अंतिम 72 घंटों में भारत-अमेरिकी सैनिकों की अग्निपरीक्षा:आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करेंगे, -35 डिग्री में रहने वाली विदेशी सेना रेगिस्तान में कर रही युद्धाभ्यास
अंतिम 72 घंटों में भारत-अमेरिकी सैनिकों की अग्निपरीक्षा:आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करेंगे, -35 डिग्री में रहने वाली विदेशी सेना रेगिस्तान में कर रही युद्धाभ्यास
बीकानेर : अमेरिकी और भारतीय सेना की जल्दी ही अग्निपरीक्षा शुरू होगी। दोनों देशों की सेनाओं को अपना दमखम दिखाने का मौका दिया जाएगा। 72 घंटे तक चलने वाली लड़ाई बस प्रैक्टिस (अभ्यास) के लिए होगी। इस दौरान सेना के जवान आतंकी ठिकानों को टारगेट करेंगे।
-35 डिग्री में रहने वाली विदेशी सेना के जवान राजस्थान (बीकानेर) के रेगिस्तान में पिछले करीब एक हफ्ते से पसीना बहा रहे हैं। 36 डिग्री की गर्मी में दुश्मनों को मात देने के गुर सीख रहे हैं। दोनों देशों के इस संयुक्त अभ्यास में बड़ी संख्या में महिला सैनिक भी हिस्सा ले रही हैं।
अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
- भारत-अमेरिका की सेना का यह 20वीं युद्धाभ्यास है।
- संयुक्त सैन्य अभियानों में एक-दूसरे की अत्याधुनिक तकनीक को समझने की कोशिश चल रही है।
- भारत की ओर से अपनी टॉप रेंज प्रदर्शित की गई है।
- अमेरिका की ओर से पहली बार हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम तैनात किया गया है।
- भारतीय सेना के जवान आसमान से जमीन तक अपनी ताकत दिखा रहे हैं।
- रेत के धोरों के बीच आसमान से उतरते हुए दुश्मन के ठिकानों को खत्म करने की ट्रेनिंग का प्रदर्शन किया जा रहा है।
- भारत में ही बने हथियारों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
बीकानेर के महाजन फायरिंग रेंज में नौ सितंबर को शुरू हुआ था युद्धाभ्यास इंडियन आर्मी और अमेरिकी सेना के ‘युद्धाभ्यास’ का 20वां एडिशन बीकानेर के महाजन फायरिंग रेंज में नौ सितंबर को शुरू हुआ था। 22 सितम्बर तक चलने वाले इस अभ्यास में इंडियन आर्मी के साथ दुनिया के शक्तिशाली देश अमेरिका के जवान हिस्सा ले रहे हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है।
आतंकियों को खत्म करने में मददगार 14 दिन तक चलने वाले इस अभ्यास के अंतिम 72 घंटे बहुत ही महत्वपूर्ण होंगे। इस दौरान दोनों सेनाओं के 1200 सैनिक आपस में ही लड़ेंगे। यह अभ्यास आतंकी गतिविधियों से निपटने में मददगार साबित होगा। दोनों देशों के संयुक्त ऑपरेशन से भी यह जुड़ा है। अंतिम क्षणों में आतंकी ठिकानों पर हमले के दौरान आपसी तालमेल का भी शानदार प्रदर्शन किया जाएगा।
भारतीय जवानों की मूंछें एक जैसी अभ्यास के लिए अमेरिका के अलास्का में तैनात आर्मी भारत आई है। इसे ‘आर्कटिक एंजेल्स’ के नाम से जाना जाता है। अमेरिका की यह टुकड़ी -35 डिग्री की ठंड में युद्ध करने में माहिर है। वहीं भारत की 9वीं राजपूत इन्फेंट्री इसमें भाग ले रही है। इसके सभी जवानों की मूंछें एक जैसी हैं। एक साल पहले भारतीय सेना के जवान अलास्का गए थे। वहां -35 डिग्री में युद्ध करने के टिप्स लिए थे। अब अमेरिका से सेना यहां (भारत) आई है।
महिला जवान भी शामिल हैं युद्धाभ्यास में
- 22 सितंबर तक बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चलेगा युद्धाभ्यास।
- 14 दिन तक चलने वाले इस अभ्यास में इंडियन आर्मी और अमेरिकी सेना के जवान ले रहे हिस्सा।
- 600 अमेरिकी और 600 भारतीय जवान शामिल हुए हैं इस संयुक्त सैन्य अभ्यास में।
- 50 अमेरिकी और 50 भारतीय महिला जवान भी इस प्रैक्टिस की बनी हैं हिस्सा।
