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फोटो खींचकर रेप-मर्डर की गुत्थियां सुलझाने वाले नायक:SI पेपर लीक और भीलवाड़ा के भट्टी कांड जैसे चर्चित मामलों की सच्चाई सामने लाए


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फोटो खींचकर रेप-मर्डर की गुत्थियां सुलझाने वाले नायक:SI पेपर लीक और भीलवाड़ा के भट्टी कांड जैसे चर्चित मामलों की सच्चाई सामने लाए

फोटो खींचकर रेप-मर्डर की गुत्थियां सुलझाने वाले नायक:SI पेपर लीक और भीलवाड़ा के भट्टी कांड जैसे चर्चित मामलों की सच्चाई सामने लाए

जयपुर : रेप, सुसाइड, मर्डर, चोरी हो या कोई ऐसा ब्लाइंड केस, जिसमें अपराध करने वाले ने कोई सबूत नहीं छोड़ा। फिर भी पुलिस उसे सुलझा ही लेती है। उन गुत्थियों के सुलझाने में मददगार बनते हैं फोरेंसिक फोटोग्राफर्स।

जब भी कोई वारदात होती है, एफएसएल टीम को सबसे पहले मौके पर बुलाया जाता है। यही टीम मौका-ए-वारदात की फोटोग्राफी कर तमाम सबूत इकट्ठे करती है। उनकी खींची गई एक-एक फोटो अहम सबूत बनती है।

राजस्थान में पेपर लीक, भीलवाड़ा का भट्टी कांड, जैसलमेर में इंटरनेशनल बाइक राइडर असबाक मर्डर केस, भरतपुर के नासिर-जुनैद हत्याकांड जैसे कई बड़े मामले हैं, जिनमें फोरेंसिक फोटोग्राफर्स और उनकी टीम के जुटाए सबूतों ने बड़ी भूमिका निभाई।

आज विश्व फोटोग्राफी दिवस है। इस मौके बात हमारे मीडिया कर्मी ने एक पूरा दिन फोरेंसिक फोटोग्राफी के उन गुमनाम हीरोज के साथ बिताया, जिन्होंने कैमरे से उस सच्चाई को कैद किया और जिसकी वजह से शातिर अपराधी भी पकड़े गए।

पढ़िए, ये स्पेशल रिपोर्ट….

जयपुर के शास्त्री नगर में गृह विभाग के अधीन स्टेट फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी है। इस लैब की स्थापना 1959 में की गई थी। फोरेंसिक लैब में कई डिवीजन काम करती हैं। उन्हीं में से एक है फोटो डिवीजन। इस टीम का काम है, अपराध वाली जगह पहुंचकर क्राइम सीन की एक-एक चीज को कैमरे में कैप्चर करना। इस टीम ने नेशनल लेवल पर बड़े मामले सुलझाकर पांच नेशनल मेडल्स जीते हैं। हाल ही में अपनी फोरेंसिक फोटोग्राफी से भी टीम ने बड़े मामले सुलझाए हैं।

जयपुर के शास्त्रीनगर स्थित फोरेंसिक लैब।
जयपुर के शास्त्रीनगर स्थित फोरेंसिक लैब।

1. एसआई भर्ती परीक्षा में ‘एआई टेंपरिंग’ का खुलासा
राजस्थान पुलिस के चर्चित सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में डमी कैंडिडेट्स का पर्दाफाश करने में सुशील कुमार शर्मा और उनकी टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीम को 20-25 कैंडिडेट्स के परीक्षा केंद्रों से फोटोग्राफिक सबूत जुटाने और उनका विश्लेषण करने का काम सौंपा गया था।

एडवांस्ड फोरेंसिक फोटोग्राफी तकनीकों का उपयोग कर, टीम ने पाया कि परीक्षा पास कराने वाली गैंग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अभ्यर्थियों और डमी कैंडिडेट्स के चेहरे को मिलाकर मिलते-जुलते फोटो बनाए थे। कंट्रोल फोटो और चेहरे के महत्वपूर्ण पॉइंट्स की बारीकी से जांच के बाद, टीम ने धोखाधड़ी के इस नेटवर्क का खुलासा किया।

एसआई भर्ती परीक्षा के प्रवेश पत्रों पर एआई टूल का इस्तेमाल कर फोटो लगाई गई थी।
एसआई भर्ती परीक्षा के प्रवेश पत्रों पर एआई टूल का इस्तेमाल कर फोटो लगाई गई थी।

