रविवार को शहीद पति सुरेंद्रकुमार मोगा को विदा करते वक्त बिलख पड़ी। चीखकर कहा-आई लव यू सुरेंद्र…प्लीज यार उठ जा…। हमें क्यों छोड़ गए… यह कहते हुए बेसुध हो गई। सीमा को परिजनों ने संभाला और पानी पिलाया। होश लौटा तो एयरफोर्स के अफसरों ने उनके हाथों में शहीद पति की वर्दी सौंपी और कहा-सुरेंद्र ने जो किया वह फक्र की बात है, सम्मान की बात है। पूरा देश आपके साथ है। तब सीमा बोल उठीं-सबकुछ होगा। उधमपुर भी होगा, लेकिन सुरेंद्र नहीं होगा…। वह पति का चेहरा अंतिम बार देखने के लिए बेताब थी। उसने अफसरों से कहा-एक बार दिखा दो… प्लीज… रिक्वेस्ट है। तब उसे शहीद पति के अंतिम दर्शन कराए गए तो वह भावुक हो गई। कहने लगी-आई लव यू सुरेंद्र… प्लीज यार उठ जा…। इसके बाद वीरांगना ने जय हिंद बोलकर और सैल्यूट देकर वीर पति को अंतिम विदाई दी।

बेटे व बेटी को तिरंगा सौंपते वायु सेना के अधिकारी।

शहीद सुरेन्द्र मोगा की बेटी की हुंकार, दुश्मनों से लूंगी बदला, खत्म होना चाहिए पाकिस्तानपापा की तरह फौजी बनूंगी… चुन-चुनकर बदला लूंगीरात को थी आखिरी बार बात

एयरफोर्स में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट रहे सुरेन्द्र मोगा ने 9 मई की रात करीब 12 बजे पत्नी सीमा से आखिरी बार फोन पर बात की थी। बातचीत के दौरान सीमा ने पाकिस्तान की ओर से आ रहे ड्रोन को लेकर चिंता जताई, जिस पर सुरेन्द्र ने आश्वस्त किया सब कुछ ठीक है, मैं सुरक्षित हूं। उसी रात उनकी बेटी वृतिका ने भी करीब 9 बजे पिता से बात की थी। लेकिन किसे पता था कि यही उनकी अंतिम बातचीत होगी। शहीद की बेटी वृतिका ने भी बताया कि उसकी रात नौ बजे के लगभग पिता से बात हुई थी। तब उन्होंने बताया था कि यहां सब कुछ सेफ है। मैं सुरक्षित हूं। बेटी ने कहा कि दुश्मनों ने मेरे पापा की जान ली है, मैं फौज में जाऊंगी और पापा के दुश्मनों से बदला लूंगी। पापा की तरह फौजी बनूंगी: चुनचुनकर बदला लूंगी। मेरे पापा बहुत अच्छे थे.. मेरे पापा ने देश की रक्षा की है। अब पूरा पाकिस्तान खत्म होना चाहिए।

परिजन व ग्रामीण बोले : ऐसा सबक सिखाएं दुबारा आंख उठाकर नहीं देखे पाकिस्तान

सुरेन्द्र के ताऊ व सेना से रिटायर्ड फौजी जगदीश मोगा ने कहा कि जब दुश्मन अटैक कर रहा है तो हमे भी उसके सैन्य ठिकानों, बंदरगाहों व तेल डिपो उडा देने चाहिए। उनकी सेना को टार्गेट बनाकर हमले करने का वक्त आ गया है। ग्रामीणों व परिवार के सदस्यों ने बताया कि सुरेन्द्र की ड्यूटी सुबह करीब छह बजे पूरी होनी थी। इससे कुछ समय पहले ड्रोन जैसा कुछ आया, सुरेन्द्र जहां कार्यरत थे वहां धमाका हुआ और वे शहीद हो गए। अंतिम संस्कार के दिन अनेक लोग इसकी चर्चा करते रहे। वहीं अनेक लोगों ने कहा कि पाकिस्तान को सबक सिखाना ही होगा। हमें डिफेंस छोड़कर अब हमलावर बनना होगा। सबक ऐसा सिखाएं ताकि वह दुबारा भारत की तरफ आंख उठाकर नहीं देखें। ग्रामीणों ने कहा हमारी मां व बेटियां कब तक उसकी हरकतों का दर्द सहती रहेंगी?

तिरंगा यात्रा में शामिल हुए सैकड़ों लोग

शहीद जवान सुरेंद्र कुमार की तिरंगा यात्रा दोपहर 12 बजे मंडावा से शुरू हुई थी। जयपुर से आई सैन्य टुकड़ी भी तिरंगा यात्रा में शामिल रही थी।

भारत माता की जय और सुरेंद्र कुमार अमर रहे के नारे पूरी यात्रा में सुनाई दे रहे थे। इससे पहले सुबह करीब 11.15 बजे दिल्ली से सड़क मार्ग के जरिए उनकी पार्थिव देह को मंडावा लाया गया था।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत उधमपुर में वीरगति को प्राप्त हुए सार्जेंट सुरेंद्र कुमार का रविवार को उनके गांव मेहरादासी (मंडावा) में पूर्ण राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तरफ से शहीद के परिजनों को ढाढ़स बंधाया और पुष्पचक्र अर्पित करते हुए संवेदना व्यक्त की।

अप्रेल में किया था गृह प्रवेश, तिरंगे में लिपटकर लौटा इकलौता बेटारिटायरमेंट के बाद गांव में रहना चाहते थे सुरेन्द्र मोगा, इसलिए बनवाया था नया घर

वायु सेना में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेट सुरेन्द्र मोगा की इच्छा थी कि वे रिटायरमेंट होने के बाद शहर की भीड़ से दूर गांव में रहें। इसके लिए अपने पुराने मकान को ठंडा करवाकर उसी जगह लाखों रुपए खर्चकर नया मकान बनवाया था। गांव वाले टोकते थे, इतना बड़ा मकान गांव में क्यों बना रहा है। शहर में बनवाना चाहिए। सभी को वह एक ही जवाब देता था, ड्यूटी शहरों में हुई है। अब गांव में सुकून के साथ रहूंगा। लेकिन किसी का क्या पता था कि उसका यह सपना कभी पूरा नहीं होगा। अप्रेल में नए मकान का गृह प्रवेश किया था। अनेक लोगों को कार्यक्रम में बुलाया था। पंद्रह अप्रेल को वह ड्यूटी पर वापस गया था। तब मां से कहा था कि घर का रंग रोगन बच गया है, अगली बार छुट्टी पर जब गांव आऊंगा, तब रंग रोगन करवाके मकान को चकाचक बनवा दूंगा। लेकिन किसी का क्या पता था कि गृह प्रवेश के बाद वह आएगा तो जरूर लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

ये रहे मौजूद

शहीद सुरेंद्र कुमार को उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा, सैनिक कल्याण एवं युवा और खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, नगरीय विकास राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार झाबर सिंह खर्रा, राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, सांसद बृजेंद्र ओला, झुंझुनूं विधायक राजेंद्र भांबू, नवलगढ़ विधायक विक्रम सिंह जाखल, खेतड़ी विधायक धर्मपाल गुर्जर, मंडावा विधायक रीटा चौधरी, उदयपुरवाटी विधायक भगवानाराम सैनी, लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंद डोटासरा, फतेहपुर विधायक हाकम अली, चौमू विधायक शिखा मील बराला, मुकेश दाधीच, जिला कलक्टर रामावतार मीणा, एसपी शरद चौधरी, जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरी, बनवारी लाल सैनी, नवलगढ़ प्रधान दिनेश सुंडा, पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार, पूर्व सांसद संतोष अहलावत, पूर्व विधायक सुभाष पूनिया, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी, विशंभर पूनिया, पवन मावंडिया, मुरारी सैनी, महेंद्र चंदवा, गजानंद कुमावत, महेश बसावतिया समेत पूर्व सैनिकगणों, जनप्रतिनिधियों व गणमान्यजनों ने पुष्पचक्र अर्पित किए।

वायुसेना के ग्रुप कैप्टन विनय भारद्वाज के नेतृत्व में वायुसेना व पुलिस की टुकड़ियों ने गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। वहीं शहीद के पुत्र दक्ष ने मुखाग्नि दी। अंत्येष्टि के बाद जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत ने वीरांगना सीमा को राज्य सरकार की तरफ से 5 लाख रुपए की सहायता राशि का चैक तत्काल सौंपते हुए ढाढ़स बंधाया और राज्य सरकार की तरफ से हर संभव सहायता की बात कही।

जिला कलक्टर रामावतार मीणा के नेतृत्व में प्रशासन रहा मुस्तैद:

जिला कलक्टर रामावतार मीणा के नेतृत्व में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की पूरी टीम पिछले 24 घंटों से अंत्येष्टि में भारी भीड़ उमड़ने की संभावना के चलते लगातार व्यवस्थाओं में लगी हुई थी। जिला कलक्टर की बारीक मॉनिटरिंग के चलते वीवीआईपी व मौजूद लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं हुई।

अब देखिए- जवान के परिवार और गांव के माहौल से जुड़े PHOTOS…

शहीद के अंतिम संस्कार से पहले बेटे और बेटी को एयरफोर्स अफसरों ने तिरंगा सौंपा।
शहीद के अंतिम संस्कार से पहले बेटे और बेटी को एयरफोर्स अफसरों ने तिरंगा सौंपा।
शहीद को 8 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। इस दौरान लोगों की आंखें नम हो गई।
शहीद को 8 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। इस दौरान लोगों की आंखें नम हो गई।
पिता सुरेंद्र कुमार मुखाग्नि देने के बाद 8 साल के बेटे दक्ष ने आखिरी सैल्यूट किया।
पिता सुरेंद्र कुमार मुखाग्नि देने के बाद 8 साल के बेटे दक्ष ने आखिरी सैल्यूट किया।
सुरेंद्र कुमार की तिरंगा की यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। कई नेता भी उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे थे।
सुरेंद्र कुमार की तिरंगा की यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। कई नेता भी उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे थे।
शहीद सुरेंद्र की पत्नी सीमा (बीच में) को संभालते परिजन। कल उन्हें नवलगढ़ हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा था।
शहीद सुरेंद्र की पत्नी सीमा (बीच में) को संभालते परिजन। कल उन्हें नवलगढ़ हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा था।
शहीद सुरेंद्र की बेटी वृतिका का रो-रोकर बुरा हाल था। वो पिता को याद करते हुए बोल रही थी कि उन्होंने देश के लिए बहुत अच्छा काम किया है।
शहीद सुरेंद्र की बेटी वृतिका का रो-रोकर बुरा हाल था। वो पिता को याद करते हुए बोल रही थी कि उन्होंने देश के लिए बहुत अच्छा काम किया है।
शहीद की पार्थिव देह को उधमपुर से एंबुलेंस में मंडावा लाया गया था। मंडावा से फूलों में सजे ट्रक में उनकी तिरंगा यात्रा निकाली गई थी।
शहीद की पार्थिव देह को उधमपुर से एंबुलेंस में मंडावा लाया गया था। मंडावा से फूलों में सजे ट्रक में उनकी तिरंगा यात्रा निकाली गई थी।
फोटो पिछले महीने अप्रैल का है। इसमें सुरेंद्र की पत्नी सीमा, बेटी वृत्तिका और बेटे दक्ष के साथ नजर आ रहे हैं।
फोटो पिछले महीने अप्रैल का है। इसमें सुरेंद्र की पत्नी सीमा, बेटी वृत्तिका और बेटे दक्ष के साथ नजर आ रहे हैं।

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