राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
वसुंधरा राजे अपने तीखे तेवर के लिए विख्यात है। इन्हीं तेवरों की एक बानगी नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी पर उनके भाषण में देखने को मिला । उन्होंने कहा कि संगठन में ही शक्ति निहित है और संगठन में सबको साथ लेकर चलना होता है। लेकिन दुर्भाग्य से इसमें कई लोग फेल भी हुए हैं । यह इशारा था सतीश पूनिया के अध्यक्ष काल को लेकर जब संगठन में गुटबाजी चरम पर थी। उनके कार्यकाल में भाजपा की विचारधारा व सिध्दांतों के प्रति वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर पदों की बंदरबाट की गई व वसुंधरा राजे समर्थक नेताओं व कार्यकर्ताओं को हासिए पर धकेल दिया गया ।
उनके द्वारा पद,मद व कद की व्याख्या करना इस बात का संकेत था कि वह राजस्थान के राजनीतिक पटल से ओझल नहीं होना चाहती है । जैसा कि गुलाब चंद कटारिया व ओम माथुर के साथ हुआ है । पद पाकर कुछ नेता इसके मद में भूल जाते हैं कि पद कभी भी स्थायी नहीं होता । राजनेता का कद स्थायी होता है । कद जनता का वह प्यार , स्नेह और विश्वास है जिसे कोई नहीं छीन सकता है । निश्चित रूप से उन्होंने भाजपा शीर्ष नेतृत्व को आईना दिखाया कि राजस्थान की जनता का प्यार, स्नेह व विश्वास उनके साथ है भले ही उन्हें पद से दरकिनार कर दिया हो । पद के मद में अंहकार को लेकर उन्होंने उन नेताओं को नसीहत दी जो जनता का विश्वास खो चुके है व विधानसभा चुनाव हारने के बाद शेखावाटी की तीनों लोकसभा सीट भी गंवा बैठे ।
राजनितिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व भले ही भाजपा में मची गुटबाजी खत्म होने की डींग हांकने का काम करता हो लेकिन भाजपा में गुटबाजी आज भी चरम पर है । नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी कि संगठन पर कुंडली मारे नेताओं से कैसे पार पाया जाए । संगठन में बदलाव करना उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए । इसमें युवा व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का समावेश होगा तभी संगठन की गाड़ी सरपट दौड़ सकती है । आगामी विधानसभा उपचुनाव भी राठोड़ के लिए अग्नी परीक्षा के समान होगा । यदि गृह जिले झुंझुनूं की बात करें तो झुन्झुनू विधानसभा के उपचुनाव भी होने है । गुटबाजी व बागी उम्मीदवार के कारण यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती रही है । लोकसभा चुनावों में हार का मुंह देखने वाले उम्मीदवार शुभकरण चौधरी ने तो सार्वजनिक तौर पर अपनी हार का कारण इस गुटबाजी को ही बताया था । कमोबेश यही हालात आगामी उपचुनाव में भी देखने को मिल सकते हैं क्योंकि पोस्टर नेताओं की भरमार है । इन्हीं फोस्टर नेताओं ने संगठन को अपने आपने हिसाब से परिभाषित कर रखा है । वसुंधरा राजे का मंत्र कि सबको साथ लेकर चलना है मदन राठौड़ कितना अंगीकार करते हैं यह तो आने वाला समय ही निर्धारित करेगा लेकिन यह स्पष्ट है कि राजस्थान भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक