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डबल इंजन की सरकार की वजह से क्षेत्र वासियो को फिर सुनाई देगी छुक छुक की आवाज़


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डबल इंजन की सरकार की वजह से क्षेत्र वासियो को फिर सुनाई देगी छुक छुक की आवाज़

2 दशक बाद सिंघाना से डाबला तक रेलवे ने अतिक्रमण हटाना शुरू किया

खेतड़ीनगर : डबल इंजन की सरकार की वजह से क्षेत्र वासियो को फिर सुनाई देगी छुक छुक की आवाज़। जिस समय केवल बड़े शहरों में ही रेल की सुविधा होती थी उस समय भी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की इकाई खेतड़ी कॉपर कॉम्पलेक्स के चलते खेतड़ीनगर, सिंघाना त्योंदा-रामपुरा व आस-पास के गांव व ढाणियों में इंजन की सीटी सुनाई देती थी। आज हालात ये हैं कि रेल तो दूर रेल की पटरियां भी दिखाई नहीं दे रही। करीब 32 किमी रेलवे लाइन के दोनों तरफ की जमीन पर लोगों ने कच्चे पक्के निर्माण कर अवैध कब्जा कर लिया।

सिंघाना से डाबला तक रेलवे ट्रेक मेप

रेलवे के नोटिसों के बाद सिंघाना में चर्चा हुई शुरू, रेलवे ने सिंघाना में कई दर्जनभर लोगों को दिए नोटिस, रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का दिया नोटिस, नोटिस के बाद रेल सेवा शुरू होने की होने लगी चर्चाएं, 2004 में अपग्रेड के नाम पर उखाड़ी थी रेल पटरियां, लेकिन दो दशक में रेलवे ने नहीं ​ली सुध, अब अचानक रेलवे से मिले नोटिसों के बाद चर्चा हुई शुरू, चर्चा यह कि, डाबला से पिलानी के लिए रेल लाइन डाली जाएगी, इसके लिए रेलवे शुरू करने वाला है सर्वे, पहले कॉपर प्रोजेक्ट के कारण बनाया गया था सिंघाना में स्टेशन, तांबा, ज्योति सुपर फास्फेट खाद व अन्य सामग्री परिवहन के लिए काम आती थी रेल लाइन।

अनुमान लगाए जा रहा है की झुंझुनूं जिले के सिंघाना से नीमकाथाना जिले के डाबला गांव तक रेलवे फिर से 32 किलोमीटर लंबी पटरियां बिछाएगा। इसके लिए रेलवे द्वारा सर्वे भी शुरू कर दिया गया है। दरअसल सालों पहले हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने केसीसी प्रोजेक्ट के सामान की ढुलाई के लिए डाबला से सिंघाना तक रेलवे लाइन बिछाई गई थी। उस मालगाड़ी में एक सवारी डिब्बा भी होता था। इस 32 किलोमीटर की दूरी में खेतड़ी नगर सहित रास्ते में पड़ने वाले बड़े गांवों में स्टेशन भी बनाए गए थे। आज भी कई जगह पत्थर पर स्टेशनों के नाम लिखे हुए हैं

पटरियों की खाली जगह पर कब्जा
अब पटरियों की खाली जगह पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। जहां चिकनी मिट्टी थी, वहां की मिट्टी ईंट भट्टे वाले ले गए। अंतिम रेलवे स्टेशन सिंघाना का था, वहां पर अब रेलवे की जमीन पर प्लॉटिंग हो चुकी है। कई जगह कच्चे/पक्के मकान तक बन गए।

इन अवैध कब्जों को हटाने को लेकर कई बार शिकायत हो चुकी हैं, लेकिन आज तक इस संबंध में रेलवे की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर 2015-16 में शिकायत पर एक बार रेलवे कर्मचारी सिंघाना क्षेत्र में आए थे, लेकिन खानापूर्ति करके चले गए। इसके बाद आज तक रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई

पटरियां उखाड़ने के बाद इनके दोनों तरफ रहने वाले लोगों में इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने की होड़ शुरू हुई। अब पटरियों की खाली जगह के साथ ही पटरियों के दोनों तरफ की रेलवे की जमीन पर सैकड़ों लोगों ने कच्चा पक्का निर्माण कर कब्जा कर लिया। इस लाइन का अंतिम रेलवे स्टॉपेज सिंघाना था जहां से कॉपर प्रोजेक्ट का इंजन अपना आयातित सामान कंपनी के अंदर तक लाने ले जाने का काम करता था। सिंघाना में भी अब उस स्थान के आसपास रहने वाले लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। कई जगह कच्चे पक्के मकान तक बन गए। रेलवे की जमीन पर प्लॉटिंग तक हो चुकी है।

रेलवे ने अतिक्रमियों को दिए सात दिन में कब्जा हटाने के नोटिस

सिंघाना डाबला रूट पिछले दो दशक से बंद पड़ा है। रेल पटरियां उखाड़ने के बाद इस जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिए थे। अब सर्वे के दौरान रेलवे द्वारा अतिक्रमणों को चिन्हित कर अतिक्रमियों को सात दिन में खुद ही कब्जा हटाने के नोटिस जारी हैं। सीनियर सेक्शन इंजीनियर (कार्य) नारनौल की ओर से इसी महीने नोटिस दिए गए हैं। सात दिन में कब्जा नहीं हटाने पर रेलवे की ओर से अतिक्रमण ध्वस्त कर इस कार्रवाई पर होने वाले खर्च भी अतिक्रमी से वसूला जाएगा।

जितेंद्र सिंह सीनियर सेक्शन इंजीनियर, उत्तर पश्चिम रेलवे नारनौल

जितेंद्र सिंह सीनियर सेक्शन इंजीनियर, उत्तर पश्चिम रेलवे नारनौल ने कहा कि डाबला से सिंघाना लाइन का सर्वे चल रहा है इसका सर्वे करने के बाद रिपोर्ट बनाई जाएगी। जिन-जिन लोगों ने रेलवे की भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है उन पर कानूनी कार्रवाई होगी उनको नोटिस भी दिया जा चुका है 7 दिन का। यदि 7 दिन में कब्जा शुदा भूमि को खाली नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जावेगी। यहा के तहसीलदार को भी उरोक्त कार्यवाही की सूचना दे दी गई है।

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