देश को एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा है हिंदी
देश को एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा है हिंदी
लेखक : रामचंद्र तुलस्यान
संस्कृतिक एवं धार्मिक रूप से विविधता एवं धार्मिक रूप से विविधता के इस देश में एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा है हिंदी, हम किसी भी धर्म या जाति के क्यों ना हो, हमारे बीच में अपनात्व की भावना उत्पन्न करती है, यह भावना और गहरी हो इसके लिए सरकार सहित हमें भी सशक्त कदम उठाना चाहिए, हिंदी भारतीयों की गौरव एवं पहचान है या यूं कहे कि भारतीयों की शान है हिंदी, लेकिन कुछ लोगों की संकीर्ण मानसिकता एवं ओछी राजनीति की वजह से अभी अवहेलित है , लेकिन अवहेलनाओं के बावजूद हिंदी विकसित होते हुए आगे बढ़ रही है, हिंदी का प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में बोलचाल के माध्यम में ही नहीं बल्कि धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों में करने लगे हैं, जैसे अध्ययन, मेडिकल, टेलीविजन ,रेडियो, दूर संचार यहां तक के इंटरनेट पर भी सभी क्षेत्रों में हिंदी का प्रयोग तेजी से बड़ा है ,अर्थात हिंदी विकास के डगर पर बढ रही है, तो ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि इसके विकास के मार्ग को प्रशस्त करें, ना कि कभी धर्म के नाम पर तो कभी संप्रदाय के नाम पर ओछी राजनीति करके इसके मार्ग में बाधा उत्पन्न करें।
हिंदी हृदय की वाणी है ,इसके समृद्धि एवं विकास की बड़ी विस्तृत कहानी है इसके समृद्धि एवं मान में इजाफा करने हेतु प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है ताकि हमें स्मरण रहे की हिंदी को विकास के चरम शिखर पर पहुंचना है राष्ट्रभाषा का मान दिलाना है, जिसकी वह हकदार है, हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है,
लेकिन आज भी यह भारत की राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं, हिंदी को राजभाषा की मान्यता 14 सितंबर 1949 को मिली थी, पर राष्ट्रभाषा का सम्मान इसे अभी भी नहीं मिल पाया है । आज के समय में हिंदी दिवस मनाना और जरूरी हो गया है, मेरा तो मानना है कि वर्ष में एक दिन नहीं बल्कि हर दिन हिंदी दिवस मनाना चाहिये ताकि हिंदी को हैं हिनदृष्टि से देखने वालों को बता सके की हिंदी को कम आकना उनकी भूल है आज प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट, राष्ट्रभाषा और अंतरराष्ट्रीय मंच पर तथा संस्थानों में हिंदी के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई है।
फेसबुक, टिट्टर, युटुयब और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म पर अब हिंदी भाषा का ही बोलबाला है, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गजक कंपनियों ने भी हिंदी में बड़े पैमाने पर काम करना शुरू कर दिया है, ऐसे में हिंदी में रोजगार की बहुत संभावना है, अतः हमें हिंदी बोलने में शर्म नहीं है बल्कि गर्भ महसूस करना चाहिए।