झुंझुनूं के संस्थापक शेखावाटी के महान योद्धा झुझांर सिंह
झुंझुनूं के संस्थापक शेखावाटी के महान योद्धा झुझांर सिंह

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
शेखावाटी के वीरों ने इस भूमि को गौरवान्वित करने में अपने प्राणों को न्यौछावर किया है तभी इस भूमि को वीर प्रसूता भूमि होने का गौरव हासिल हुआ है । झुंझुनूं का वीर योद्धाओ की जननी होने का गौरव इसलिए भी प्राप्त है क्योंकि इसके मिट्टी के कण कण में उन वीर योद्धाओ के बलिदान की गाथा लिखी हुई है जो आज भी जीवंत है । इन्हीं योद्धाओं में एक झुंझुनूं के संस्थापक नेहरा गौत्र के वीर योद्धा, प्रसिद्ध सरदार झुझांर सिंह नेहरा का जन्म संवत् 1721 विक्रमी श्रावण मास में हुआ था । उनके पिता नबाब फौज के सरदार थे जिन्हें फौजदार कहा जाता था ।
युवावस्था में ही झुझांर सिंह नबाब की सेना के जनरल बन गये । झुझांर सिंह ने पंजाब, भरतपुर , ब्रज के जाट राजाओं के बलिदान की चर्चा सुनी रखी थी । उनके बलिदान से प्रभावित उनकी हार्दिक इच्छा थी कि नबाब शाही के खिलाफ जाट लोग मिलकर बगावत करें । राजस्थान में नेहरा जाटों का तकरीबन 200 वर्ग मील भुमि पर किसी समय शासन रहा था । इतिहासकार मानते हैं कि पहले नेहरा गोत्र के जाट पाकिस्तान के सिंध प्रांत मे नेहरा पर्वत पर निवास करते थे । वहां से चलकर राजस्थान के भू-भाग में बसे झुंझुनूं में नेहरा पहाड़ पर आकर निवास करने लगे । उनके ही नाम पर झुंझुनूं के निकट पर्वत आज भी नेहरा पहाड़ कहलाता है । दूसरा पहाड़ जो मौरा(मोड़ा) है मौर्य लोगों के नाम से मशहूर है । पन्द्रहवीं सदी में नेहरा लोगो का नरहड़ में शासन था । वहां पर उनका एक किला भी है । एक काव्य में वर्णित के अनुसार
सत्रह सौ सत्यासी आगण मास उदार
सादै लीनृहो झुनझुणू सुदी आठै शनीवार ।।
सादै लीनृहो झुनझुणू लीनो अगर पैट
बेटे पोते पड़ौते, पीढ़ी सात लटै ।।
झुंझुनूं का सरदार सादुल्लाखान था, झुझार सिंह ने झुंझुनूं को उससे छीना था और उन्हीं के नाम पर झुंझुनूं का नामकरण पड़ा था। झुझांर सिंह जैसे योद्धा कभी मरते नहीं है बल्कि अपने बलिदान व शोर्य से लोगों के दिलों में स्थान बनकार अमर हो जाते हैं। ऐसे शोर्य के प्रतीक महान योद्धा के बलिदान से आज के युवा वर्ग को प्रेरणा लेकर जातिवाद के जहर को समाज से दूर भगाने का संकल्प लेना चाहिए ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक