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नोबल सीनियर सेकेंडरी स्कूल देवलावास में धूमधाम से मनाया जन्माष्टमी पर्व


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नोबल सीनियर सेकेंडरी स्कूल देवलावास में धूमधाम से मनाया जन्माष्टमी पर्व

नोबल सीनियर सेकेंडरी स्कूल देवलावास में धूमधाम से मनाया जन्माष्टमी पर्व

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अनिल शर्मा

बुहाना : 26 अगस्त सोमवार को जन्माष्टमी के पावन अवसर पर नोबल सीनियर सेकेंडरी स्कूल देवलावास के प्रांगण में श्रीकृष्ण का जन्म धूमधाम से मनाया इस अवसर पर राधा और कृष्ण तथा गोपियों की आकर्षक झांकियां निकाली गई सर्वप्रथम संस्था के डायरेक्टर संदीप नेहरा डिप्टी डायरेक्टर अशोक शर्मा एकेडमिक डायरेक्टर सुमन नेहरा प्रिंसिपल कृष्ण कुमार वाइस प्रिंसिपल रविंदर कुमार लेखाकार अमित शर्मा आदि ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह कि अध्यक्षता नोबल स्कूल कि सह संस्थापक संतोष नेहरा ने की ।

इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बहुत ही मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया तथा आकर्षक झांकियां सजाकर बच्चों को मंत्र मुक्त किया।तथा छात्राओं ने श्रीकृष्ण के बाल चरित्र पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नोबल स्कूल के डायरेक्टर संदीप नेहरा ने जन्माष्टमी पर्व के पर्व पर विस्तार से बच्चों को बताया कि श्रीकृष्णजन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु इस दिन मथुरा पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा कृष्णमय हो जात है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। ज्न्माष्टमी में स्त्री-पुरुष बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। और रासलीला का आयोजन होता है।

पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी को पापियों से मुक्त करने हेतु कृष्ण रुप में अवतार लिया, भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव के पुत्ररूप में हुआ था। जन्माष्टमी को स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के लोग अपने अनुसार अलग-अलग ढंग से मनाते हैं. श्रीमद्भागवत को प्रमाण मानकर स्मार्त संप्रदाय के मानने वाले चंद्रोदय व्यापनी अष्टमी अर्थात रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाते हैं तथा वैष्णव मानने वाले उदयकाल व्यापनी अष्टमी एवं उदयकाल रोहिणी नक्षत्र को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाते हैं। कार्यक्रम को एकेडमिक डायरेक्टर सुमन नेहरा डिप्टी डायरेक्टर अशोक शर्मा प्रिंसिपल कृष्ण कुमार सहित अनेक अध्यापकों ने संबोधित कर जन्माष्टमी पर्व पर विस्तार से प्रकाश डाला इस अवसर पर विद्यालय के छात्र व समस्त स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।

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