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टिकट एक दावेदार अनेक
जिसको लेकर टिकट की दावेदारी की जा रही है उनका कहीं भी जनाधार नजर नहीं आता । एक मारवाड़ी कहावत के अनुसार "काल की बनेड़ी भूतणी मुषाणा मं आध मांगे" सैनी समाज की यदि बात करें तो जो राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ पृष्ठभुमि से आने के साथ उन्होंने पंचायत के चुनाव व जिला परिषद का चुनाव लड़ने के साथ जीत हासिल की है उनकी दावेदारी प्रथम बनती है ।
टिकट एक दावेदार अनेक : झुंझुनूं विधानसभा में उपचुनाव होने है क्योंकि विधायक बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने से उन्होंने विधायकी छोड़ दी । भाजपा में टिकट को लेकर जो घमासान मचा हुआ है उसको देखकर लगता है कि भाजपा के लिए चुनावी समर की राह आसान नहीं । टिकट के दावेदार अपनी शक्ति प्रदर्शन का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते । अनगिनत खेमों में विभक्त भाजपा के इस रूप को देखकर झुन्झुनू दौरे पर आए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने नसीहत देते हुए टिकट चाहने वालों को चेतावनी भरे लहजे में हिदायत दी थी कि संगठन में ही शक्ति है व टिकट तो एक ही नेता को मिलनी है । सभी को टिकट के साथ एकजुट होकर चुनाव लड़ना है । उनका इशारा बागी उम्मीदवार की तरफ था जो विधानसभा में हार का कारण बनता है ।
बिना बृजेन्द्र सिंह ओला के इस चुनाव में सभी को जीत निश्चित लग रही है व आज सैनी समाज ने एक चितंन शिविर के माध्यम से यह कहकर दावेदारी सुनिश्चित की है कि सैनी समाज भाजपा का कोर बैंक रहा है और उसी का लेकर सैनी समाज की दावेदारी बनती है । सैनी समाज के भाजपा के कोर बैंक के दावे को लेकर थोडा़ पीछे विधानसभा चुनावों की तरफ चलना होगा । यदि सैनी समाज भाजपा का कोर बैक होता तो उदयपुर वाटी से कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत नहीं होती । अब जिसको लेकर टिकट की दावेदारी की जा रही है उनका कहीं भी जनाधार नजर नहीं आता । एक मारवाड़ी कहावत के अनुसार “काल की बनेड़ी भूतणी मुषाणा मं आध मांगे” सैनी समाज की यदि बात करें तो जो राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ पृष्ठभुमि से आने के साथ उन्होंने पंचायत के चुनाव व जिला परिषद का चुनाव लड़ने के साथ जीत हासिल की है उनकी दावेदारी प्रथम बनती है ।
यदि कोर बैंक को दूसरे नजरिए से देखें तो वास्तव में जनसंघ के समय से यदि कोर बैंक रहा है तो वे जातियां हैं ब्राह्मण, राजपूत व वैश्य है । यदि इसी प्रकार यह जातियां भी लामबंद होकर टिकट की दावेदारी करें तो भाजपा के लिए तो एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बनने वाली होगी । किसी भी एक समाज के वोटो से चुनावी समर नहीं जीते जाते । छतीस कौम के समर्थन से ही चुनाव जीते जाते हैं । यदि सैनी समाज यह मानता है कि यह समाज भाजपा का कोर बैक रहा है तो ऐसे व्यक्ति के साथ खड़े होना चाहिए जो हर जाति के लिए सर्वमान्य हो व जिसका जनाधार होने के साथ ही हर जाति में जिसकी पैठ हो । यदि भाजपा टिकट रिपीट नहीं करती है तो जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी जिताऊ प्रत्याशी के तौर पर देखा जा सकता है ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक