कानून मंत्री बोले-जिनके इलाके जिले बने वे कांग्रेसी MLA हारे:आंदोलन करने वालों के जिले गलत; नॉर्म्स के अनुसार बने जिलों से नहीं होगी छेड़छाड़
कानून मंत्री बोले-जिनके इलाके जिले बने वे कांग्रेसी MLA हारे:आंदोलन करने वालों के जिले गलत; नॉर्म्स के अनुसार बने जिलों से नहीं होगी छेड़छाड़

जयपुर : कांग्रेस राज में बने कई छोटे जिलों को मर्ज करने पर मंथन हो रहा है। कानून मंत्री और गहलोत राज के छह महीनों के फैसलों के रिव्यू के लिए बनी कैबिनेट सब कमेटी के मेंबर जोगाराम पटेल ने कहा कि कांग्रेस राज में बिना नॉर्म्स के बहुत से जिले बने, जिनका कोई मतलब नहीं था। आंदोलन करने वालों को पता है कि उनके जिले गलत बने हैं। जिला नहीं भी रहा तो उस क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय नहीं होगा, नॉर्म्स के अनुसार बने जिलों से छेड़छाड़ नहीं होगी।
आंदोलन करने वालों को पता है उनके जिले गलत बने हैं
पटेल ने कहा- अभी जिलों के रहने या नहीं रहने पर फैसला ही नहीं हुआ, उससे पहले ही कई नेताओं के मन में वहम आ गया? ऐतराज किया जा रहा है। गंगापुर सिटी, सांचौर में विरोध हो रहा है। पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई अनशन कर रहे हैं। ये उनका अधिकार है, लेकिन उनके जिले का गठन विधिवत हुआ है तो उनको डरने की जरूरत ही नहीं है।
आंदोलन करने वाले लोगों को पता है कि उनके जिले का गठन पूरी तरह से गलत हुआ है, नॉर्म्स के अनुसार नहीं हुआ है, केवल राजनीतिक लाभ के लिए हुआ है। ~ जोगाराम पटेल
जिन कांग्रेस नेताओं के इलाके जिले बने, वे सब चुनाव हारे
पटेल ने कहा- कांग्रेस राज में जितने जिलों का गठन हुआ, नए जिलों के जितने कांग्रेस जनप्रतिनिधि थे सब के सब चुनाव हारे। उदाहरण के लिए बालोतरा को ले लीजिए। बालोतरा वाले मदन प्रजापत साल-डेढ़ साल तक जिले की मांग पर बिना जूते पहने नंगे पैर घूमे थे। जिले का गठन हो गया फिर भी हार गए। सुखरामजी आज आंदोलन कर रहे हैं, सांचौर जिला बना वो वह भी हार गए। बाबूलाल नागर ने दूदू को जिला बनवाया, वो भी हार गए। हमारा मकसद राजनीतिक नहीं होकर जनहित होना चाहिए।
जिला नहीं भी रहा तो उस क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय नहीं होगा
कानून मंत्री ने कहा- जिलों का गठन जनता के लिए करते हैं। प्रशासनिक मजबूती, जनहित और प्रशासनिक सरलता के लिए करते हैं। अभी जिलों की समीक्षा हो रही है। समीक्षा के बाद ही सरकार इस पर निर्णय लेगी कि जिला रखना है या नहीं रखना है। मैं यह भी कह सकता हूं जो जिला नहीं रहेगा, उस क्षेत्र के निवासियों के साथ कभी अन्याय नहीं होगा, न्याय होगा। बढ़िया से बढ़िया प्रशासनिक व्यवस्था देंगे।
जिले बनाना-मिटाना मुद्दा नहीं, जो जिले बने हुए हैं, उनकी समीक्षा कर रहे हैं
नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर जनगणना रजिस्ट्रार जनरल की रोक और उनकी बाउंड्री फ्रीज होने के सवाल पर पटेल ने कहा- यह एक कानूनी प्रश्न है। अभी जिले बनाना-मिटाना विषय नहीं है। अभी तो जो जिले बने हुए हैं, उनकी समीक्षा कर रहे हैं। अगर हमें लगेगा कि यह जिला कम करना है या बनाना है या अल्टरेशन करना है तो हम विचार करेंगे और परमिशन लेंगे। परमिशन के बाद विधिवत जो निर्णय होगा, वह किया जाएगा।
बिना किसी भेदभाव के और बिना किसी राजनीतिक विचारधारा के जिलों की समीक्षा करेंगे और सरकार इस पर निर्णय करेगी। ~ जोगाराम पटेल
पटेल ने कहा– पिछली कांग्रेस सरकार ने एक साथ 19 नए जिले बना दिए। मेरा मानना ही है कि कांग्रेस राज में जिलों का पुनर्गठन हुआ वो नॉर्म्स के अनुसार नहीं था, जल्दबाजी में था और राजनीतिक दृष्टि से किया गया था।”
“पूरे देश में कभी ऐसा नहीं हुआ कि एक साथ 19 जिले बना दिए हों। कांग्रेस राज में बने जिलों की पूरे देश के 500 से ज्यादा जिलों में जनसंख्या, इलाका और दूसरे मापदंडों से तुलना करके देख लीजिए, पता लग जाएगा हकीकत क्या है।”
जनहित में बने जिलो से छेड़छाड़ नहीं होगी
पटेल ने कहा- जो जिले नॉर्म्स के अनुसार बने हैं, विधिवत और जनहित में बने हैं उनको किसी तरह से छेड़छाड़ करने का कोई इरादा नहीं है। कोई जिले नॉर्म्स के अनुसार नहीं है, राजनीतिक दृष्टि से बने हैं, जनहित में नहीं है तो उनका रिव्यू हो रहा है।
“एक जिले को बनने में, पूर्णता धारण करने में 10 साल का समय लगता है तब वह जिला परिपूर्ण होता है। जिला बनने के सभी मापदंडों को एक्सपर्ट कमेटी ने परीक्षण किया है।”