धर्म का कवच पहनकर अराजकता फैलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए
धर्म का कवच पहनकर अराजकता फैलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
उपद्रव व अराजकता फैलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के हो । लेकिन इस तरह की कारवाई को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए । देश में इस समय हिन्दुत्व पर बहुत बहस हो रही है । हिन्दुत्व को भी दो भागों में विभक्त कर दिया है भाजपा व गैर भाजपा हिन्दुत्व । यदि कोई व्यक्ति भाजपा से सवाल पूछने की हिम्मत कर लेता है तो उसको लेकर सोशल मिडिया पर भाजपा आईटी सैल द्वारा एक मुहीम के तहत वह सनातन विरोधी हो जाता है । यहां तक इस मुहीम में जगतगुरु शंकराचार्य को भी नहीं छोड़ा गया । कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार के तुगलकी फरमान पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई । राजस्थान के जिला सीकर स्थित लोहार्गल धाम जिसको तीर्थराज की उपमा भी दी गई है । यहां कांवड़ियों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया । लेकिन इस लाठीचार्ज को सनातन विरोधी कृत्य नहीं बताया गया क्योंकि राजस्थान में सनातन धर्म की रक्षक सरकार है । लेकिन इसको लेकर चर्चा करना जरूरी हो जाता है यदि ऐसा कृत्य अशोक गहलोत सरकार मे हो जाता तो जयपुर से दिल्ली तक उबाल आ जाता । इतना ही नहीं अशोक गहलोत को बहुत से अलंकरणों से अलंकृत किया जाता जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है । लेकिन लोहार्गल में हुए बर्बर लाठीचार्ज और उसके बाद जयपुर मे कांवड़ियों की पिटाई का विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ लेकिन सनातन धर्म के ठेकेदारों के मुंह से इन घटनाओं को लेकर एक शब्द भी मुंह से नहीं सुनने को मिला ।
धर्म की आड़ में उपद्रव कर अराजकता फैलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए चाहे यह उपद्रवी किसी भी धर्म के हो । लेकिन धर्म को लेकर राजनीति करना और उसका फायदा लेने की परम्परा बन गई है । राजनितिक दल धर्म को लेकर बहुत बड़े बड़े दावे करते हैं कि सनातन धर्म केवल उन्हीं की बदोलत बचा हुआ है । लेकिन धार्मिक स्थलों पर जो अव्यवस्थाओं का माहौल है उसकी तरफ सरकार का ध्यान क्यों नहीं जाता है । जब धार्मिक स्थल इन अव्यवस्थाओं के कारण अपना मूल स्वरूप व परमपराएं खो देगे उस समय इन सफेदपोशों के पास क्या जबाब होगा जो अपने वोट बैंक की खातिर छद्म सनातन धर्म के रक्षक का चोला पहन कर घूम रहे हैं । इन नेताओं को उस रंगे सियार की संज्ञा दे सकते हैं जो धर्म के रंग में रंगे होकर उस धर्म के रंग का फायदा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कर रहे हैं । उन नेताओं को सोचना होगा कि उनका वह रंग धुलेगा और जब वे अपने मूल स्वरूप में आयेगे तब क्या होगा ?
धर्म को कवच बनाकर किसी को भी कानून व्यवस्था बिगाड़ने का अधिकार किसी भी धार्मिक समुदाय के लोगों को नहीं है । इस तरह की घटनाओं को राजनीतिक चश्मे से देखने की प्रवृत्ति का त्याग करना ही धर्म की रक्षा की श्रेणी में आता है ।