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कौन जिला बचेगा, कौन खत्म होगा.. 30 को सौंपेंगे रिपोर्ट:भजनलाल सरकार ने नए जिलों की समीक्षा के लिए बनाई थी कमेटी, रिपोर्ट सौंपने की तैयारी


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कौन जिला बचेगा, कौन खत्म होगा.. 30 को सौंपेंगे रिपोर्ट:भजनलाल सरकार ने नए जिलों की समीक्षा के लिए बनाई थी कमेटी, रिपोर्ट सौंपने की तैयारी

कौन जिला बचेगा, कौन खत्म होगा.. 30 को सौंपेंगे रिपोर्ट:भजनलाल सरकार ने नए जिलों की समीक्षा के लिए बनाई थी कमेटी, रिपोर्ट सौंपने की तैयारी

जयपुर : पूर्व की अशोक गहलोत सरकार की ओर से बनाए गए 19 जिलों को लेकर कमेटी की रिपोर्ट जल्द आने वाली है। कमेटी के अध्यक्ष पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार ने कहा कि 30 अगस्त को सरकार को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इसके बाद तय हो जाएगा कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में बनाए गए नए जिलों में से कितने रहेंगे, कितने नहीं।

समीक्षा को लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी अपनी रिपोर्ट को फाइनल करने जा रही है। हमारे मीडिया कर्मी से बातचीत में पंवार ने कहा कि उनका कार्यकाल 31 अगस्त तक का है और कोशिश रहेगी कि 30 अगस्त तक रिपोर्ट सरकार को सौंप दें। नए जिले बनाने को लेकर देश में जो भी मापदंड है उनसे तुलना करके यह रिपोर्ट बनाई जा रही है। इसमें कौन से जिले रहेंगे और कौन से नहीं? यह सरकार को ही तय करना है।

गौरतलब है कि भजनलाल सरकार ने रिव्यू के लिए 12 जून को उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा के संयोजन में एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति गठित की थी। उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, पीएचईडी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा और जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत को समिति का सदस्य बनाया गया था। मंत्रीमंडलीय उप समिति के सहयोग के लिए पंवार की अध्यक्षता में एक और कमेटी गठित की थी, कमेटी को 31 जुलाई तक रिपोर्ट देनी थी, लेकिन बाद में सरकार ने एक महीने कार्यकाल और बढ़ा दिया था।

गहलोत सरकार ने बनाए थे 17 जिले, 3 संभाग
गहलोत सरकार ने अपने आखिरी बजट में पाली, बांसवाड़ा एवं सीकर को संभाग और गंगापुर सिटी, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड़, दूदू, केकड़ी, ब्यावर, कुचामन-डीडवाना, शाहपुरा, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी, बालोतरा, सांचौर, अनूपगढ़, सलुंबर, नीमका थाना एवं डीग-कुम्हेर नए जिले बनाए थे।

सरकार कैसे तय करेगी कि कौन से जिलों की जरूरत नहीं है?

पंवार : हम यह बता देंगे कि यह जिले बने रहने चाहिए और यह नहीं? इसके लिए हमने नए जिले बनाने के राष्ट्रीय पैमाने, पड़ोसी राज्य जैसे यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात और दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु का अध्ययन किया है। आबादी, क्षेत्रफल, जिला मुख्यालय से दूरी, आवागमन के साधन, मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर, संचार के साधन और सांस्कृतिक परिदृश्य को ध्यान में रखा है। विशेष परिस्थिति को भी शामिल किया है। रिपोर्ट गोपनीय है। इसलिए, खुलासा नहीं किया जा सकता है।

कितने नए जिलों को लेकर विरोध सामने आया है?

पंवार : 35 विधायक और चार सांसदों। पंचायतीराज संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, प्रभावित लोगों के साथ जनसुनवाई की है। इन सभी लोगों ने जो भी रिपोर्ट दी है या सुझाव दिए हैं। उनमें सभी तरह के पक्ष हैं। वह विश्लेषण के साथ सरकार को देंगे। अब तक 14 जिलों में यह प्रक्रिया कर चुके हैं। कुछ जिले अगले तीन-चार दिन में पूरे कर लेंगे। मैं यह नहीं कह सकता कि कौन विरोध में हैं और कौन पक्ष में।

रामलुभाया कमेटी ने कितने जिलों के गठन की सिफारिश की थी?

पंवार : इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है। सरकार ने हमें यह कहा है कि जो भी नए जिले बनाए गए हैं उनकी समीक्षा कीजिए। नियमानुसार जिलों का गठन किया गया है या नहीं। हम नए जिलों के गठन को लेकर जो भी मापदंड है वह सरकार के सामने रख देंगे। उससे स्पष्ट हो जाएगा कि कौन-कौन से जिले नियमानुसार सही है। यह सरकार के स्तर का मामला है कि वह क्या करती है?

 

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