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भारत बंद निज हित या समाज हित जो आज तक वंचित हैं


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भारत बंद निज हित या समाज हित जो आज तक वंचित हैं

भारत बंद निज हित या समाज हित जो आज तक वंचित हैं

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

आरक्षण को लेकर क्रीम लेयर को लेकर दिये गये फैसले में विचारणीय मुद्दा यह था कि आरक्षण का लाभ उसी वर्ग के ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे । फैसले में यह कहा गया कि ऐतिहासिक साक्ष्य दर्शाते है कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति जाति सामाजिक रूप से विषम वर्ग है और राज्य अनुच्छेद 15(4) व 16(4) में मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अनूसूचित जाति का उप वर्गीकरण कर सकता है लेकिन यह वर्गीकरण तर्क संगत सिध्दांत पर आधारित होना चाहिए ।

उपरोक्त एक वाक्य पर गौर करें कि “आरक्षण का लाभ उसी वर्ग के ज्यादा जरूरतमंद लोगों को मिलना चाहिए ।” सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर भारत बंद का जो आह्वान किया गया उसका पोस्टमार्टम करने की जरूरत है । यह भारत बंद उन्हीं के भाईयों के हितों के खिलाफ था जो आज तक आरक्षण के लाभ से वंचित हैं । राजनीतिक दल जनता को भ्रमित कर रहे हैं कि आरक्षण खत्म किया जा रहा है । माननीय सुप्रीम कोर्ट की यह चिंता वाजिब थी कि आरक्षण की व्यवस्था का लाभ वंचितों तक पहुंचे इसको लेकर क्रीम लेयर बनाई जाए । आज के इस भारत बंद पर नजर डालें तो जो इस बंद की अगुवाई कर रहे हैं सभी पीढ़ी दर पीढ़ी इस आरक्षण का लाभ ले रहे हैं । इसको लेकर भाजपा के कद्दावर नेता किरोड़ीमल मीणा ने स्पष्ट किया था कि इस फैसले में कहीं भी ग़लत नहीं है यह फैसला उन वंचितों के हितों की रक्षा करता है जिनको आज तक इसका लाभ नहीं मिला । गृह जिले की बात करें तो जो विधायक पद की शोभा बढ़ा रहे हैं यह आरक्षित सीट की ही मेहरबानी है जो विधायक बने बैठे हैं । संवैधानिक पद पर विराजमान उन माननीयों को सोचना चाहिए कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए निज हितों को सर्वोपरि रखकर समाज हित को तिलांजलि नहीं देनी चाहिए । यह आपके ही समाज के लोग हैं जो आरक्षण की व्यवस्था का आज तक लाभ नहीं ले पाए । आपकी महानता तो तब होती जब आप उन लोगों के हितों के संरक्षण करते हुए उनको खुद के अनुभवों का लाभ देते हुए उन्हें इस काबिल बनाते कि उनको भी इसका लाभ मिलने के साथ ही समाज की मुख्य धारा में जुड़ते ।

यह भारत बंद निश्चित रूप से निज हित से प्रेरित है इसको आरक्षित वर्ग के समाज के लोगों को समझना होगा जो इस फैसले कि आड़ में अपनी राजनीति चमका रहे हैं । बाबासाहेब आंबेडकर के विचार थे कि वंचित वर्ग उच्च शिक्षा ग्रहण करें भारत बंद के समर्थकों को समाज के उन बच्चों के बारे में सोचना चाहिए जो आर्थिक तंगी के चलते उच्च शिक्षा से वंचित हो जाते हैं ।

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