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अनोखी परंपरा:पुरुषों के वेश में लट्ठ और तलवारें लेकर ‘धाड़’ डालने निकली महिलाएं


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अनोखी परंपरा:पुरुषों के वेश में लट्ठ और तलवारें लेकर ‘धाड़’ डालने निकली महिलाएं

अनोखी परंपरा:पुरुषों के वेश में लट्ठ और तलवारें लेकर ‘धाड़’ डालने निकली महिलाएं

कोटा : कोटा के प्राचीर बेरिवाल के स्टार्ट अप ‘Dooper’ का चयन माइक्रोसॉफ्ट ने किया है। इसके लिए 1 करोड़ 25 लाख रुपए फंड व माइक्रोसॉफ्ट से अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफार्म की सभी सुविधाएं फ्री मिलेंगी। माइक्रोसॉफ्ट से इतना बड़ा फंड प्राप्त करने वाला डुपर प्रदेश का पहला स्टार्ट अप है। प्राचीर का कहना है कि अब तक इतना सहयोग राजस्थान में किसी को नहीं मिला है। ‘डुपर’ को अमेजन, गूगल, आई स्टार्ट, स्टार्टअप इंडिया, टाइ राजस्थान, सेगमेंट और स्टार्ट अप एसेसिलेरटर से भी फंड मिल चुका है।

इधर धाड़, उधर मूसलाधार

जहां बारिश के लिए महिलाओं ने धाड़ निकाला वहीं शुक्रवार को ही सीजन की पहली मूसलाधार बारिश हो गई। पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा भूंगड़ा में 130 एमएम बारिश हुई। मूसलाधार बारिश होने खेतों में सूख रही फसलों को संजीवनी मिल गई। किसानों के चेहरे खिल उठे। जिले में 1 जून से अब तक औसत बारिश 455.07 एमएम हो चुकी है, जो कुल औसत बारिश 1000 एमएम की 45 % कोटा पूरा हो चुका है। संभाग के सबसे बड़े बांध माही बांध का जलस्तर 274.65 मीटर है। अभी बांध में 48.168 टीएमसी (62.35% ) पानी है। कैचमेंट एरिया में अच्छी बारिश होने से बांध में 155.34 क्यूमेक की दर से पानी की आवक बनी हुई है।

अनोखी परंपरा – बांसवाड़ा में बारिश के लिए निभाई जाती है परंपरा, पुरुष के सामने आने पर माना जाता है अपशकुन

आनंदपुरी उपखंड क्षेत्र 100 साल पुरानी धाड़ की परंपरा। हाथों में लट्ठ-तलवार लिए निकली ये महिलाएं बता रही है कि हे भगवान अगर अच्छी बारिश नहीं हुई तो सूखा पड़ेगा, खेतों में फसलें सूख जाएंगी, खाने पीने के लिए कुछ नहीं मिलेगा। इससे परेशान होकर ऐसे ही सड़कों पर चोर लुटेरे निकलेंगे, घरों में लूट और डकैती डालेंगे।

ऐसा ही नजारा शुक्रवार को आनंदपुरी पंचायत समिति के टामटिया गांव में अच्छी बारिश की कामना को लेकर महिलाओं ने पुरुषों की वेशभूषा धोती कुर्ता, सिर पर पगड़ी पहनकर और हाथों में लट्ठ व तलवारें लेकर धाड़ निकाली। धाड़ का मतलब डकैती डालना होता है। जैसे ही महिलाएं टामटिया गांव से पांच किमी दूर तक छाजा तक धाड़ डालने निकली, तो अचानक दोपहर 12.45 मौसम पलटा और बादल गरजने के साथ मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। धाड़ के लिए निकली महिलाएं बारिश में भीगती नजर आई।

हाथों में धारिये, तलवार, लठ्ठ, सिर पर पगड़ी, माथे पर तिलक, कलाई में कड़े और पैरों में जूतियां पहनी महिलाओं को देखकर तो एक बार वहां से गुजर रहे वाहन चालक, राहगीर और ग्रामीण डर गए, लेकिन इन महिलाओं की मंशा किसी पर हमले या डराने की नहीं थी। बल्कि सूखे के संकट का सामना कर रहे इस इलाके में अच्छी बारिश की कामना थी।

मान्यता : अच्छी बारिश की कामना को लेकर भगवान इंद्रदेव को रिझाने की 100 साल से ज्यादा प्राचीन अनूठी परंपरा है। इसे स्थानीय भाषा में धाड़ कहते हैं।

अपशुकन: धाड़ निकालती महिलाओं के जुलूस के सामने पुरुष नहीं आते हैं। पुरुषों का सामने आना अपशकुन मानते हैं। पुरुषों के वेशभूषा में गांवों में धाड़ निकलने की यह परंपरा 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है।

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