दोनों सेनाएं आपसी तालमेल का भी प्रदर्शन करेंगी अमेरिकी सेना के 600 जवान भारतीय सैनिकों के साथ रेगिस्तानी इलाकों में युद्ध का अभ्यास कर रहे हैं। दोनों देश साथ मिलकर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के मिशन पर काम कर रहे हैं। दोनों देश टैंक, राइफल लेकर मैदान में उतरेंगे। यहां आतंकी ठिकानों को तोप से उड़ाने की प्रैक्टिस करेंगे। दुश्मन के नजदीक जाकर छुरे से उसका सीना चीर देने की एक्सरसाइज करेंगे। इस दौरान दोनों सेनाएं आपसी तालमेल का भी प्रदर्शन करेंगी। यह मिशन आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए आयोजित किया जाएगा।
हर मिनट 685 राउंड फायर पिछले 9 दिनों से अमेरिका और भारत की सेना के जवान महाजन रेंज में फायरिंग का अभ्यास कर रहे हैं। इस दौरान कभी तोप से हमला करना तो कभी राइफल लेकर धोरों में दौड़ने की प्रैक्टिस चल रही है। दोनों सेनाओं के जवान एक दूसरे के हथियारों को देख और समझ रहे हैं। ताकि भविष्य में कभी आतंकी हमले में संयुक्त सेना मिशन पर जाएं तो आपसी तालमेल बेहतर रहे। इंडियन आर्मी SIG SAUER 716 से अमेरिकी मिलिट्री के साथ प्रैक्टिस कर रही है। यह राइफल हर मिनट 685 राउंड फायर कर सकती है। दोनों सेनाओं के 1200 जवानों को वास्तविक युद्ध का माहौल दिया जा रहा है। इसमें फायरिंग अभ्यास और ‘बैटल हार्डनिंग’ सत्र शामिल हैं।
खाली समय में फुटबॉल-क्रिकेट खेल रहे विदेशी भारतीय जवान अमेरिका के हाई मोबिलिटी रॉकेट तकनीक को समझ रहे हैं। हाल ही में यूक्रेन-रूस के समय अमेरिकी जवानों ने यूक्रेन के लिए इस रॉकेट का उपयोग किया था। करीब 310 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ये रॉकेट तकनीक कैसे काम करती है, इसका भी प्रशिक्षण लिया जा रहा है। 21 सितम्बर को इसका प्रदर्शन करने की तैयारी हो रही है। दोनों देशों के जवान सूर्योदय से पहले दौड़ लगाने निकल जाते हैं। इसके बाद दिनभर युद्धाभ्यास का आयोजन होता है और शाम को वक्त मिलते ही जवान क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेल भी खेल रहे हैं। अमेरिका के सैनिक फुटबॉल को काफी पसंद कर रहे हैं।
पुरुषों के साथ कदमताल कर रहीं महिला जवान दोनों देशों की तरफ से महिलाएं भी इस युद्धाभ्यास का हिस्सा हैं। अमेरिकी आर्मी से करीब 50 महिलाएं इस युद्धाभ्यास में शामिल हुई हैं। वहीं इतनी ही संख्या भारत की ओर से भी है। दोनों सेनाओं की महिलाएं भी पुरुष जवानों के साथ भारी हथियारों से लेकर हलके हथियारों को चलाने की प्रैक्टिस कर रही हैं।
भीषण गर्मी में लड़ाई के तरीके सीख रहे अंग्रेज अमेरिका के जवान हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम और एम 777 हॉवित्जर तोप लेकर आए हैं। इन दोनों की ट्रेनिंग भारतीय जवानों को दी जा रही है। इसके साथ ही भारतीय जवान पैदल सेना के रूप में दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने की तकनीक सीख रहे हैं। अमेरिकी सेना भीषण गर्मी में युद्धाभ्यास के तरीके सीख रही है। एम 777 हॉवित्जर तोप के माध्यम से इन ठिकानों पर निशाने साधे जा रहे हैं। माइनस डिग्री में काम करने वाले अलास्का के ये अमेरिकी जवान मंगलवार को महाजन फील्ड फायरिग रेंज में 36 डिग्री तापमान में निशाने साधते नजर आए।
अमेरिका की सबसे ठंडी जगह है अलास्का अलास्का अमेरिका की सबसे ठंडी जगहों में से एक है। यहां सर्दियों में तापमान -35 डिग्री तक चला जाता है। अलास्का.ऑर्ग के अनुसार, 1961 में यहां -61 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था। इसी भीषण बर्फ की जगह में अमेरिका की आर्कटिक एंजेल्स अपनी प्रैक्टिस करती है।
भारतीय सेना फायरिंग और आर्टिलरी ट्रेनिंग दे रही भारत की पैदल सेना राजपूत इन्फेंट्री, अमेरिकी सैनिकों को अर्द्ध रेगिस्तानी इलाकों में फायरिंग व आर्टिलरी ट्रेनिंग दे रही है। भारत की 9 राजपूत इन्फेंट्री के पास पैदल जवान और जमीन से जमीन, जमीन से हवा में मार करने वाले हथियार हैं। भारतीय जवान छुरे और अन्य हथियारों से दुश्मन को मारने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। इस अभ्यास में धोरों में खुद को छुपा कर दुश्मन के नजदीक आते ही हमला करने के गुर सिखाए जा रहे हैं।
देखें युद्धाभ्यास की तस्वीरें…