राजस्थान में पहली बार इस जांच से खुलासा हुआ था कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए चेहरे के फीचर्स मिक्स किए गए थे, जिससे डमी अभ्यर्थी पकड़ में नहीं आए। फोरेंसिक फोटो डिवीजन का यह काम अदालत में निर्णायक साबित हुआ।

फॉरेंसिक विभाग में फोटोग्राफी : चुनौतीपूर्ण पेशा
FSL फोटो डिवीजन के एडिशनल डायरेक्टर सुशील कुमार शर्मा बताते हैं फॉरेंसिक फोटोग्राफी एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण पेशा है। हमें क्राइम सीन पर जाकर काम करना पड़ता है, जो अक्सर वीभत्स और दिल दहला देने वाला होता है। इन दृश्यों को देखना और उन्हें कैप्चर करना मानसिक रूप से बेहद कठिन होता है। घटनास्थल पर बारीक से बारीक डिटेल की फोटोग्राफी करनी पड़ती है। एक मामूली बाल या सामान के बिखरने का पैटर्न भी महत्वपूर्ण हो सकता है। एक छोटी सी गलती पूरे केस को पलट सकती है और अपराधी को सजा से बचा सकती है।

फोटोग्राफ को सटीकता और स्पष्टता के साथ लेना पड़ता है, क्योंकि किसी भी धुंधलापन या कमी को अदालत में सबूत के रूप में नकारा जा सकता है। जघन्य घटनाओं की तस्वीरें हमारे मन पर गहरा प्रभाव डालती हैं और कई बार हमें इससे उबरने में कई दिन लग जाते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, हमारे काम से न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का संतोष मिलता है।

2. गोगामेड़ी केस में फोरेंसिक फोटोग्राफी की भूमिका
5 दिसंबर 2023 को जयपुर के वैशाली नगर में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या ने सनसनी मचा दी। फोरेंसिक फोटोग्राफर हरीश सिंह सैनी ने बताया कि इस हाई प्रोफाइल मामले में हमारी टीम ने साक्ष्य जुटाने में अहम भूमिका निभाई।

हमने अपराध स्थल को रीकंस्ट्रक्ट कर अलग-अलग एंगल से हाई-रेज़ोल्यूशन पिक्चर्स लीं, जिससे हत्यारों के मूवमेंट और अपराध की पूरी प्रक्रिया को समझने में मदद मिली। इन फोटोग्राफ ने पुलिस को हमलावरों की स्थिति, इस्तेमाल किए गए हथियारों और अपराध के हर मूवमेंट को ट्रेस करने में सहायता की।

कोर्टरूम में, फोरेंसिक फोटो डिवीजन द्वारा ली गई तस्वीरें पुख्ता सबूत के रूप में प्रस्तुत की गईं। घटनास्थल पर मिले व्यक्तिगत सामान, उंगलियों और पैरों के निशान की सटीक तस्वीरों ने महत्वपूर्ण सुराग दिए और संदिग्धों को ट्रैक करने में मदद की। फोरेंसिक डेटाबेस में इन तस्वीरों का उपयोग किया गया, जिससे अपराधियों की पहचान सुनिश्चित हो सकी। गोगामेड़ी हत्याकांड में हमारी फोरेंसिक फोटोग्राफी ने दोषियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जयपुर के वैशाली नगर स्थित गोगामेड़ी के निवास पर जांच करते हुए एफएसएल टीम। (फाइल फोटो)
जयपुर के वैशाली नगर स्थित गोगामेड़ी के निवास पर जांच करते हुए एफएसएल टीम। (फाइल फोटो)

फोरेंसिक फोटोग्राफर का काम, सच्चाई की खोज
FSL के SSO हरीश सिंह सैनी बताते हैं कि फोरेंसिक फोटोग्राफर के रूप में 2000 से अधिक मामलों पर काम कर चुका हूं। इस दौरान एक लाख किलोमीटर से अधिक का सफर तय किया है। क्राइम सीन की लोकेशन हमारे लिए GPS की तरह होती है। किसी भी अपराध की सबसे अहम कड़ी। घटनास्थल पर पड़ी लाश भी अपने साथ हुए अपराध की कहानी बयां करती है, जिसे हमें समझना होता है। फोटोग्राफी के जरिए, हम इस खामोश गवाही को दस्तावेज के रूप में सहेजते हैं।

सबसे पहले, हम लोकेशन की एक सामान्य फोटोग्राफी करते हैं, फिर वाइड और क्लोज शॉट्स लेते हैं। बारीक डिटेल्स के लिए मैक्रो और माइक्रो फोटोग्राफी का सहारा लेते हैं, जो हमें सूक्ष्मतम प्रमाण भी दिखा सके। हम 3D इमेज को 2D में विश्लेषण करते हैं और ज्यादातर काम मैन्युअली करते हैं, सॉफ्टवेयर के बजाय अपने अनुभव और साक्ष्यों पर भरोसा करते हैं। हम सिर्फ फोटोग्राफर्स नहीं, बल्कि इन्वेस्टिगेटर्स हैं, जो फोटोग्राफ्स के माध्यम से ही केस सॉल्व करते हैं।

3. भीलवाड़ा के कोटड़ी में हुए भट्टी कांड में निभाई अहम भूमिका
फोरेंसिक फोटोग्राफर हर्ष मीणा ने कोटड़ी में हुए वीभत्स भट्टी कांड में घटनास्थल से सबसे पहले साक्ष्य जुटाए। 2 अगस्त, 2023 को जब एक 12-13 साल की बच्ची को कोयला बनाने वाली भट्टी में झोंका गया और उसके शरीर को अधजले टुकड़ों में बांटा गया, तो हर्ष मीणा ने मौके पर पहुंचकर हर महत्वपूर्ण दृश्य को कैमरे में कैद किया।

अपराध के सबूत जैसे भट्टी, चप्पल, फावड़ा, और अन्य फोरेंसिक निशान, हर्ष के लेंस में सुरक्षित हुए, जो बाद में अपराधियों को सजा दिलाने में निर्णायक साबित हुए। उनके इस असाधारण कार्य के लिए उन्हें इस साल डीजीपी डिस्क से सम्मानित किया जाएगा, जो राजस्थान पुलिस का सर्वोच्च पुरस्कार है।

बारीक विश्लेषण से अपराधियों पर शिकंजा
हर्ष मीणा ने बताया कि 2 अगस्त की सुबह करीब सवा 3 बजे कंट्रोल रूम से हमारी यूनिट को सूचना मिली की कोटड़ी क्षेत्र में हुए एक बेहद संवेदनशील मामले में साक्ष्य जुटाने हैं। करीब 4 बजे हम मौके पर पहुंचे। डॉग स्क्वायड टीम के बाद अपना काम शुरू किया।

वहां मौजूद भट्टियों का निरीक्षण करने के बाद हमने संदिग्ध भट्टी के चारों ओर के करीब 100 मीटर के दायरे में हर चीज का बारीकी से मुआयना किया। हर एंगल से फोटोग्राफी की। भट्टी के अंदर से अवशेष निकलवाकर टिश्यू वाली हड्डियों को महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में सुरक्षित किया।

हर्ष मीणा ने भीलवाड़ा के कोटड़ी में हुए भट्टी कांड में फोटोग्राफी की थी। जिनके जरिए आरोपियों के दिए बयानों और क्राइम सीन का मिलान संभव हो सका था।
हर्ष मीणा ने भीलवाड़ा के कोटड़ी में हुए भट्टी कांड में फोटोग्राफी की थी। जिनके जरिए आरोपियों के दिए बयानों और क्राइम सीन का मिलान संभव हो सका था।

डीएनए के लिए कोयला और राख के अंदर टिश्यू वाली बोन ढूंढना बहुत मुश्किल काम था। चप्पल, चुन्नी, जले हुए कपड़ों के टुकड़े, कडा, अंगूठी, अधजली हड्डियों की फोटो लेकर उन्हें सुरक्षित किया। इसका सटीक डॉक्युमेंटेशन सबसे बड़ी चुनौती थी। इन सभी की विस्तृत घटनास्थल रिपोर्ट हमने दी।

इन साक्ष्यों ने क्राइम सीन की घटनाओं को सिलसिलेवार जोड़ने और अपराधियों की पहचान करने में मदद की। उनकी फोटोग्राफी अदालत में सबूत के तौर पर प्रस्तुत की गई, जिससे अंततः पीड़िता के परिवार को न्याय मिला। इस मामले ने फोरेंसिक फोटोग्राफी की अहमियत को भी उजागर किया।

हरियाणा के भिवानी में भरतपुर निवासी जुनैद और नासिर की जीप में जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी। फोरेंसिक जांच में ही साफ हुआ था कि आरोपियों की कार में मिले खून के निशान मृतक नासिर-जुनैद के हैं।
हरियाणा के भिवानी में भरतपुर निवासी जुनैद और नासिर की जीप में जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी। फोरेंसिक जांच में ही साफ हुआ था कि आरोपियों की कार में मिले खून के निशान मृतक नासिर-जुनैद के हैं।

फॉरेंसिक फोटोग्राफी: जघन्य अपराधों में एक महत्वपूर्ण टूल
एसएफएसएल जयपुर के निदेशक डॉ. अजय शर्मा के अनुसार, फोरेंसिक फोटोग्राफी जघन्य अपराधों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह तकनीक अपराध दृश्य को फिर से स्थापित करने में मदद करती है। विशेष रूप से आत्महत्या के मामलों में शव की स्थिति, फंदे का प्रकार, ऊंचाई, पांव की स्थिति आदि महत्वपूर्ण होते हैं।

फोरेंसिक फोटोग्राफी सामान्य फोटोग्राफी से भिन्न होती है। इसमें विशेष टूल्स, तकनीक और फिल्टर का उपयोग किया जाता है, जैसे कि अल्ट्रा वायलेट और इंफ्रारेड फिल्टर्स, जो छिपे हुए फिंगर प्रिंट्स और सबूतों को उजागर करने में मदद करते हैं। भविष्य में 360 डिग्री क्राइम सीन स्कैनिंग और ड्रोन के माध्यम से फोरेंसिक फोटोग्राफी की योजना भी बनाई जा रही है।

डिजिटल फोटोग्राफी ने इन्वेस्टिगेशन को आसान तो बनाया है, लेकिन इसमें टेंपरिंग की आशंका भी बढ़ गई है। इसलिए, कोर्ट में जमा की जाने वाले फोटोग्राफ्स के साथ एक प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाता है, जो उनके ओरिजिनल और बिना टेंपरिंग के होने की पुष्टि करता है।

फोरेंसिक फोटो डिवीजन जीत चुकी 5 नेशनल मेडल
टीम ने नेशनल लेवल पर पांच नेशनल मेडल्स जीते हैं। इसमें पूरण प्रकाश जोगी ने दो गोल्ड, राजेंद्र कुमार शर्मा और महेश कुमार शर्मा ने एक-एक सिल्वर, और सुशील कुमार शर्मा ने एक ब्रॉन्ज मेडल जीता है।

राजस्थान की फोरेंसिक डिवीजन 1959 में जलेब चौक से शुरू हुआ था। 1974 में अपने वर्तमान परिसर शास्त्रीनगर में स्थानांतरित हुआ। फोरेंसिक विभाग में 13 डिवीजन शामिल हैं, जैसे डॉक्युमेंट, साइबर, वीडियो मॉनिटरिंग, वॉइस, केमिस्ट्री, नारकोटिक्स, असॉल्ट और वेपन, बैलिस्टिक, टॉक्सिक, डीएनए, सीरो, बायो और पॉलीग्राफ।

वर्तमान में फोरेंसिक डिवीजन में 5 सदस्यीय टीम है, जिसमें सुशील कुमार शर्मा, हरीश सिंह सैनी, शिवलाल धाकड़, प्रियंका भास्कर और अनुराग शामिल हैं। पहले इस विभाग में 22 लोग कार्यरत थे।

पत्नी ने करवाई इंटरनेशनल बाइक राइडर पति की हत्या
अगस्त 2018 में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास जैसलमेर के शाहगढ़ इलाके में रेसिंग कॉम्पीटिशन से एक इंटरनेशनल बाइक राइडर असबाक गायब हो जाता है। दो दिन बाद पुलिस को असबाक की लाश एक टीले पर मिलती है। पुलिस पोस्टमाॅर्टम के बाद एक्सीडेंट मान लेती है। जांच पूरी होने के बाद एफआर लगा देती है। असबाक की मां की गुहार पर 2 साल बाद इस मामले की फाइल फिर से खोली जाती है। जांच में खुलासा होता है कि असबाक की हत्या की गई थी। हत्या करवाने वाला कोई और नहीं, उसकी पत्नी ही निकलती है।

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